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Wednesday, August 4, 2010

ऑस्ट्रेलिया में अभी भी जारी है नस्लवाद.....................


गौर से देखिये इन तस्वीरो को.....एक चित्र हजार शब्द कहता है...इस फोटो को देखकर आप भी अनुमान लगा सकते है....दिमाग पर ज्यादा जोर नही डालना पड़ेगा.... क्युकि ये पहेली नही है.... ये तस्वीर है जयंत डागोर की , जो खुद ही आप बीती बता रही है... बायी तरफ लिखा है ऑस्ट्रेलिया में न्याय कहाँ है तो दाई ओर जयंत जिस बोर्ड को पकडे है उस पर लिखा है आखिर कब तक ऑस्ट्रेलियन सिस्टम से लड़ा जाए....?
ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों को न्याय नही मिल रहा है.... वहां की सरकार के लाख दावो के बाद भी भारतीयों के साथ नस्लभेद जारी है... अगर सब कुछ सामान्य होता तो आज जयंत जैसे लोगो को अपनी आप बीती सुनाने के लिए भारतीय मीडिया का सहारा नही लेना पड़ता..... जयंत की पत्नी अन्ना मारिया भी ऑस्ट्रेलियन मीडिया से त्रस्त है.... खुद उनकी माने तो वहां नस्लभेद किया जाता है मीडिया को भी वैसी आज़ादी नही है जैसी भारतीय मीडिया में है .... वैसे भारतीय मीडिया को दाद देनी चाहिए.... खासतौर से खबरिया चैनलों को जो हर घटना के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है.... फिर आज का समय ऐसा है कि हर व्यक्ति अपनी बात पहुचानेके लिए मीडिया का सहारा लेने लगता है.... जयंत भी यही कर रहे है.... भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया का डंका पूरे विश्व में बजने लगा है.... अप्रवासी भारतीय भी अब इसके नाम का नगाड़ा बजाने लगे है... जयंत और उनकी पत्नी अन्ना से मिलकर तो कम से कम ऐसा ही लगा... ऑस्ट्रेलियाई मीडिया जब उनकी एक सुनने को तैयार नही हुआ तो जयंत और उनकी
पत्नी अन्ना भोपाल पहुचे जहाँ मीडिया के सामने अपनी व्यथा को रखा ....
जयंत डागोर 1998 से ऑस्ट्रेलियन नागरिक है...1989 में अपने जुडवा भाई आनंद की साथ मिलकर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए वीजा आवेदन दिया तो उनके भाई आनंद का वीजा एक्सेप्ट कर लिया गया लेकिन उन्हें वीजा नही मिल पाया..जबकि दोनों भाईयो ने नई दिल्ली के पूसा केटरिंग कोलेज से होटल मेनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की थी.. 1990में जयंत के भाई ने आनंद को भाई के नाते स्पोंसर किया लेकिन उसके बाद भी ऑस्ट्रेलियन हाई कमीशन ने उसका वीजा एक्सेप्ट नही किया... इसके बाद लगातार चार बार यही सिलसिला चलता रहा... जयंत के आवेदन को एक्सेप्ट नही किया गया... आख़िरकार एक लम्बी लडाई लड़ने की बाद जयंत1996 में परमानेंट शैफ का वीजा लेकर ऑस्ट्रेलिया चले गए...
1998 में जयंत तो ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता मिल गई..1999में जयंत मेलबर्न के एक होटल में शैफ काम करने लगे... यहाँ पर एक सीनियर शैफ माईकल उन्हें भारतीय होने के नाते परेशान करने लगा.... जिसकी शिकायत उन्होंने एच आर मैनेजर से की जिसके बाद उसे जरुरत से ज्यादा काम करवाया जाने लगा...जिसके चलते जयंत को "कार्पल टनल " की बीमारी हो गई जिसके इलाज में जयंत को एक बड़ी रकम खर्च करनी पड़ी...इसके बाद जयंत फिर जब काम पर लौटा तो डाक्टर की सलाह को अनदेखा करते हुए माईकल उससे फिर पहले से ज्यादा काम लेने लगा...जिससे जयंत के हाथो में दर्द होने लगा...और डॉक्टर ने जयंत को फिर से अनफिट घोषित कर दिया... इसी बीच माईकल ने एक दिन जयंत के ऊपर "फ्रोजन चिकन" का बड़ा बक्सा फैक दिया जिससे जयंत के गर्दन और सीने में गंभीर चोट आ गई..इस पूरी घटना की गवाह उनकी महिला सहकर्मी रेचल सीजर बनी... इस सबके बाद भी मेनेजर ने जयंत की एक नही सुनी.... कारण वह भारतीय थे...चौकाने वाली बात यह है जब यही व्यवहार माईकल ने एक ऑस्ट्रेलियन नागरिक के साथ किया तो माईकल को नौकरी से निकाल दिया गया॥ जयंत अपनी लडाई पिछले २१ सालो से लड़ रहे है लेकिन उनको कोई न्याय नही मिल पाया है... यहाँ तक कि ऑस्ट्रेलिया के मीडिया ने भी उनकी एक नही सुनी जिसके चलते उनको अपनी बात भारतीय मीडिया से कहनी पड़ रही है... आज जयंत इतने परेशान हो गए है कि उन्हें अब अमेनेस्टी , ह्युमन राईट जैसी संस्थाओ पर भी भरोसा नही रहा... जयंत कहते है कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के साथ नस्लभेद जारी है..लेकिन भारतीय सरकार भी इस मामले में पूरी तरह से दोषी है क्युकि उसके मंत्रियो के पास भी उनकी समस्या को सुनने तक का समय नही है.... इसलिए वह अपनी बात भारतीय मीडिया के सामने लाना चाहते है ताकि ऑस्ट्रेलिया की सरकार का असली चेहरा सभी के सामने आ सके....

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