एक आदमी कुछ महीने पहले तक केंद्रीय जांच ब्यूरो का अभियुक्त था। लगभग 90 लाख डॉलर बैंक से ठगने के इल्जाम में उससे पूछताछ की जा रही थी और एक बार मुंबई में उसे गिरफ्तार कर के जमानत पर छोड़ा गया था। इस आदमी को पद्म भूषण दिये जाने की घोषणा की गयी है। इस आदमी का नाम है संत सिंह चटवाल। वह अमेरिकी नागरिक है और बांबे पैलेस के नाम से रेस्टारेंट और हैंप शायर के नाम से बहुत सारे होटल चलाने वाला अरबपति है। ऐसा पहली बार हुआ है।
चटवाल अपने आपको भारतीय नौसेना का भूतपूर्व पायलट बताता है, मगर इस बारे में नौसेना के रिकॉर्ड में कोई जानकारी नहीं है। चटवाल ने अपना जीवन परिचय दिया है, उसके अनुसार इथोपिया की राजधानी आदिस अवाबा में जा कर उसने भारतीय खाने के होटल खोले थे मगर 1975 में वहां राजतंत्र खत्म कर दिया गया और चटवाल की संपत्ति भी जब्त हो गयी। फिर भी वह इतना पैसा अपने साथ ले गया था कि कनाडा के मांट्रियल शहर में एक रेस्टोरेंट खोल दिया।
1979 में चटवाल न्यूयार्क चला गया और वहां बांबे पैलेस रेस्टोरेंट खोला जो अब दुनिया के कई देशों में मौजूद है और दिल्ली में भी उसका इसी नाम से रेस्टोरेंट चलता है। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के करीब रह चुका चटवाल उनके चुनाव अभियान में मोटा चंदा दे चुका है। क्लिंटन के साथ कई बार भारत आया है और क्लिंटन न्यास का सचिव भी है। एक बार अपने आपको दीवालिया घोषित कर चुका है।
अमेरिका के बैंकों का कहना है कि चटवाल बैंकों के पैसे हजम करने के लिए अपने आपको बार-बार दीवालिया घोषित करता है। भारत के कई बैंकों के साथ भी वह यही हरकत कर चुका है और इसी सिलसिले में सीबीआई ने उस पर मुकदमा चलाया था। बाद में चटवाल के संपर्कों के कारण यह मुकदमा वापस ले लिया गया। भारतीय बैंकों का करोड़ों रुपये आज भी उस पर उधार है।
पद्म पुरस्कारों का नियम है कि पुरस्कार पाने वाले पर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चल रहा हो, उसने अपने जीवन परिचय में सही जानकारी दी हो, कभी दीवालिया या पागल न हुआ हो, दुनिया की किसी अदालत में दोषी न हो और आयकर का नियमित भुगतान कर रहा हो। इनमें से पागल होने के प्रावधान के अलावा सारे प्रतिबंध संत सिंह चटवाल लागू होते हैं। इतना ही नहीं संत सिंह चटवाल ने अपना कारोबार सुरक्षित रखने के लिए होटलों की एक शृंखला अपने बेटे विक्रम के नाम खोल दी है और विक्रम का नाम भी इतनी कम उम्र में उसके प्रेम प्रसंगों और नंगी तस्वीरों के लिए कुख्यात हो चुका है।
संत सिंह चटवाल जाहिर है कि बहुत प्रतिभाशाली है। तभी अमेरिका और भारत का कानून उन्हें कुछ नहीं बिगाड़ पाया। मगर चार्ल्स शोभराज भी कम प्रतिभाशाली नहीं हैं और वह भी पिता की ओर से भारतीय मूल के हैं। इससे क्या हुआ कि उनके खिलाफ भारत में बहुत सारे मुकदमे चल चुके हैं और एक बार वह जेल तोड़ कर फरार भी हो चुके हैं। चार्ल्स शोभराज की प्रतिभा से भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी भी काफी प्रभावित रही हैं और आज से पच्चीस साल पहले उन्होंने चार्ल्स शोभराज को अपने ज्ञान का वितरण करने के लिए बिजली से चलने वाला टाइपराइटर उपलब्ध करवाया था। अगर कंप्यूटर और इंटरनेट का जमाना रहा होता तो वह भी चार्ल्स को मिल जाता।
अब चटवाल को सम्मानित कर के भारत सरकार ने साबित कर दिया है कि उसे किसी के अतीत की कोई परवाह नहीं हैं और यह भी साबित हो गया है कि भारत में पद्म पुरस्कार किसी की योग्यताओं के आधार पर नहीं बल्कि संपर्क के आधार पर बांटे जाते हैं। मनमोहन सिंह ने कुछ दिन पहले कहा था कि छोटी मछलियों को पकड़ने से कुछ नहीं होगा, बड़ी मछली पकड़नी चाहिए। हमें नहीं मालूम था कि वे सम्मानित करने के लिए बड़ी मछलियां खोज रहे हैं।
चटवाल अपने आपको भारतीय नौसेना का भूतपूर्व पायलट बताता है, मगर इस बारे में नौसेना के रिकॉर्ड में कोई जानकारी नहीं है। चटवाल ने अपना जीवन परिचय दिया है, उसके अनुसार इथोपिया की राजधानी आदिस अवाबा में जा कर उसने भारतीय खाने के होटल खोले थे मगर 1975 में वहां राजतंत्र खत्म कर दिया गया और चटवाल की संपत्ति भी जब्त हो गयी। फिर भी वह इतना पैसा अपने साथ ले गया था कि कनाडा के मांट्रियल शहर में एक रेस्टोरेंट खोल दिया।
1979 में चटवाल न्यूयार्क चला गया और वहां बांबे पैलेस रेस्टोरेंट खोला जो अब दुनिया के कई देशों में मौजूद है और दिल्ली में भी उसका इसी नाम से रेस्टोरेंट चलता है। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के करीब रह चुका चटवाल उनके चुनाव अभियान में मोटा चंदा दे चुका है। क्लिंटन के साथ कई बार भारत आया है और क्लिंटन न्यास का सचिव भी है। एक बार अपने आपको दीवालिया घोषित कर चुका है।
अमेरिका के बैंकों का कहना है कि चटवाल बैंकों के पैसे हजम करने के लिए अपने आपको बार-बार दीवालिया घोषित करता है। भारत के कई बैंकों के साथ भी वह यही हरकत कर चुका है और इसी सिलसिले में सीबीआई ने उस पर मुकदमा चलाया था। बाद में चटवाल के संपर्कों के कारण यह मुकदमा वापस ले लिया गया। भारतीय बैंकों का करोड़ों रुपये आज भी उस पर उधार है।
पद्म पुरस्कारों का नियम है कि पुरस्कार पाने वाले पर कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चल रहा हो, उसने अपने जीवन परिचय में सही जानकारी दी हो, कभी दीवालिया या पागल न हुआ हो, दुनिया की किसी अदालत में दोषी न हो और आयकर का नियमित भुगतान कर रहा हो। इनमें से पागल होने के प्रावधान के अलावा सारे प्रतिबंध संत सिंह चटवाल लागू होते हैं। इतना ही नहीं संत सिंह चटवाल ने अपना कारोबार सुरक्षित रखने के लिए होटलों की एक शृंखला अपने बेटे विक्रम के नाम खोल दी है और विक्रम का नाम भी इतनी कम उम्र में उसके प्रेम प्रसंगों और नंगी तस्वीरों के लिए कुख्यात हो चुका है।
संत सिंह चटवाल जाहिर है कि बहुत प्रतिभाशाली है। तभी अमेरिका और भारत का कानून उन्हें कुछ नहीं बिगाड़ पाया। मगर चार्ल्स शोभराज भी कम प्रतिभाशाली नहीं हैं और वह भी पिता की ओर से भारतीय मूल के हैं। इससे क्या हुआ कि उनके खिलाफ भारत में बहुत सारे मुकदमे चल चुके हैं और एक बार वह जेल तोड़ कर फरार भी हो चुके हैं। चार्ल्स शोभराज की प्रतिभा से भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी भी काफी प्रभावित रही हैं और आज से पच्चीस साल पहले उन्होंने चार्ल्स शोभराज को अपने ज्ञान का वितरण करने के लिए बिजली से चलने वाला टाइपराइटर उपलब्ध करवाया था। अगर कंप्यूटर और इंटरनेट का जमाना रहा होता तो वह भी चार्ल्स को मिल जाता।
अब चटवाल को सम्मानित कर के भारत सरकार ने साबित कर दिया है कि उसे किसी के अतीत की कोई परवाह नहीं हैं और यह भी साबित हो गया है कि भारत में पद्म पुरस्कार किसी की योग्यताओं के आधार पर नहीं बल्कि संपर्क के आधार पर बांटे जाते हैं। मनमोहन सिंह ने कुछ दिन पहले कहा था कि छोटी मछलियों को पकड़ने से कुछ नहीं होगा, बड़ी मछली पकड़नी चाहिए। हमें नहीं मालूम था कि वे सम्मानित करने के लिए बड़ी मछलियां खोज रहे हैं।
आलोक तोमर
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जनसत्ता की प्रभाष जोशी के नेतृत्व वाली कोर टीम का हिस्सा रहे हैं....सम्प्रति डेटलाइन इंडिया के सम्पादक और सीएनईबी समाचार में सलाहकार संपादक हैं। आलोक जी को आप aloktomar@hotmail.com पर संदेश भेज सकते हैं।)
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जनसत्ता की प्रभाष जोशी के नेतृत्व वाली कोर टीम का हिस्सा रहे हैं....सम्प्रति डेटलाइन इंडिया के सम्पादक और सीएनईबी समाचार में सलाहकार संपादक हैं। आलोक जी को आप aloktomar@hotmail.com पर संदेश भेज सकते हैं।)
सौ में से नब्बे बेईमान, फिर भी मेरा देश महान!
ReplyDeleteजय बजरंग बलि.
पद्मश्री की किसी दिन यह हालत होगी, किसने सोचा था??
ReplyDeleteऐसे व्यक्ति को सम्मान देना ,मतलब अन्य पात्र लोगों का अपमान है
ReplyDeleteअब क्या इन सम्मानों का कोई सम्मान रह गया है?
ReplyDeleteईनाम और सम्मान के बारे मे तो अब सिर्फ़ इतना ही कहा जा सकता है
ReplyDeleteजो चुकाये दाम,
उसका मिले सम्मान,