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Tuesday, June 7, 2011

बहुमत किसी का गला घोंटने की इजाजत नहीं देता

तकरीबन रात के 1 बजे थे और मैं सोने जा रहा था तभी हमारे सहयोगी ने कहा यार एसएमएस आया है जिसमें कहा गया है कि बाबा रामदेव के समर्थकों पर पुलिस लाठी चार्ज कर रही है।पहले तो यकीन नहीं हुआ क्योंकि स्वामी रामदेव का आंदोलन तो शांतिपूर्ण था और रात में जब 75000 लोगों से ज्यादा सत्याग्रही लोग एक साथ सोए तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसी घटना की उम्मीद नहीं की जा सकती थी लेकिन मन नहीं माना और हमने टेलीविजन टर्न ऑन किया।यकीन मानिए जो उसके बाद देखा मेरे मन में सरकार के प्रति सहानुभूति खत्म हो गई।एक मामूली पढ़ा लिखा और जिसे इस दुनिया की समझ हो वह दिल्ली के रामलीली मैदान में हुए घटना की निंदा करेगा.. लेकिन केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों ने इसे भी जायज ठहराया।सवाल है कि आखिर रामदेव ने ऐसा क्या किया जिससे सरकार इतनी नाराज थी..

रामदेव के समर्थकों को डंडे से पीटना,उन्हें जूते तले रौंदना और आंसू गैस के गोले छोड़ना क्या ये किसी तरह न्यायोचित था।यह लोकतांत्रिक देश है और यहां किसी भी व्यक्ति को बोलने का पूरा हक है और बाबा रामदेव तो 1 अरब 21 करोड़ हिंदुस्तानियों की बात कर रहे थे।विदेशी बैंको में पड़े 400 करोड़ रूपये को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग नाजायज है,क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कड़े प्रावधान करने की मांग जायज नहीं थी।कौन नहीं जानता है कि 1 लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला इसी सरकार की अगुआई में हुआ,कौन नहीं जानता कि 70000 हजार करोड़ रूपये का राष्ट्रमंडल घोटाला इसी सात सालों में हुआ।रामदेव और उनके समर्थकों में जिस तरह बर्बरता से जुल्म ढ़ाया वह हिटलर और मुसोलिनी द्वारा किये गए कुकर्मों की याद दिलाता है।आज जो दिग्विजय सिंह रामदेव के खिलाफ उगल रहे हैं उन्हीं दिग्विजय सिंह ने 10 साल में मध्यप्रदेश के लिए क्या किया किसी से छिपा नहीं है।यही दिग्विजय सिंह हैं जो कहा करते थे कि चुनाव विकास से नहीं मैनेजमेंट से लड़े जाते है ।दिग्विजय सिंह और कांग्रेसी नेता को पूरी घटना पर मांफी मांगनी चाहिए नहीं तो देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।इतिहास बड़ी निर्दयी होता है और उसने नहीं तो इंदिरा गांधी,नही तो मुसोलिनी और न ही सद्दाम हुसैन या और किसी आततायी को बख्सा है।

क्या इस देश में सत्याग्रह करना गुनाह है और क्या निहत्थों और भूखे बेबस लोगों पर लाठियां चलाना जायज है।मेरा सवाल है कि आखिर कब तक एक आम भारतीय भूखे ,नंगे ,भ्रष्टाचार,घूसखोरी और दरिद्रता की जिंदगी जीते रहेंगे।क्या सरकार नहीं जानती की अरबों रूपये प्रत्येक साल इस देश से टैक्स हेवन कंट्री में रखे जाते है .और सरकार इस बात को जानती है तो उसने अभी तक इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई की।क्यों नहीं देश का पैसा देश में आ सका।पिछले 60 सालों में हमें दरिद्री,भूखमरी,लाचारी और बेजारी के सिवा हमें इस सरकार से मिला क्या और अगर कोई व्यक्ति लीक से हटकर देश और समाज के लिए भलाई की बात करता है तो क्या यह गलत है क्या एक संन्यासी मंदिर या सड़कों पर भीख मांगे तो यह सरकार को अच्छा लगेगा और कोई अगर देश से संबंधित मुद्धों पर अनशन करता है तो उस पर लाठियां चलायी जाए।रामदेव को ठिकाने लगाने पर अब सरकार के निशाने पर अन्ना हैं और वह अन्ना की टीम के साथ भी करने का इरादा करती है खैर बहुमत आपके साथ है । सत्याग्रहियों पर आंसू गैस की गोलियां चलवाइए, निहत्थों ,महिलाओं और औरतों की कपड़े फाड़ना अगर अब आपका यह काम है तो करते जाइए लेकिन याद रखिएगा जनता एक पंडित है जो अगर किसी की शादी करवाता है तो वह श्राद्ध भी करवाता है जिस जनता ने आपको बहुमत से जिताया है वही जनता आपको सत्ता से बाहर भी कर देगी..याद रखिए मनमोहन सिंह जी चुनाव में जनता आपसे हिसाब मांगेगी दिग्विजय सिंह जैसे चंद लफ्फाजों से नहीं जिसके बात पर शायद ही कोई विश्वास करता है।दिग्विजय सिंह एक पागल कुत्ते की तरह हैं जो किसी पर भी भौकने और कांटने के लिए दौड़ता है....क्रमश..

1 comment:

  1. देश का दुर्भाग्य है कि लोकतांत्रिक सरकारें ही विरोध के लोकतांत्रिक तरीके को दबाने की कोशिश कर रही है और उल्टे तर्क यह देती है कि लोकतांत्रिक मुल्यों को इस तरह के आंदोलनों से खतरा उत्पन्न हो गया है।

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