आज मैं किसी काम से बाजार गया हुआ था॥लौटते वक्त टैक्सी पकड़ी उसमें मेरे सामने एक लड़का बैठा हुआ था । वह शायद कोई एक्जाम देकर लौट रहा था । क्योंकि उसकी शर्ट की जेब में कॉल लेटर रखा हुआ था उसने कॉल लेटर हाथ में निकाला और कुछ पढ़ने लगा । मेरी उत्सुकता थी कि देखूं किस एक्जाम को देकर वह लौट रहा है...उसका कॉल लेटर देखा तो पता चला कि वह रेलवे भर्ती बोर्ड भोपाल की टीसी की परीक्षा देकर लौट रहा है॥अचानक उसके कॉल लेटर के नीचे नजर गई तो देखा उसमें लिखा हुआ है कि एलिजिबल फॉर फ्री ट्रेवल....उससे चर्चा हुई तो पता चला कि उसके पिता जी सरकारी नौकरी में हैं और अच्छी खासी खेती भी है...पूछने पर उसने बताया कि रिजर्व क्लास के उम्मीदवारों को रेलवे फ्री में एक्जाम के लिए पास जारी करता है...टैक्सी में बैठे हुए अचानक एक दिन पहले की स्मृति में खो गया॥मेरे दोस्त (नाम प्रकाशित नहीं कर सकता) का फोन आया था...काफी दिन बाद फोन किया था उसने ...अधिकांश बार मैं ही उसे फोन कर लेता हूं क्योंकि उसकी माली हालत ठीक नहीं है...हालचाल पूछे उससे...कंपटीशन एक्जाम की तैयारी कर रहा है वह...पूछा कि आजकल कोई एक्जाम नहीं दे रहे हो... उसने बताया कि भोपाल बोर्ड का फार्म भरा था टीसी के पद के लिए...लेकिन एक्जाम नहीं देने जा रहा हूं...और कल ही एक्जाम है॥सेंटर इंदौर में है...पूछा कि क्यों एक्जाम नहीं दे रहे हो तो बताया कि ट्यूशन की फीस नहीं मिली है( वह अपना खर्चा ट्यूशन पढ़ाकर ही निकालता है) और किराए के लिए पैसे नहीं हैं...यह सब सोच ही रहा था कि अचानक मेरा स्टापेज आ गया और टैक्सी रुक गई...टैक्सी से उतरकर पैसे दिए टैक्सी वाले को और अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए सोचने लगा कि काश मेरा दोस्त भी एक्जाम में शामिल हो पाता यदि छूट का दायरा आर्थिक आधार होता....फिर उसके कॉल लेटर में नहीं लिखा होता कि नॉट एलिजबल फॉर फ्री ट्रेवल॥
नितिन शर्मा
ज़ी न्यूज़, छत्तीसगढ़
गलत तो नही कहा शर्मा जी ने।
ReplyDeleteइसी बात की तो लड़ाई है.
ReplyDeletebhartiya sanvidhan se samajvad shabd hata dena chahiye
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