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...सारा आंकलन ग़लत साबित हुआ...| सभी को आस थी इस  बार की लोक सभा भी त्रिशंकु होगी पर जबचुनाव परिणाम आए तो सभी राजनीती के पंडित भौचक्के रह गए ...| सभी का सोचना था इस बार छोटे दल के हाथसत्ता की चाबी रहेगी वह सरकार बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे....| पर ऐसा हुआ ही नही ..... |    कांग्रेस ने २० सालो के बाद अकेले अपने दम पर २०० से ज्यादा सीट जीतने में सफलता हासिल की ....|इस जीतका पूरा क्रेडिट सोनिया मनमोहन के साथ राहुल गाँधी को जाता है  .....| युवा  तुर्क कार्ड चल गया इस बार ....उत्तरप्रदेश में अकेले लड़ने का राहुल का फेसला सही साबित हुआ और वर्षो से खोया जनाधार  पाने में कांग्रेस इस बारसफल साबित हुई है ....राहुल  ने इस चुनाव में बड़े पैमाने पर चुनावी सभाए करी ....साथ ही संगठन के लिए बड़ेकाम भी जिसका परिणाम आज सभी के सामने है...|अभी राहुल को बहुत आगे  जाना है ...|अपने       दिग्गी राजा कीमाने तो राहुल लम्बी सपर्धा  के  घोडे है ...........
                  दरअसल इस चुनाव में कांग्रेस को भी यह उम्मीद नही थी ,उसका प्रदर्शन इस कदर बढ़िया रहेगा वह २०० के आकडेको पार कर लेगी...|इसका आभास इस बात से लगाया जा सकता था , चुनाव परिणाम आने से पहले सोनिया गाँधीसंप्रग के सभी पुराने  घटकों के साथ बात करने लग गई थी....यह कही न कही इस बात को दिखाता  है की कांग्रेस    भी संप्रग के २६१ के आंकड़े को लेकर आश्वस्त नही थी ...|
             पर जनता  जनार्दन ने इस बार अपना फेसला कांग्रेस के फेवर  में सुना दिया ....कांग्रेस के युवराज का जलवा इस  १५वी  लोक सभा  में चल गया ....| दलित , आदिवासियों के घर  जाकर युवराज  ने उनका हाल  चाल जानना शुरू  करदिया था....| यही से  लगने  लगा था की वह अब राजनीती   को बारीकी से  समझने की कोशिसो को करने में लगे हुएहै॥ अब यह अलग बात है की माया मेमसाहब सरीखी नेत्रियों को उनके दलितों के घर जाने पर  आपत्ति हुआ करतीथी ..|जो भी हो राहुल बाबा की भारत यात्रा इस चुनाव में रंग लायी है..|देश की बड़ी तादात इस बार युवाओ की थीउनके सामने मनमोहन का विकल्प था तो वही दूसरी    .....तरफ़ पी ऍम इन वेटिंग आडवानी का॥  जनता नेआडवानी को नकार दिया ...| मनमोहन की साफ़ छवि इस चुनाव में कांग्रेस के काम आई और भाजपा सरीखीपार्टियों का प्रदर्शन अपने राज्यों में ख़राब हो गया....|  
                          जनादेश ने साफ जता  दिया है अब देश में  जाती  धर्म,  सौदेबाजी वाली राजनीती नही चलेगी .....जनता इन सब सेआजिज आ चुकी है....|वह जानती  है विधान सभा में किसको  वोट देना  है और नगर निगम, पंचायत में किसको...?वीपी सिंह ने एक दौर में कहा था की देश में कुछ वर्षो तक गटबंधन राजनीती  
का दौर रहेगा लेकिन इस बार का चुनाव इस बात का इशारा कर रहा है भारतीय राजनीती  अब इसके  चंगुल से मुक्तहोने जा रही है..|आने वाले  समय में देश की राजनीती दो धुर्वीय रहने की पूरी सम्भावना नजर आ रही है॥| 
                            जहाँ तक कांग्रेस की सफलता का सवाल है तो उसकी कई योजनाओ ने इस बार असर दिखाया है... रोजगारगारंटी, सूचना का अधिकार,किसानो  की ऋण माफ़ी , परमाणु करारनिश्चित ही मनमोहन सिंह के लिए  फायदे का सौदासाबित हुआ  है.....|आर्थिक  मंदी के दौर में कांग्रेस पार्टी की मजबूत नीतियी के चलते भारत पर उतना प्रभाव नहीपड़ा जितना अन्य देशो में पड़ा है....|मनमोहन को आगे कर सोनिया ने  सही फेसला लिया...|आज भी उनकीमध्यम वर्ग में "मिस्टर क्लीन " की छवि बनी है जिसका लाभ लेने में कांग्रेस सफल  रही...|अब मनमोहन के नेत्रित्व   में देश  में आर्थिक सुधार तेजी से आगे बढेंगे ऐसी उम्मीद है.....|इस बार वाम सरीखे दल भी उनकी राह का रोड़ा नही बनेंगे  जो बार बार सरकार की टांग खीचते आ रहे थे....|   
                           वही भाजपा की लुटिया इस चुनाव में डूब गई..|पिछली बार "भारत उदय " ले डूबा था इस बार "हाई टेक "प्रचारआडवानी का जहाज डुबो गया...|पार्टी में  आडवानी के नाम को लेकर एका नही था..राजनाथ आडवानी ३६ काआंकडा जगजाहिर ही था...|राजनाथ के साथ जेटली का तकरार भी पार्टी को इस चुनाव में भारी पड़ी है..|भाजपा केपास कोई मुद्दा ही नही था.....|आडवानी बार बार मनमोहन को कोसते रहते थे "लोक सभा  चुनाव लड़ने से वह क्योंडर रहे है॥ सत्ता का असली केन्द्र १० जनपद है॥ मनमोहन कमजोर है..."|यह सब लोगो  को नही भाया ...|ख़ुदआडवानी का सपना अधूरा रह      गया.....|पी ऍम बन्ने का सपना टूट गया ....|साथ ही वामपंथियों का हाल  भी  बेहालहो गया....|केरल और पश्चिम बंगाल से वामपथियों का सफाया हो गया....| 
                      बहरहाल कहने को तो बहुत कुछ है पर  लब्बोलुआब  यह है की जनता  ने  इस बार स्थिर सरकार के लिए कांग्रेस कोवोट दिया है ....| जनता की  आशाओ     पर खरा  उतरने की एक बड़ी चुनोती उसके सामने है ॥| अच्छी बात यह है कीइस बार सहयोगियों से कांग्रेस  को कम दबाव झेलना पड़ेगा.....क्युकि संप्रग २६१ तक पहुच चुका है ॥  जनादेशकांग्रेस के  फेवर में रहा है इस लिहाज से सभी अहम् मंत्रालय वह अपने पास रखना पसंद करेगी.....|लालू ,पासवानसरीखे लोग इस बार अपनी हेकडी नही मार सकेंगे कि फलाना विभाग हमको दो ........नही तो हम तुमको समर्थननही देंगे? पासवान को भी  बिहार की जनता ने दिखा दिया     है काम नही करोगे तो ऐसा ही हस्र होगा....|अबविपक्षियों को चाहिए वह जनादेश का सम्मान करे और ५ साल तक सरकार की कमियों को जोरदार ढंग से उजागरकरे ॥ ५ साल सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए.......|    बीते ५ सालो में भाजपा को यह बात समझ  नही आई... वहइस बात  को समझ ही नही पायी क्यों  अटल   जी का " भारत उदय" बीजेपी की नैया पिछली बार पार नही  लग सकी .. कम  से कम इस बार इस गलती को सुधारे  जाने की कोशिस उसके द्वारा होनी चाहिए थी जो नही हुई..... लुधियाना  में  आडवानी के रास्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के "मेगा शो" को देखनेसे तो ऐसालग रहा था  जैसेआडवानी इस बार पी ऍम बनकर ही रहेंगे....राजनाथ का आत्मविश्वास भी चुनाव परिणामो से पहले इस बात को बता रहा था पार्टी ने पिछली हार से सबक लिया है ... |पर परिणाम आने पर सभी के अनुमानों की हवा निकल गई    ...
    पार्टी  में वाजपेयी _आडवानी युग अब खत्म हो चुका है ....आडवानी के साथ "मोदी फैक्टर "की भी इस चुनाव मेंहवा निकल चुकी है ....|भले ही अपने गुजरात में वह हिंदू ह्रदय सम्राट जननेता हो लेकिन पूरे देश में  उनकी कैसीछवि है यह इस चुनाव में सभी के सामने आ गई है...|वह पार्टी के बड़े  स्टार प्रचारक इस चुनाव में थे ॥ सबसे ज्यादाचुनाव प्रचार उनके द्वारा किया     गया पर सीटो पर फायदा  होने के बजाये पार्टी को घाटा  हुआ है  ..... २०१४ के लिए पार्टी को अभी  से तैयारीशुरू कर देनी    चाहिए....|साथ ही कोई नया नेतृत्व सामने लाना होगा....|८० के बुदापे में ओबामा जैसा पी ऍम वेटिंगलाने से काम नही चलेगा ....|राहुल के मुकाबले के लिए २०१४ में राहुल की टक्कर का कोई  नेता खोजनाहोगा....तभी बात बनेगी....| मात्र "मजबूत नेता निर्णायक सरकार " और  इन्टरनेट के प्रचार के सहारे सरकार बनने   की कल्पना करना "मुंगेरी लाल के हसीं सपने" देखने जैसा है....| बड़ी पार्टी  की कतार में आना  है  तो आपकोग्रासरूट  लेवल  तक जाना होगा..... गाव गाव में अपना संगठन तैयार करना होगा.....|  आडवानी जी केवल विन्ध्य में भगवा लहराने से काम नही चलेगा.....पूरे देश में पार्टी को पाँव पसारने होंगे....|कांग्रेस अब राहुल के नेतृत्व मेंयही करेगी....|गाव गाव तक उसकी पकड़ मजबूत है... पार्टी का  पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण  में आधार  है ही  .... | कांग्रेस के युवराज अब उसमे खाद डालने का काम करेंगे ताकि २०१४ तक उसमे अच्छी फसल लहरा जाए औरराहुल गाँधी २०१४ में प्रधानमंत्री रुपी ताज अकेले अपनी कांग्रेस पार्टी के बूते हासिल करे ....