tag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post3408663218882843163..comments2023-09-21T14:01:24.180+05:30Comments on CAVS संचार: छत्तीसगढ़ः एक खोजUnknownnoreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-72121725629472021822009-01-14T17:37:00.000+05:302009-01-14T17:37:00.000+05:30छत्तीसगढ़ पर श्रंखला बहुत अच्छी लग रही है .......मै...छत्तीसगढ़ पर श्रंखला बहुत अच्छी लग रही है .......मैं इसको इस आधार पर देख रहा हूँ की मैं कभी छत्तीसगढ़ नही गा पर इन पोस्ट के बाद मुझमें वहां जाने के उत्कंठा जाग रही है .......बरुन सर आपको बहुत बधाई .......अगर आप छत्तीसगढ़ की लोकल बोली जैसे वहां के स्थानीय लोग बोलते हैं उसपर कुछ पेश करें तो मज़ा आएगा.....जैसे भोपाल में जा रिया खा रिया है ,,,,,,,himhttps://www.blogger.com/profile/12673133545195866543noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-52270649850263594462009-01-14T11:42:00.000+05:302009-01-14T11:42:00.000+05:30रायपुर में तो यह पर्व समाप्तप्राय हो चुका है। हाँ ...रायपुर में तो यह पर्व समाप्तप्राय हो चुका है। हाँ गावों में इस पर्व के समय अब भी सुनाई पड़ जाता हैः<BR/><BR/>"अरन बरन कोदो दरन, जब्भे देबे तब्भे टरन।"Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-26824394863125280502009-01-14T09:30:00.000+05:302009-01-14T09:30:00.000+05:30जो छत्तीसगढ़ में रह चुका है वो ज़रूर जानेगा इस पर्व ...जो छत्तीसगढ़ में रह चुका है वो ज़रूर जानेगा इस पर्व के बारे में। हमने तो देखा है इस पर्व को मनते हुये।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-329127384865215152009-01-14T09:08:00.000+05:302009-01-14T09:08:00.000+05:30सुंदर जानकारी | मकर संक्रांति की शुभकामनाएं |सुंदर जानकारी | मकर संक्रांति की शुभकामनाएं |Vivek Guptahttps://www.blogger.com/profile/14118755009679786624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-45136309973166756012009-01-14T08:19:00.000+05:302009-01-14T08:19:00.000+05:30चलिए आप से इस प्राचीन परंपरा के बारे में पता लगा। ...चलिए आप से इस प्राचीन परंपरा के बारे में पता लगा। अगली बार इस का विस्तार से विवरण बता पाएँगे। वैसे इस तरह के विवरण ग्रामीण समाज से ही पता लग सकते हैं। किसी भी वस्तु को मांगने की परंपरा हमारे इतिहास के सामूहिक जीवन को इंगित करती है। जहाँ लेने वाले और देने वाले दोनों ही प्रसन्नता व्यक्त करते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com