नेपाल में हुए राष्ट्रपति पद के चुनावों में माओवादियों को ज़बरदस्त झटका लगा है। हुआ ये है संविधान सभा में हुए दूसरे चरण के मतदान में नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार राम बरन यादव राष्ट्रपति चुनाव जीत गए हैं। राम बरन यादव ने रामराजा प्रसाद सिंह को हराया जो पूर्व माओवादी विद्रोहियों के उम्मीदवार थे.
राम बरन को कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल और मधहेशी पीपल्स राइट्स फ़ोरम का समर्थन हासिल था.
रिपोर्टों के अनुसार रामराजा सिंह को 282 मत मिले जबकि राम बरन को 308 मत हासिल हुए.
शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में किसी को भी आवश्यक मत नहीं मिल पाए थे. राष्ट्रपति बनने के लिए 298 मतों की आवश्यकता थी.
शनिवार के मतदान में नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार राम बरन यादव को सर्वाधिक 283 वोट मिले थे जबकि माओवादी पार्टी के रामराजा प्रसाद सिंह 270 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
दूसरे दौर के चुनाव में सिर्फ़ राम बरन यादव और रामराजा प्रसाद सिंह ही आमने-सामने थे.
राम बरन को कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल और मधहेशी पीपल्स राइट्स फ़ोरम का समर्थन हासिल था.
रिपोर्टों के अनुसार रामराजा सिंह को 282 मत मिले जबकि राम बरन को 308 मत हासिल हुए.
शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में किसी को भी आवश्यक मत नहीं मिल पाए थे. राष्ट्रपति बनने के लिए 298 मतों की आवश्यकता थी.
शनिवार के मतदान में नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार राम बरन यादव को सर्वाधिक 283 वोट मिले थे जबकि माओवादी पार्टी के रामराजा प्रसाद सिंह 270 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
दूसरे दौर के चुनाव में सिर्फ़ राम बरन यादव और रामराजा प्रसाद सिंह ही आमने-सामने थे.
लेकिन उप राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में मधेशी जन अधिकार फ़ोरम के परमानंद झा विजयी रहे हैं.
उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में माओवादी पार्टी के शांता श्रेष्ठ, नेपाली कांग्रेस के मान बहादुर विश्वकर्मा और यूएमल के अष्ट लक्ष्मी शाक्य भी शामिल थे.
मधेशी जनअधिकार फ़ोरम के परमानंद झा को 312 मत हासिल हुए थे.
नेपाल में राष्ट्रपति की भूमिका सांकेतिक रहेगी लेकिन नए सरकार के गठन में इसे अहम माना जा रहा है क्योंकि नए प्रधानमंत्री को शपथ राष्ट्रपति ही दिलाएँगे.
संवाददाताओं का कहना है कि राम बरन यादव का राष्ट्रपति चुने जाने से सरकार बनाने की माओवादियों की कोशिश को झटका लगेगा।
उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में माओवादी पार्टी के शांता श्रेष्ठ, नेपाली कांग्रेस के मान बहादुर विश्वकर्मा और यूएमल के अष्ट लक्ष्मी शाक्य भी शामिल थे.
मधेशी जनअधिकार फ़ोरम के परमानंद झा को 312 मत हासिल हुए थे.
नेपाल में राष्ट्रपति की भूमिका सांकेतिक रहेगी लेकिन नए सरकार के गठन में इसे अहम माना जा रहा है क्योंकि नए प्रधानमंत्री को शपथ राष्ट्रपति ही दिलाएँगे.
संवाददाताओं का कहना है कि राम बरन यादव का राष्ट्रपति चुने जाने से सरकार बनाने की माओवादियों की कोशिश को झटका लगेगा।
स्रोत : बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम
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