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Wednesday, November 3, 2010
सुनहरे २१
भारतीय संस्कृत में २१ को काफी शुभ माना गया है, भगवान के किसी कार्य में २१ का चढ़ावा उसके महत्व को बढ़ा देता है.क्रिकेट के भगवान का भी ये क्रिकेट में २१वा साल है . २१ की संख्या की तरह सचिन के २१ साल भारतीय क्रिकेट के लिए काफी शुभ रहे. सचिन बधाई के पात्र सिर्फ इसलिए नहीं है की उन्होंने इन २१ सालो में कई विश्व रिकॉर्ड बनाये .उन्होंने भारतीय टीम को विश्व क्रिकेट में सम्मानजनक स्थान पहुचाया बल्कि इसलिए भी की पल भर में स्टार को गीटार बनाकर मनचाहे तरीके से बजाने वाली क्रिकेट चयन समित के साथ भी आदर्श २१ साल बिताये वर्ना भारतीय क्रिकेट के अनेक हीरे तो यू ही चयनसमित का कोप भाजन बनकर आज दूसरे रोजगार में नजर आते है. जब भी सचिन के खेल पर किसी को शक हुआ तो सचिन ने अपने प्रदर्शन से सबके मुह बंद कर दिए.प्रदर्शन से लगाम तो गांगुली ने भी लगाई थी पर फिर भी वो अपना करियर नहीं बढ़ा सके .इसके आलावा इन्ही २१ सालो में कई ऐसे खिलाडी आये जिनकी तुलना महान खिलाडियों से की जाती रही लेकिन वो लम्बे समय तक न तो अच्छा खेल सके और न हमारी व्यवस्था ने उन्हें खेलने दिया. सचिन की योग्यता लोहा पूरे विश्व ने माना है लेकिन कई मौको पर हमारे ही पुराने खिलाडियों ने सचिन के लोहे पर जंग लगने जैसा आरोप लगाते रहे लेकिन यही तो सचिन की महानता है की जब भी संकट में भगवान की जरुरत हुई उन्होंने अपने लाजबाब खेल से अपने विरोधियो को ही अपना कायल बना दिया. हम आम दर्शक तो यही चाहेंगे की सचिन २१ साल और खेले पर २०११ के विश्व कप के बाद सन्यास की खबरों ने अभी से एक बड़ी रिक्तता का बोध करा दिया है उम्मीद करते है आगामी सालो में अगले २१ सालो तक चमकने वाला हीरा मिल जाये.
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