tag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post399117159945317551..comments2023-09-21T14:01:24.180+05:30Comments on CAVS संचार: सोम ठाकुर, नीरज और किशन सरोज कहां हैं?Unknownnoreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-61393723049881139732010-10-05T17:32:02.518+05:302010-10-05T17:32:02.518+05:30आदरणीय आलोकजी, आपके इस तथ्यपरक व अन्वेषणात्मक आ...आदरणीय आलोकजी, आपके इस तथ्यपरक व अन्वेषणात्मक आलेख से उन कथित साक्षर और हिंदी की रोटी रोजी वालों की आंख खुल जानी चाहिए। यह मेरे लिए गर्व और गौरव की बात है कि सम्मानीय सोम ठाकुर के शहर का मैं भी रहने वाला हूं। यह भी मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि नीरज, काका हाथरसी, सोम ठाकुर, निर्भय हाथरसी, उदय प्रताप सिंह यादव, ओमपाल सिंह निडर आदि अनेक वरेण्य कवियों के साथ मंच पर काव्यपाठ कर चुका हूं लेकिन जब से कवि मंचों पर माफिया का कब्जा हो गया है। तब से मन में इन मंचों के लिए विरक्ति सी हो गई है। फिर भी नीरज, किशन सरोज, सोमठाकुर आदि अन्य लोकप्रिय कवि इस देश के माथे के चंदन हैं।<br /><br /><br />my blog<br />www.vichar-bigul.blogspot.comडा. महाराज सिंह परिहारhttps://www.blogger.com/profile/01913083657620688491noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-21886786251812413762010-01-08T13:58:40.967+05:302010-01-08T13:58:40.967+05:30आपके पूरे लेख से सहमत भी हूं और इस पीड़ा में सहभागी...आपके पूरे लेख से सहमत भी हूं और इस पीड़ा में सहभागी भी।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-22936999766374182462010-01-08T13:36:39.199+05:302010-01-08T13:36:39.199+05:30सचमुच दुखी करता है यह परिदृश्यसचमुच दुखी करता है यह परिदृश्यArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-67441163004090704292010-01-08T10:42:54.512+05:302010-01-08T10:42:54.512+05:30आलोक जी:
आप के लगभग पूरे लेख से सहमत हूँ । नीरज जी...आलोक जी:<br />आप के लगभग पूरे लेख से सहमत हूँ । नीरज जी और सोम ठाकुर जी को अमेरिका आमंत्रित कर यहां के श्रोताओं को चुटकलों से हट कर असली ’हिन्दी कविता’ से परिचय करवाने में शामिल रहा हूँ । सुखद आश्चर्य यह रहा कि श्रोताओं नें उन्हें चुटकुले सुनाने वाले फ़ूह्ड़ हास्य कवियों से अधिक पसन्द किया । <br />एक छोटी से गलती की ओर ध्यान दिलाना चाहूँगा । आराधना फ़िल्म में नीरज जी के गीत नही थे । शायद आप प्रेम पुजारी , गैम्बलर , शर्मीली या ’तेरे मेरे सपने’ कहना चाहें । <br />गीतकारों की सूची में आप कुँअर बेचैन जी का नाम भूल गये । गीत , नवगीत और गज़ल तीनो ही विधाओं में भरपूर लिखा है उन्होनें और लोकप्रियता में भी नीरज जी के बाद उन्हीं का नाम याद आता है । <br /><br />सादर स्नेह के साथ ...<br /><br />अनूप भार्गवअनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-45859111658058859062010-01-08T09:25:51.394+05:302010-01-08T09:25:51.394+05:30-"हम यहां उन कवियों की बात नहीं कर रहे जो गद्...-"हम यहां उन कवियों की बात नहीं कर रहे जो गद्य को पद्य कह कर लिखते हैं। लालित्य उनकी रचनाओं में भी होता है मगर वे सिर्फ गद्य लिखते तो हिंदी गद्य का बाकायदा उद्वार हो जाता।" - पूर्णत: सहमत।<br /><br />पूरा लेख अच्छा है। विचारोत्तेजक व सही बात।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-19820768041763061002010-01-08T07:18:11.582+05:302010-01-08T07:18:11.582+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8172529027266490551.post-40722208144718888992010-01-08T05:25:24.743+05:302010-01-08T05:25:24.743+05:30नीरज जी ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन में लगे हैं, यह ...नीरज जी ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन में लगे हैं, यह नई जानकारी मिली.<br /><br />बाकी, बहुत तीखा है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com