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Sunday, March 13, 2011

नौ साल बाद मिला इंसाफ

27 फरवरी 2002 एक ऐसा दिन जिसे गुजरात और भारत के लोग याद नहीं रखना चाहेंगे।यह वह दिन जब अयोध्या से गोधरा आ रही है साबरमती एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया गया और एस 6 में मौजूद कारसेवकों को जिंदा जलाया गया.जो ना तो नक्सली थे ना आतंकवादी।और उसके बाद गुजरात में भड़का दंगा जिसे 1200 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।राजनीति अपनी जगह है लेकिन नेताओं से गुजारिश की जाती है कि वे गोधरा जैसे मामले में संवेदना बरते लेकिन ऐसा नहीं हुआ.यह एक निर्विवाद तथ्य था कि साबरमती एक्सप्रेस की एस 6 में आग बाहरी लोगों ने लगाई थी यह एक गहरी साजिश थी लेकिन कुछ लोगों ने ऐसा मानना से इंकार कर दिया ..मैं आपके सामने वो कुछ तथ्य रखूंगा जो बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह सच्चाई पर झूठ और गलत दलीलों पर पर्दा ढका गया।लालू जी ने थोथी दलील देने वाले की बातों में आकर बनर्जी कमीशन की स्थापना की जबकि इससे पूर्व गोधरा की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने के लिए नानावटी कमीशन की स्थापना कर दी गई थी।बनर्जी कमीशन ने यह रिपोर्ट दी कि साबरमती एक्सप्रेस में लगायी नहीं गई थी बल्कि इसमें आग लगी थी यानि साबरमती एक्सप्रेस की एस 6 में लगी आग महज हादसा थी।
अब साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग या लगायी गयी आग के लिए हादसा की जांच जिस जांच अधिकारी को दी गई थी वो थे नोएल परमार..नोएल परमार ने 200 प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिये और उसके आधार पर वो इस तथ्य पर पहुंचे कि ट्रेन में लगी आग एक गहरी साजिश थी..
नोएल परमार ने साफ बताया हैं कि साबरमती एक्सप्रेस में आग दंगाईयों ने लगाई थी जिसके उन्होंने 6 वजह बतायी हैं..
1 जैसा कि बनर्जी कमीशन की रिपोर्ट बताती हैं कि कारसेवक बोगी के अंदर खाना बना रहे थे और स्टोव में रखे तेल की वजह से पूरी बोगी में आग लगी थी..फोरेंसिक साइंस कहता हैं कि रेलवे की किसी भी बोगी में आग लगाने के लिए 60 लीटर तेल की जरूरत होती हैं .क्या यह संभव हैं कि स्टोव में रखे 1 लीटर तेल से पूरी बोगी में आग लगना संभव हैं।.बिल्कुल नहीं

2 क्या यह संभव है कि चंद मिनटों में 140 लीटर पेट्रोल इक्टठा कर लिया जाए.आपको बता दे कि घटना से ठीक एक दिन पहले गोधरा स्टेशन के पास अमन गेस्ट हाउस में दंगाईयों की मीटिंग हुई थी और प्रत्येक को काम बाटा गया था और इन्ही अभियुक्तों में कुछ ने पेट्रोल का इंतजाम रात में ही कर लिया था

3 क्या यह संभव है कि सुबह 7.35 मिनट के करीब 700 से ज्यादा भीड़ इक्टठी कर ली जाए.भीड़ का इक्टठा करना भी दंगाईयों के प्लान का हिस्सा था..

4 जब ट्रेन गोधरा स्टेशन से आगे बढ़ा तो उसे दो बार क्यों रोका गया।ये रणनीति भी दंगाईयों ने 26 फरवरी की रात को बनाई थी ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा जा सके.

5 जब ट्रेन को जलाये जाने की खबर के बाद फायर ब्रिगेड रवाना हुई तो रास्ते में फायर ब्रिगेड को क्यों रोका गया.

इन्हीं निष्कर्षों और 200 से ज्यादा प्रत्यक्षदर्शियों और इस क्रूरतम अपराध को देखते ही जज पी आर पटेल को 22 फरवरी 2011 को मानवता के जघन्य अपराधियों को कठोर दंड देना पड़ा।जज पी आर पटेल ने अपने फैसले में 20 को उम्रकैद और 11 को फांसी की सजा सुनाई है.

अब तक मानवता के चंद गद्दार यह कह रहे थे कि साबरमती एक्सप्रेस में आग कोई साजिश नहीं बल्कि महज एक घटना था..22 फरवरी का फैसला तिस्ता सीतलवाड़ जैसे चोचलेबाजों के लिए करारा तमाचा हैं.

एक बात और भारत में सजा सुनाने और उसे लागू करने में एक बहुत बड़ा वक्त लगता हैं.प्रश्न यह हैं कि इन जघन्य अपराधियों को अपील की कितनी छूट मिलनी चाहिए।क्यों नहीं इन्हें फांसी पर जल्द लटकाया जाए ताकि पीड़ितों की आत्मा को शांति मिल सके।

गोधरा और उसके बाद गुजरात में जो हुआ उसे किसी भी कीमत पर जायज नहीं ठहराया जा सकता हैं और यह हकीकत है लेकिन उससे भी बड़ी हकीकत हैं कि अगर साबरमती एक्सप्रेस की एस 6 की बोगी या यू कहे कि अगर 56 गुनहगारों को जिंदा नहीं जलाया जाता तो गुजरात में दंगे नहीं भड़कते।अब सामान्य लोगों को चाहिए कि इस फैसले को कबूले और दिल और दिमाग को इतना मजबूत बनाए ताकि देश में फिर कभी ऐसी हिंसा ना फैले।कुछ तथाकथित बौद्धिक आतंकवाद से शिकार लोग और मानवतावादी इस फैसले की अलग व्याख्या कर रहे हैं उनसे गुजारिश हैं कि वो अब सच्चाई को स्वीकार करेंगे।कानून की चक्की भले धीरे पीसती हों लेकिन पीसती बड़ी महीन है और गोधरा के गुनहगारों के लिए यह एक सख्त संदेश हैं।यह देश हिंदू ,मुस्लिम ,सिख,ईसाई सभी का है सभी का हक बराबर का हैं .हम सदियों से साथ रहते आये है और कोई भी ताकते हमारी एकता तो नहीं तोड़ सकते...

2 comments:

  1. और नरोडा पाटिया समेत पूरे गुजरात के गुनाहगारों का क्या...जिनको पूरे सबूत होने के बाद भी छोड़ दिया गया...जब आप गोधरा में न्याय की बात करते हैं तो दंगों के मुजरिमों के न्याय की बात करना क्यों भूल जाते हैं....एक लाइन तो उनके मामले में भी लिख देते दोस्त....

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  2. आपके विचार धारदार और ब्लॉग प्रासंगिक है. कृपया इसे जारी रखें.
    सेकुलरिज्म की आड़ में चल रही राष्ट्रविरोधी और हिन्दू-द्वेषी हरकतों का प्रतिकार करने के लिए राष्ट्रवादी लेखको के साझा मंच 'आह्वान' AHWAN- Association of Hindu Writers And Nationalists की रचना की गयी है. आपसे भी निवेदन है कि 'आह्वान' से जुड़िये.
    यह समूह गूगल पर है तथा इसका लिंक है: http://groups.google.com/group/AHWAN1

    | वन्देमातरम |
    http://secular-drama.blogspot.com

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