एक राजनीतिक पार्टी को हराने की घोषणा करते हुए आखिर बाबा रामदेव ने अनशन तो खत्म कर दिया। पर, क्या वे वाकई में राजनीति के जरिए ही सही, देश का धन जो स्विस बैंक में जाकर काला हो गया है, उसे फिर से भारत लाकर देशवासियों को दें पाएंगे। यह एक ऐसा प्रश्न है जो हर देशवासीयों के मन में जरूर कौंधता होगा।
ऐसे में क्या बाबा रामदेव की मुहिम 'ब्लैक मनी' को भारत ला पाएगी... ये एक गंभीर प्रश्न है जो कि सरकार और उसके नुमाइंदे भी न दे पाएं। इस बार बाबा रामदेव ने कई दावे किए जिनमें से उन्होने एक दावा यह भी किया है कि उनके अगले ऐलान से सरकार हिल जायेगी। वहीं बाबा रामदेव की मानें तो इस आंदोलन में 400 सांसदों का साथ भी मिलेगा। खैर यह बात अलग है कि अभी दो दिन पूर्व ही बाबा ने खुद ही मंच से यह हुंकार की थी, कि उनके साथ 225 सांसद हैं।
इसके साथ ही योग गुरू ने कहा है कि 2014 तक तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं करना चाहते। अब सीधी कार्रवाई होगी। बाबा ने अगली रणनीति का खुलासा करते जो कुछ भी कहा उसमें यहीं कॉमन है जो भी पार्टी काला धन वापस लाने में रोड़ा अटकाएगी उसको चुनाव में हराना है, और इस बार भी उनका यही रुख रहा। देश में मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए योग गुरू का कहना है कि आज देश में जो गरीबी, अभाव और भूख बढ़ रही है वो सब इन्हीं की देन है।
बाबा का हर बार, इस बार मौजूदा केन्द्र सरकार पर है। बाबा ने संप्रग के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का मोर्चा बनाने के संकेत देते हुए कहा है कि भ्रष्ट पार्टियों में सबसे ऊपर कांग्रेस है। बढ़ती महंगाई, भूख, अभाव और गरीबी के लिए यही कांग्रेस जिम्मेदार है। वहीं योग गुरू ने कहते हैं कि उनको 400 सांसदों का समर्थन हासिल है। पर इस बात की क्या पुष्ठि है कि ये सांसद दूध के धुले हुए ही हों, क्या इनके पास मौजूद धन ईमानदारी से कमाया हुआ ही हो और इनका धन स्विस बैंको में न हो क्या ये पुष्ठि बाबा अपने सांसदों के रवैये और व्यवहार को रुप में लिखित दे सकते हैं।
हाल ही में टीम अन्ना का आंदोलन लोकपाल के मुद्दे पर चर्चा में रहा और आगे भी इनकी मुहिम जारी रहेगी पर बाबा की टीम अन्ना से दूरियां क्यों हुए जब देश एक है, मुद्दे एक हैं, हम सभी भारतवासी एक हैं तो बाबा का टीम अन्ना से मुंह मोढ़ना कहां तक जाय़ज है ?और केवल काले धन को लेकर ही आंदोलन करना, कहां तक जाय़ज है ? देश के और भी कई मुद्दे हैं। जिनके कारण आज हर वर्ग का तबका परेशान है। अगर मान लें कि देश में काला धन आ जाता है तो क्या ये धन वाकई में जरुरत मंदों को मिलेगा या फिर वहीं हश्र होगा। जिसका जिक्र कई साल पहले हमारे स्व.पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि कि- 'देश के जरुरत मंदो को सरकारी सुबिधा का महज एक प्रतिशत लाभ ही मिल पाता है। और 99 प्रतिशत हिस्सा सिस्टम की भेंट चढ़ जाता है'।
लोकपाल की जरुरत भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की मुहिम है और काला धन लाना देश हित में जरूरी, पर बाबा का टीम अन्ना से इस तरह दूरियां बनाना क्या नज़रिया पेश करता है ? क्या बाबा लोकपाल को लेकर गंभीर नहीं...
ये एक गंभीर प्रश्न है जिसका उत्तर वक्त ही आगे बताएगा...!
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