3इडियट्स का विरोध करने वाले ख़ुद इडियट ही नज़र आरहे हैं। विरोधियों का विरोध देख कर सर्प्राइज़ होता है कि भारतीय सियासत में नेताओं के पास मुद्दे नहीं बचे जो वे इस तरह से फालतू की बातों पर अपना वक्त ज़ाया कर रहे हैं साथ ही लोगों के बीच रहने के सस्ते माध्यम को चुन रहे हैं। अफसोस उस वक्त होता है जब ऐंसा करने वाले वो लोग हैं जो एक नई सोच देने वाले राहुल गांधी की पार्टी के सदस्य हैं। और वो भूल गये कि राहुल खुद इस तरह की शिक्षा प्रणाली से ज़्यादा खुश नहीं जिसमें छात्र तो बनते है लेकिन एक पूरे आदमी नहीं बन पाते। साफ सुथरी राजनीति के समर्थक राहुल को इन लोगों को रोकना चाहिए जो चीप पब्लिसिटी के लिए बेमतलव में इस फिल्म का विरोध कर रहें हैं। 3इडियट्स एक अच्छी फिल्म है इसमें आमिर की परिपक्वता और कथानक पूरी तरह से व्यवस्था पर चोट है। विरोध करने वाले भूल गये कि उन्ही के एक मंत्री लगातार शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की बात कह रहे हैं। जी हां याद करें कपिल की ग्रेडिंग प्रणाली जो इस फिल्म से कहीं अलग नहीं है।
भैया विरोध के लिए विरोध मत करो चेतन दद्दा भी ना जाने क्यों इतने परेशान हो रहे हैं। अपनी हंसमुख छवि के बारे में भी तो सोचिए। दरअसल इस फिल्म ने एक बार फिर शो कर दिया कि आमिर एक सधे मंझे और ख़ूब अच्छे कलाकार ही नहीं बल्कि सभ्य औऱ जिम्मेदार इंसान भी हैं। इसके उलट सियासी लोगों के पास कुछ नहीं विरोध धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल है जिसका उन्हे इस्तेमाल करना है। इसी के साथ चेतन भैया को अंदाजा नहीं था फिल्म इतना सक्सेस होगी तभी अब बवंडर खड़ा कर रहे हैं। लेकिन इसी के साथ ये भी सच है कि दर्शकों को इस बात से कोई सरोकार नहीं किस की कहानी है उन्हे सिर्फ फिल्म में कलाकारी भरपूर मनोरंजन और उम्दा आमिरी एक्टिंग से मतलव है साथ इस बात की खुशी भी है कि सिस्टम पर कोई तो है जो सोचता समझता औऱ बदलने की कोशिश करता है। ऐंसा नहीं है कि देश की सिर्फ शिक्षा प्रणाली ही दोषी है बल्कि दोष तो इतने है कि पूरा देश ही बदल जाए सिस्टम तो क्या। आप तो फिल्म देखों और जो राय हो बनाओं चीखने दो सबको। सीटी बजा के बोल......
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