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Saturday, October 16, 2010

गर्दन नापने की नई चाहत

भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं और पत्रकारिता इसका चौथा स्कंभ हैं.मीडिया सदैव हमेशा से भारत का प्रहरी रहा हैं और इसकी निष्पक्षता के आगे बड़े बड़े हुक्मरान ,नौकरशाह अपनी नाजायज काम करने से डरते हैं.लेकिन शायद इमाम बुखारी को इस बात की जानकारी नही हैं या फिर ये देश के कानून को अपनी पैर की जूती समझते हैं. और इसलिए इन्हें पत्रकारिता की गर्मी को इन्हें समझाना पड़ेगा.14 अक्टूबर को लखनऊ के गोमती होटल में स्थानीय पत्रकार मोहम्मद वाहिद चिश्ती के साथ जो सलूक किया इसके लिए बुखारी को चिश्ती से माफी और मीडिया के सामने स्पष्टीकरण देना चाहिए.आप किसी भी चीज से सहमत या असहमत हो सकते हैं और विरोध करना संवैधानिक दायित्व लेकिन बुखारी की गर्दन नापने की चाहत ये समझ से बाहर की चीज हैं.सच्चाई बेहद ही कड़वी होती हैं और जिस सच्चाई को चिश्ती ने बुखारी और दुनिया के सामने रखा हैं उसके लिए बुखारी के साहस और जज्बे को सलाम.चिश्ती ने 1528 के उस खसरे का जिक्र किया जिसमें अयोध्या की जमीन राजा दशरथ के नाम पर दर्ज होने की बात कही गई इसलिए उसके स्वामी राजा राम चंद्र होते हैं.यह बात 30 सितंबर 2010 के फैसले में भी हैं और जफरयाब जिलानी को भी मालूम हैं.जब ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं तो आप ये जमीन सहिष्णुता का प्रर्दशन करते हुए हिंदुओं को क्यों नही सौप देते हैं.इतनी सुनते ही बुखारी की सोच और खाल दुनिया के सामने आ गई.बुखारी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और मीडिया को इस शख्स पर इतना दबाव बनाना चाहिए कि वे चिश्ती से माफी मांग लें.वैसे बुखारी की यह सोच नई हैं इससे पहले 2006 में भी उन्होनें पत्रकार को औकात बताने की बात कही थी.माननीय बुखारी जी जनता एक पंडित की तरह हैं जो किसी की शादी करती हैं तो श्राद्ध भी.जिस पत्रकार को सबक सिखाने की बात करते हैं वह कभी हो नही सकता.30 सितंबर का फैसला एतिहासिक और प्रामाणिक भी हैं और यह तय हैं कि अब मंदिर का निर्माण उसी जगह पर होगा जिसे हिंदू सदियों से अपना बता रहे हैं.आम मुसलमान भी चाहता हैं कि अब मंदिर का निर्माण हो ही जाए.बुखारी जी अगर मुसलमान पिछड़ा हैं और अमेरिका और यूरोंप में इन्हें संदेह की दृष्टि से देखा जाता हैं तो इसके लिए जिम्मेदार आप जैसे लोग ही हैं .चिश्ती ने एक आम भारतीय के सोच को सामने रखा हैं और आप उदारता दिखाए यह आपसे अपेक्षा हैं.ए आर रहमान और अब्दुल कलाम जैसे लोग आपकी बिरादरी से ही संबंध रखते हैं फिर आप ऐसे हरकत कर अपनी थु थु कराने पर क्यों लगे हैं...गर्दन नापने का शौक वैसे बड़े बड़े तानाशाहों का रहा हैं और उसका हश्र आपके सामने हैं..मारने वाला से बड़ा बचाने वाला होता हैं आपने चिश्ती के साथ साथ पत्रकारिता पर भी हमला किया हैं बेहतर होगा कि सीमा में रहकर अपनी बात रखे...नही तो दांव उल्टा भी पड़ सकता हैं.गर्दन नापने की इस चाहत को दफ्न कर दे..
चिश्ती जी आपके जज्बें को पत्रकारिता जगत का हजारों सलाम....

1 comment:

  1. mujhe aaj ak chuppi sal rahi hai....
    देश के महान सेकुलर आकावों कहाँ हो आप.दो रोज हो गए लखनऊ के थप्पड़ कांड को.और आप खामोश हैं आपके ब्लॉग पर सन्नाटा है आपका फेसबुक स्टेटस चुप है इस घ्रिडित मामले पर.आप आशाराम के मीडिया को कुत्ता कहने पर क्लास लेते हैं हम खुश होते हैं.मगर इस मामले पर आपकी चुप्पी मुझे सोचने पर मजबूर कर रही है कहीं आप सेकुलरिज्म के नाम पर तुस्टीकरण की राजनीति तो नहीं खेल रहे नहीं तो इस बार आपका आपका सेकुलरिज्म कहाँ गया है तेल लेने

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