एक क्लिक यहां भी...

Saturday, May 30, 2009

दोस्तों, काफी दिनों बाद केव्स के ब्लॉग पर लिख रहा हु , लेकिन लगातार ब्लॉग को पढता रहता था। ई टी वी में जा ने के बाद शायद ये मेरी पहली पोस्ट होगी। इसलिए हल्की फुल्की शुरुआत करते हुआ मै लोस चुनाव के नतीजो को पोस्ट कर रहा हु...




भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
२०५
भारतीय जनता पार्टी
११६
समाजवादी पार्टी
२२
बहुजन समाज पार्टी
२१
जनता दल (युनाइटेड)
२०
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस
१९
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़ग्म
१८
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
१६
बीजू जनता दल
१४
शिवसेना
११
निर्दलीय

नेशनल कांफ्रेंस
3
राष्ट्रीय लोक दल
5
नैश्नलिस्ट कांग्रेस पार्टी

अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़ग्म (एआईएडीएमके)

तेलुगू देसम

राष्ट्रीय लोक दल

Friday, May 29, 2009

मेरी किताब छप गई दोस्तों !

मुझे आप सबको ये बताते हुए अत्यन्त खुशी हो रही है की मेरी कविताओं का पहला संग्रह "अमां यार" के नाम से अपर्णा पब्लिकेशन, भोपाल ने प्रकाशित किया है । "अमां यार" के नाम से मेरे ब्लॉग को भी जाना जाता है और अब मेरी किताब भी इसी नाम से है .....

अमां यार दरअसल मेरी उन कविताओं का संकलन है जिन्हें मैंने भोपाल में रहते हुए स्नातकोत्तर की पढ़ाई के दौरान लिखा है ....इसी लिए अमां यार के बारे में मैं कहता हूँ की ये दरअसल कोई काव्य कृति नही जिससे कविता के किसी नए गोत्र का उद्भव हो रहा हो...न ही इस पुस्तक से मैं साहित्य के किसी मठ में जगह पाना चाहता हूँ....ये तो दरअसल कॉलेज कैंटीन में , या ऑफिस के बाहर चाय की गुमटी पर सजी यारों की महफिल है जिसमे इस बार मैं अपना कलाम सुना रहा हूँ....अमां यार को मैंने मित्रता की अनंत यात्रा को ही समर्पित भी किया है ...

अमां यार का प्राक्कथन जैसा की मेरी हमेशा से इच्छा थी , बशीर बद्र साहब ने लिखा है , इसके अतिरिक्त इस पर हमारे लखनऊ की शान योगेश प्रवीण साहब , और मध्य प्रदेश के कला-पत्रकार विनय उपाध्याय ने भी अपने उदगार व्यक्त किए हैं ...

उम्मीद है आपको मेरा ये पहला प्रयास पसंद आएगा और आप मेरे कवित्त्व की न सही पर मेरे प्रयास को तो पहचानेंगे ही.... पुस्तक ३ तारीख के बाद बाज़ार में उपलब्ध हो जायेगी , क्यूंकि ३ को हमारे विश्वविद्यालय के कुलपति इसका विमोचन करेंगे .... न प्राप्त होने की दशा में आप सीधे मुझसे संपर्क साध सकते हैं .....

हिमांशु बाजपेयी

फ़ोन - 9981907330

Wednesday, May 27, 2009

चोरी या.....सीना जोरी.....




ज़बरदस्त विलंब या कहें विराम के बाद आज एक बार फिर आप सब के सामने हूँ....दरअसल इस विराम का कारण हमारे और कई माननीय ब्लॉगर बंधुओं की भाँती विश्राम की कामना नहीं था...अपितु इसका कारण रहा मेरा नौकरी .....या कहें संस्थान बदल लेना..क्यूंकि नौकरी तो पत्रकारिता की ही करनी है...,.हुआ ये की भाई अपन ने ज़ी न्यूज़ से रेसाइन दे मारा और पहुंच गए एक छोटे से चेंनेल सी एन ई बी में.....(ज्यादा जानकारी के लिए देखें http://www.cneb.in/) और उसके बाद ससुरा ऐसा चुनाव में फंसे कि ना ख़ुद का पता मिला ना ख़बर यार की मिली ...और महीने भर तक वो राग्दाई हुई कि पूछो मत ...सो अब चुनाव की टेंशन निपटी और वक़्त मिलना शुरू हुआ है....तो भाई लोग बहन लोग...आज चुनाव की परिणिति यानी की शपथ ग्रहण से जुदा एक किस्सा बयान कर रझा हूँ...देख कर हँसी भी आएगी और गुस्सा भी....
तो हुआ ये कि ख़बरों की दुनिया के माई बाप होने के गुमान में चूर एक चैनल ने फिर ऐसी करतूत की कि उन पर उठने जा रहे जूते भी शर्मिंदा होकर पैरों में रह गए.... देश भर में मशहूर....????? इंडिया टीवी नाम के इस चैनल ने प्रधानमन्त्री और मंत्री परिषद् का शपथ ग्रहण दिखायासभी चैनलों न्जे दिखाया ...पर कहाँ से ज़ाहिर है डीडी से उधारी में...क्यूंकि अशोका हाल के अन्दर और किसी कैमरे की इजाज़त नहीं है...पर ससुर इन लोगों की बेशर्मी देखिये कि सामने सामने डी डी से विसुअल ले कर लाइव दिखा रहे हैं....डी डी की चैनल ईद भी साफ़ नज़र आ रही है पर बेगैरत कह रहे हैं कि ये इंडिया टीवी का प्रसारण है....हेडर और फूटर ऐसे कि बड़े से बड़े धोखेबाज भी शर्मा जाएँ.....ज़रा नज़र डालें....

ये कहते हैं इंडिया टीवी पर देखिये पूरा शपथ ग्रहण.....तो क्या डीडी पर खो खो का मैच लाइव आ रहा था.....और बाकी चैनल क्या अधूरा शपथ ग्रहण दिखा रहे थे.......खैर अभी तक डी डी ने कोई आपत्ति नहीं की है....
दूसरा सीन सबसे मजेदार था.....इंडिया टीवी कहता है ...देखिये शपथ ग्रहण ६ कैमरों से लाइव ......तो ससुरों ये बताओ की ये कैमरे डी डी के हैं या तुम्हारे....गजब का अनैतिक साहस है भाई...और झूठ बोलने में गजब का आत्मविश्वास....रजत जी बधाई के पात्र हैं...अपनी अदालत में कभी ख़ुद को भी बुलाएं माँ कसम बड़ा मज़ा आएगा....हां और जनता यह निर्णय करे की ये चोरी है....या सीना जोरी.....

इस बार इतना विलंब नहीं होगा फिर मिलेंगे........

Tuesday, May 19, 2009

कांग्रेस चली राहुल की राह ................................












........सारा आंकलन ग़लत साबित हुआ...| सभी को आस थी इस बार की लोक सभा भी त्रिशंकु होगी पर जबचुनाव परिणाम आए तो सभी राजनीती के पंडित भौचक्के रह गए ...| सभी का सोचना था इस बार छोटे दल के हाथसत्ता की चाबी रहेगी वह सरकार बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे....| पर ऐसा हुआ ही नही ..... | कांग्रेस ने २० सालो के बाद अकेले अपने दम पर २०० से ज्यादा सीट जीतने में सफलता हासिल की ....|इस जीतका पूरा क्रेडिट सोनिया मनमोहन के साथ राहुल गाँधी को जाता है .....| युवा तुर्क कार्ड चल गया इस बार ....उत्तरप्रदेश में अकेले लड़ने का राहुल का फेसला सही साबित हुआ और वर्षो से खोया जनाधार पाने में कांग्रेस इस बारसफल साबित हुई है ....राहुल ने इस चुनाव में बड़े पैमाने पर चुनावी सभाए करी ....साथ ही संगठन के लिए बड़ेकाम भी जिसका परिणाम आज सभी के सामने है...|अभी राहुल को बहुत आगे जाना है ...|अपने दिग्गी राजा कीमाने तो राहुल लम्बी सपर्धा के घोडे है ...........
दरअसल इस चुनाव में कांग्रेस को भी यह उम्मीद नही थी ,उसका प्रदर्शन इस कदर बढ़िया रहेगा वह २०० के आकडेको पार कर लेगी...|इसका आभास इस बात से लगाया जा सकता था , चुनाव परिणाम आने से पहले सोनिया गाँधीसंप्रग के सभी पुराने घटकों के साथ बात करने लग गई थी....यह कही कही इस बात को दिखाता है की कांग्रेस भी संप्रग के २६१ के आंकड़े को लेकर आश्वस्त नही थी ...|

पर जनता जनार्दन ने इस बार अपना फेसला कांग्रेस के फेवर में सुना दिया ....कांग्रेस के युवराज का जलवा इस १५वी लोक सभा में चल गया ....| दलित , आदिवासियों के घर जाकर युवराज ने उनका हाल चाल जानना शुरू करदिया था....| यही से लगने लगा था की वह अब राजनीती को बारीकी से समझने की कोशिसो को करने में लगे हुएहै॥ अब यह अलग बात है की माया मेमसाहब सरीखी नेत्रियों को उनके दलितों के घर जाने पर आपत्ति हुआ करतीथी ..|जो भी हो राहुल बाबा की भारत यात्रा इस चुनाव में रंग लायी है..|देश की बड़ी तादात इस बार युवाओ की थीउनके सामने मनमोहन का विकल्प था तो वही दूसरी .....तरफ़ पी ऍम इन वेटिंग आडवानी का॥ जनता नेआडवानी को नकार दिया ...| मनमोहन की साफ़ छवि इस चुनाव में कांग्रेस के काम आई और भाजपा सरीखीपार्टियों का प्रदर्शन अपने राज्यों में ख़राब हो गया....|

जनादेश ने साफ जता दिया है अब देश में जाती धर्म, सौदेबाजी वाली राजनीती नही चलेगी .....जनता इन सब सेआजिज चुकी है....|वह जानती है विधान सभा में किसको वोट देना है और नगर निगम, पंचायत में किसको...?वीपी सिंह ने एक दौर में कहा था की देश में कुछ वर्षो तक गटबंधन राजनीती

का दौर रहेगा लेकिन इस बार का चुनाव इस बात का इशारा कर रहा है भारतीय राजनीती अब इसके चंगुल से मुक्तहोने जा रही है..|आने वाले समय में देश की राजनीती दो धुर्वीय रहने की पूरी सम्भावना नजर रही है॥|

जहाँ तक कांग्रेस की सफलता का सवाल है तो उसकी कई योजनाओ ने इस बार असर दिखाया है... रोजगारगारंटी, सूचना का अधिकार,किसानो की ऋण माफ़ी , परमाणु करारनिश्चित ही मनमोहन सिंह के लिए फायदे का सौदासाबित हुआ है.....|आर्थिक मंदी के दौर में कांग्रेस पार्टी की मजबूत नीतियी के चलते भारत पर उतना प्रभाव नहीपड़ा जितना अन्य देशो में पड़ा है....|मनमोहन को आगे कर सोनिया ने सही फेसला लिया...|आज भी उनकीमध्यम वर्ग में "मिस्टर क्लीन " की छवि बनी है जिसका लाभ लेने में कांग्रेस सफल रही...|अब मनमोहन के नेत्रित्व में देश में आर्थिक सुधार तेजी से आगे बढेंगे ऐसी उम्मीद है.....|इस बार वाम सरीखे दल भी उनकी राह का रोड़ा नही बनेंगे जो बार बार सरकार की टांग खीचते रहे थे....|

वही भाजपा की लुटिया इस चुनाव में डूब गई..|पिछली बार "भारत उदय " ले डूबा था इस बार "हाई टेक "प्रचारआडवानी का जहाज डुबो गया...|पार्टी में आडवानी के नाम को लेकर एका नही था..राजनाथ आडवानी ३६ काआंकडा जगजाहिर ही था...|राजनाथ के साथ जेटली का तकरार भी पार्टी को इस चुनाव में भारी पड़ी है..|भाजपा केपास कोई मुद्दा ही नही था.....|आडवानी बार बार मनमोहन को कोसते रहते थे "लोक सभा चुनाव लड़ने से वह क्योंडर रहे है॥ सत्ता का असली केन्द्र १० जनपद है॥ मनमोहन कमजोर है..."|यह सब लोगो को नही भाया ...|ख़ुदआडवानी का सपना अधूरा रह गया.....|पी ऍम बन्ने का सपना टूट गया ....|साथ ही वामपंथियों का हाल भी बेहालहो गया....|केरल और पश्चिम बंगाल से वामपथियों का सफाया हो गया....|

बहरहाल कहने को तो बहुत कुछ है पर लब्बोलुआब यह है की जनता ने इस बार स्थिर सरकार के लिए कांग्रेस कोवोट दिया है ....| जनता की आशाओ पर खरा उतरने की एक बड़ी चुनोती उसके सामने है | अच्छी बात यह है कीइस बार सहयोगियों से कांग्रेस को कम दबाव झेलना पड़ेगा.....क्युकि संप्रग २६१ तक पहुच चुका है जनादेशकांग्रेस के फेवर में रहा है इस लिहाज से सभी अहम् मंत्रालय वह अपने पास रखना पसंद करेगी.....|लालू ,पासवानसरीखे लोग इस बार अपनी हेकडी नही मार सकेंगे कि फलाना विभाग हमको दो ........नही तो हम तुमको समर्थननही देंगे? पासवान को भी बिहार की जनता ने दिखा दिया है काम नही करोगे तो ऐसा ही हस्र होगा....|अबविपक्षियों को चाहिए वह जनादेश का सम्मान करे और साल तक सरकार की कमियों को जोरदार ढंग से उजागरकरे साल सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए.......| बीते सालो में भाजपा को यह बात समझ नही आई... वहइस बात को समझ ही नही पायी क्यों अटल जी का " भारत उदय" बीजेपी की नैया पिछली बार पार नही लग सकी .. कम से कम इस बार इस गलती को सुधारे जाने की कोशिस उसके द्वारा होनी चाहिए थी जो नही हुई..... लुधियाना में आडवानी के रास्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के "मेगा शो" को देखनेसे तो ऐसालग रहा था जैसेआडवानी इस बार पी ऍम बनकर ही रहेंगे....राजनाथ का आत्मविश्वास भी चुनाव परिणामो से पहले इस बात को बता रहा था पार्टी ने पिछली हार से सबक लिया है ... |पर परिणाम आने पर सभी के अनुमानों की हवा निकल गई ...

पार्टी में वाजपेयी _आडवानी युग अब खत्म हो चुका है ....आडवानी के साथ "मोदी फैक्टर "की भी इस चुनाव मेंहवा निकल चुकी है ....|भले ही अपने गुजरात में वह हिंदू ह्रदय सम्राट जननेता हो लेकिन पूरे देश में उनकी कैसीछवि है यह इस चुनाव में सभी के सामने गई है...|वह पार्टी के बड़े स्टार प्रचारक इस चुनाव में थे सबसे ज्यादाचुनाव प्रचार उनके द्वारा किया गया पर सीटो पर फायदा होने के बजाये पार्टी को घाटा हुआ है ..... २०१४ के लिए पार्टी को अभी से तैयारीशुरू कर देनी चाहिए....|साथ ही कोई नया नेतृत्व सामने लाना होगा....|८० के बुदापे में ओबामा जैसा पी ऍम वेटिंगलाने से काम नही चलेगा ....|राहुल के मुकाबले के लिए २०१४ में राहुल की टक्कर का कोई नेता खोजनाहोगा....तभी बात बनेगी....| मात्र "मजबूत नेता निर्णायक सरकार " और इन्टरनेट के प्रचार के सहारे सरकार बनने की कल्पना करना "मुंगेरी लाल के हसीं सपने" देखने जैसा है....| बड़ी पार्टी की कतार में आना है तो आपकोग्रासरूट लेवल तक जाना होगा..... गाव गाव में अपना संगठन तैयार करना होगा.....| आडवानी जी केवल विन्ध्य में भगवा लहराने से काम नही चलेगा.....पूरे देश में पार्टी को पाँव पसारने होंगे....|कांग्रेस अब राहुल के नेतृत्व मेंयही करेगी....|गाव गाव तक उसकी पकड़ मजबूत है... पार्टी का पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण में आधार है ही .... | कांग्रेस के युवराज अब उसमे खाद डालने का काम करेंगे ताकि २०१४ तक उसमे अच्छी फसल लहरा जाए औरराहुल गाँधी २०१४ में प्रधानमंत्री रुपी ताज अकेले अपनी कांग्रेस पार्टी के बूते हासिल करे ....


बहुत याद आए

अपने लोग अपनी बातें और ढेर सारी खुशियाँ............. लम्बे समय तक खाली बैठे रहना, छोटी छोटी बातों पर देर देर तक गुस्सा करना और पूरे दिन कैन्टीन के पीछे टाइम पास। वो दिन जब याद आते हैं तो भोपाल आँखों के सामने किसी फिल्म की तरह नाचने लगता है।ढेर सारा खाली वक़्त और उसे बिताने के अजीबोग़रीब बहाने ....... बिल्कुल सपना बन चुकी हैं ये चीजें........................। अब तो सब परीक्षाओं की तैयारी में लगे होंगे। वापस आने की बात से ही मन उछाह ले रहा है बस राम जी की कृपा से सब ठीक ठाक निपट जाए।

Sunday, May 17, 2009

चुनाव परिणाम घोषित होने का परिणाम ...

और १६ मई आयी और चली भी गयी ...... ये दिन रहा कांग्रेस के नाम , २५० से ज्यादा सीटें । लगभग हर जगह सुधरा हुआ प्रदर्शन । उत्तर प्रदेश में तो जैसे पुनर्जन्म। राहुल का करिश्मा कहें, काम की ताक़त कहें, कार्यकर्ताओं की बात करें ......लेकिन हम किसी एक पार्टी की बात न करके सियासत की बात करेंगे....हम देखेंगे की इन चुनावों ने केवल को नही, भारतीय राजनीति को क्या दिया

दरअसल जो परिणाम हमारे सामने हैं वो कुछ अच्छे बिन्दुओं की तरफ इशारा कर रहे हैं ....

देश क्षेत्रीय दलों की ब्लैकमेलिंग वाली राजनीति को अब नही झेलना चाहता ....(सपा , बसपा , राजद , लोजपा का हाल ...)

देश धीरे-धीरे द्विदलीय प्रणाली और इसमे भी एक दल के स्पष्ट बहुमत की तरफ बढ़ रहा है ....( २६१ सीट का यूपीऐ , ॥)

देश बहुबल्यों से छुटकारा चाहता है ...(मुख्तार, अन्ना ....)

दिग्गज होना नही बल्कि आपको काम बचायेगा ...(पासवान तो एक नाम है क्यूंकि गिनीज़ वाले थे....)

देश कट्टर छवि को हज़म करने में अब असमर्थ है ...(अडवानी भी बुरे उम्मीदवार नही थे)

युवा जल्द ही राजनीति पर छाने वाले हैं.....( जितिन, राहुल, वरुण, सभी की बात है )

राजनीति में गढ़ अब पुराने हो कर दरकने लगे हैं ...( बंगाल का लाल किला... )


मेरे पास अभी समय कम है आप ने भी विश्लेषण तो ज़रूर किया होगा ...जो बिन्दु आपको दिखे वो आप भी ज़रूर भेजें ....अगर ऊपर के किसी बिन्दु से सहमत हों तो वो भी ज़रूर लिखें .....हाँ एक गंभी बिन्दु याद आ गया है तो उसे लिखना ही पड़ेगा....वोट प्रतिशत बहुत कम रहा है ...... ये एक गंभीर मसला है...

Saturday, May 9, 2009

ना सूत... ना कपास.....जुलाहों में लट्ठम लट्टा.........









उपर की यह उक्ति भारतीय राजनेताओ पर फिट बैठती है ... अभी लोक सभा के चुनाव चल रहे है ..... चुनावो केसभी चरण पूरे भी नही हो पाये है कि अपने राजनेताओ में कुर्सी हथियाने की कवायद शुरू हो गई है ... इन नेताओने आज देश का भट्टा बैठा दिया है... राजनीती में आज शुचिता जैसी बातें गुम हो चुकी है.... १५ वी लोक सभा मेंकोई मुद्दे नही है... आज एक दूसरे पर आरो़प वाली नई राजनीती शुरू हो गई है...ऐसे में सभी राजनेताओ में एकदूसरे को नीचा दिखाने का चलन शुरू हो गया है.... जनता के मुद्दे हासिये पर चले गए है .... भारतीय राजनीती काबाजार इन दिनों पी ऍम वेटिंग के नाम पर कुलाचे मार रहा है...सबसे पहले भाजपा की बात शुरू करते है.... आडवानी को पिछले १ साल से पीं ऍम बन्ने की तैयारियों में जुटे है... संघ के द्वारा जब से उनको पी ऍम इन वेटिंगघोषित किया गया है तब से वह रात को सही से सो भी नही पा रहे है .... ८० की उम्र में ओबामा जैसा जोश दिखा रहेहै.... गूगल पर कुछ भी सर्च मारो ... कमाल है अपने आडवानी साहब ही तस्वीरो में छाए है ... पड़ोसी अखबारों कोभी खोल लो तो आडवानी का चमकता दमकता चेहरा पी ऍम इन वेटिंग के रूप में दिखाई देता है... बीजेपी का वाररूम हो या प्रचार सामग्री हर जगह अपने आडवानी ही .... उनके रणनीति कारो ने उनको पी ऍम बनाने के लिए एडीचोटी का जोर लगाया है... बीजेपी के एक राज्य स्तरीय कैबिनेट मंत्री की माने तो इस बार पार्टी आडवानी को पी ऍमबनाने के लिए एकजुट है ... पैसा प्रचार सामग्री में पानी कि तरह बहाया जा रहा है... प्रचार का नया तरीकाआजमाया जा रहा है... आडवानी को युवा के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है.... अभी कुछ समय पहले तकआडवानी के जिम जाने पर खासी बहस तेज हो गई थी... बताया जाता है कि जिम जाकर आडवानी यह दिखाने किकोशिश करने में लगे थे भले ही वह ८० का पड़ाव पार कर चुके है लेकिन आज की डेट में उनसे स्वस्थ नेता कोईनही है जिसमे युवा होने के सभी गुण दिखाई देते है... आडवानी जी आपने पी ऍम को निश्चित ही नौटंकी बना कररख दिया है... क्या आपके जिम शिम जाने और इन्टरनेट की तर्ज पर प्रचार करने से आपको प्रधान मंत्री की कुर्सीमिल जायेगी? होगा तो वही जिसके भाग्य में पी ऍम बनना लिखा होगा वही बनकर रहेगा..... यार हद ही हो गई ... भारत में इस तरह से किसी को पी ऍम इन वेटिंग बनाने कि परम्परा ही नही थी... इस १५ वी लोक सभा में आपनेइस बार वेटिंग की नई परम्परा का आगाज कर दिया जिसके लिए हम सभी आपके आभारी है... आप पिछले १साल से भारत के पी ऍम इन वेटिंग बनकर जिस तरीके से प्रचार कर रहे है उसको देखते हुए अगर इस १५ वी लोकसभा में सभी ने अपने को पी ऍम इन् वेटिंग की लम्बी लिस्ट में शामिल कर लिया तो इसमे बुरा क्या हुआ? सभीको पी ऍम बन्ने का हक़ है.... केवल आप ही नही है इस पद के दावेदार...वैसे मैंने आप जैसा नेता नही देखा... आपमेंदेश को आगे लेकर जाने की सारी योग्यताये है इस बात से मै इनकार नही कर सकता... आप हिंदुस्तान के सबसेस्वस्थ राजनेता आज की डेट में है इस बात से भी मै इनकार नही कर सकता ... आपने बीजेपी को इकाई के अंक सेसैकडे के अंको तक पहुचाया है इस बात के लिए भी आप बधायी के पात्र है... पर पता नही क्यों आडवानी जी मुझकोयह लगता है इस बार आप प्रधानमंत्री बन्ने के लिए उतावले बने है ... सबसे दुःख की बात तो यह है इस चुनाव मेंअटल बिहारी वाजपेयी जी नही है जिस कारण उनकी कमी आपकी पार्टी को ही नही पूरे देश को खल रही है... आपके रथ के एक सारथी के इस चुनाव में साथ नही होने से इस चुनाव में भाजपा के लिए आगे की डगर आसाननही लग रही है....आडवाणी जी बुरा मत मानियेगा.... आपके सितारे इस चुनाव में मुझको गर्दिश में नजर आ रहे हैवैसे राजनीती में किसकी व्यक्तिगत आकांशा पी ऍम बन्ने की नही होगी? शायद सभी की होगी ?अटल जी केरहते पार्टी में जो अनुशासन और एकता रहती थी अब शायद वह भाजपा में बीते दिनों की बात हो गई है ... आपकीछवि अटल जी की तरह उदार नही है ... भले ही आप अपनी इस उग्र हिंदुत्व वादी छवि को तोड़ने के लिए तरह तरहके टोटके अपनाए ... इसको पहले जैसा ही रहना है... आप मुसलमानों के बीच जाकर अपने तो अटल जी जैसा पेशकरने से बाज आएये तो सही रहेगा... बड़े होने के साथ आदमी का स्वभाव जैसा रहता है उसमे आगे चलकर किसीभी तरह का बदलाव आने की सम्भावना नही लगती ... ऐसा आपके साथ भी है... अतः इस ढोंग को बंद करे तोअच्छा रहेगा....अटल जी ने आज अपने को स्वास्थ्य कारणों से राजनीती से भले ही दूर कर लिए हो लेकिन आपकीपार्टी को चाहिए कि उनके दिशा निर्देश आप इस चुनावों में लेते रहे... अटल जी जब तक पार्टी में थे तो उनके बाददूसरा स्थान पार्टी में आपका हुआ करता था॥ उस दौर में नारे लगा करते थे भाजपा के लाल "अटल , आडवानी, मुरली मनोहर".... साथी ही अबकी बारी अटल बिहारी का नारा भी मैं नही भूला हूँ बचपन में गली कूचो में इस गानेके बोल बीजेपी के प्रचार में सुने है...लेकिन आडवानी जी इस बार "अबकी बारी आडवानी " के नारे फीके पड़ गएहै॥आपकी पार्टी में आपको पी ऍम बन्ने को लेकर एका नही है॥ दूसरी पात के नेताओ में आपको लेकर मदभेद हैराजनाथ सिंह के साथ आपका ३६ का आंकडा अभी भी जारी है ... शीत युद्घ ख़तम नही हुआ है.... कुछ महीनेपहले सुधांशु मित्तल की पूर्वोतर के प्रभारी के तौर पर की गई तैनाती के बाद इन अटकलों को फिर एक बार बलमिलना शुरू हो गया ... मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता को आप पार्टी में आगे नही देखना चाहते थे ... इसी के चलतेआपके उनके साथ वाजपेयी के समय से ही मतभेद रहे है॥ आज वह भी हाशियेमें चले गये है ॥ भले ही डॉ जोशीआज चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथो में संभाले हुए है पर वह भी आपके धुर विरोधी है॥ राजनाथ के साथआपका ३६ का आंकडा जगजाहिर है ...ऐसे मैं आपके पी ऍम इन वेटिंग बन्ने का सपना शायद ही साकार हो पायेगाजसवंत सिंह के साथ आपके मतभेद राजस्थान के चुनावो में उजागर हुए थे॥ वसुंधरा राजे सिंधिया का राजशीकाम करने का ढर्रा जसवंत को नही भाया पर आपने वसुंधरा को फटकार नही लगायी जिसके चलते राजस्थान मेंबीजेपी का जहाज डूब गया ॥ आडवानी जी इतना ही नही आपकी " माय कंट्री माय लाइफ " के विमोचन के बादआपने यह बयान दिया की कंधार में आतंकियों को छोड़ने के फेसले के समय वह बैठक में मौजूद नही थे ... यहबयां पूरी तरह से झूठा है ... आपकी पार्टी के कई नेताओ के साथ वाजपेयी सरकार में रक्षा सलाहकार रहेब्रिजेशमिश्रा ने आपके दावो की हवा निकाल दी ॥ अब आप सफाई देते नही फिरना .... अपने को बड़ा तीस मारखान माने आप बैठे है ॥ यह सत्ता के प्रति इतना लोभ सही नही है आडवानी जी... सभी के साथ आपकी ट्यूनिंगसही से मैच नही कर रही है जिस कारन मुझको आपकी प्रधान मंत्री वाली राह काँटों से भरी दिखाई दे रही है ...दूसरीबात यह है आप शायद अपना मुह बंद करे नही रहे सकते है... बार बार एक ही बात चुनावो में कहे जा रहे है ... मनमोहन सबसे कमजोर प्रधानमंत्री है.... सत्ता का केन्द्र दस जनपद है... यह सब क्या है ॥ मनमोहन जी जितनेशालीन नेता है उसकी मिसाल आज तक शायद भारतीय लोकत्रंत्र के इतिहास में देखने को नही मिलती है॥ उनकीइसी शालीनता और विद्वत्ता ने उनको देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुचाया है ... आडवाणी जी उनमेसहनशीलता भी है तभी तो वह आपकी दस जनपद वाली हर बात को सुनते आ रहे थे॥ लेकिन सहने की भी एकसीमा होती है .... फिर बीच बीच में आपकी नई ललकार ... सीधे मनमोहन को टेलीविज़न में बहस करने का न्योतादे डाला ... मनमोहन जी ने इस पर कुछ बयान देने से मना कर दिया .... कांग्रेस ने बचाव का रास्ता अपना लिया... आप भी कभी कभी क्या कर देते है आडवानी जी ? अब आप पर माना ८० के बुदापे में ओबामा जैसा बन्ने का जोशजो चदा है तो इसका मतलब यह तो नही की आप वह सब करने की बात कहे जो अमेरिका में होता आया है... वहांतो केवल २ पार्टिया है ...लेकिन भारत में तो पार्टियों की भरमार है ॥ ऐसे में अमेरिका की तरह यहाँ पर बहस होनीमुस्किल दिखाई देती है ...अब अपने मनमोहन जी भी प्रधानमंत्री बनकर होशियार हो गए है ॥ उनमे पी ऍम केजीन आने लगे है... तभी को आपकी दुखतीरग कंधार और अयोध्या पर हाथ रख दिया उन्होंने.... मनमोहनजी नेआपसे कहा कंधार के समय यह लोह पुरूष क्यों पिघल गया? बात भी सही है आडवानी जी ... आपका समय कौनसा सही था॥ कंधार आपके समय हुआ॥ गोधरा के समय आपके दुलारे" मोदी" ने राज धर्म का पालन नही किया ... ऐसा बयान अटल जी ने ख़ुद दिया था... संसद , मंदिरों पर हमले हुए... आप की पार्टी भी तो कौन सी सही है ? दूध केधुले आप भी नही हो....?कुल मिलकर सार यह है की मनमोहन पर आरोप लगाने से पहले आपने अपनी पार्टी केगिरेबान में झांकना चाहिए था....जो भी हो मनमोहन शालीन है... बुद्धिमान है.... हाँ, यह अलग बात है की वहआपकी तरह लच्छे दार स्पीच नही दे सकते .... पर आपको अर्थ व्यवस्था पर अच्छा पड़ा सकते है ... यह शुक्र है कीमनमोहन जी के रहते इस बार भारत पर वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते आंशिक असर बना रहा ॥ नही तो सभी केपसीने ही छूट जाते...आडवानी जी आपको यह किसी भी तरह शोभा नही देता की आप मनमोहन जी के ख़िलाफ़बार बार आग उगले ... ऐसे तो भारत में आने वाले दिनों में प्रधान मंत्री और विपक्षी नेताओ के बीच सम्बन्ध ख़राबहो जायेंगे.... आडवानी जी मुझको लगता है आप पर इस चुनाव में शनि का प्रकोप चल रहा है ॥ तभी तो कुछ नकुछ होते रहता है॥ कभी आपके " भेरव बाबा" आपके खिलाफ ताल ठोकते नजर आते है तो कभी " टाटा , अम्बानी, सुनील भारती की तिकडी "मोदी" को पी ऍम के लायक मानती है... कुछ समय बाद यह विवाद भी शांतहो जाता है... फिर कुछ समय बाद आपकी पार्टी के अरुण जेटली और अरुण शोरी जैसे नेता इस बात की शुरूवातफिर से " मोदी" को पी ऍम के रूप में प्रोजेक्ट करने से करते है... फिर आप इस पर आडवानी जी अपना बचावकरते नजर आते है... " मोदी की काट का नया फार्मूला आपके द्वारा मीडिया के सामने अपने मध्य प्रदेश के " शिवराज" का नाम पी ऍम के रूप में आगे करने के रूप में लाया जाता है... अब हम और जनता जनार्दन इसको क्यासमझे...? आडवाणी जी मेरी इस बात पर शायद आपको नाक लग जाए... बुरा नही मानियेगा तो एक बात कहनाचाहूँगा... आपको प्रधान मंत्री बनने की इतनी जल्दी क्या है ॥ इस जल्दी में आप कब क्या कह जाए इसकामुझकोभरोसा नही रह जाता है अब कुछ रोज पहल एक पत्रिकाको यह कहने की क्या जरूरत थी अगर इस बार पी ऍमनही बन पाया तो राजनीती से हमेसा के लिए संन्यास ले लूँगा ... आडवानी जी यह बयाँ भी आपकी हताशा कोबताता है ...अब कम से कम आडवानी जी १६ मई तक तो इस पर चुप ही रहना चाहिए था...उसके बाद आप अपनारुख स्पस्ट करते तो बेहतर रहता... लेकिन शायद चुप रहना तो आपकी फितरत में ही शामिल नही है... अब देखतेहै ऐसे विषम हालातो में क्या आपका पी ऍम बन्ने की डगर कितनी आसान होती है ? वैसे आपकी राह कई शूलो सेभरी दिख रही है॥ रास्ते में अन्धकार ही अन्धकार है
आडवाणी जी आपका राजनाथ के साथ ३६ का आंकडा जगजाहिर ही है ... इस बार सुधांशु मित्तल मामले में यह सही से उजागर हो गया ॥ राजनाथ के साथ जेटली की ठन गई॥आपने पूरे मामले से कन्नी काट ली... जेटली को मित्तल का पूर्वोत्तर का प्रभारी बनाया जाना नागवार गुजरा... इस पर मीडिया में कई दिनों तक गहमागहमी बनी रही... परन्तु जेटली मुह लटकाए ही रहे॥ यहाँ तक कि मीडिया में केमरे के सामने यह बात सही ढंग से उजागर हो गई .. जेटली सभी के साथ प्रेस कांफ्रेंस में तो पहुचते थे परन्तु उनका ध्यान हर समय भटका रहता था॥ इस मामले पर आडवानी कुछ नही कर सके परन्तु संघ को यह नागवार गुजरा..संघ ने सोचा कि यह मन मुटाव मतदाताओ संदेश देने का काम कर रहा है लिहाजा उसने जेटली कीक्लास ले डाली.... जबरन जेटली ने राजनाथ के घर जाके सब ठीक होने का संकेत दिया॥ लेकिन यह आपस में मीडिया के साथ गले मिलने का यह एक नाटक था जो समाप्त नही हुआ॥ आज भी जेटली मित्तल से खफा है पर संघ के साथ बैठक के बाद जेटली का राजनाथ मिलना जरुरी हो गया था क्युकी इससे कार्यकर्ताओ में ग़लत संदेश जा रहा था॥ साथ ही यह दिख रहा था की पार्टी में आडवानी दूसरी पात के नेताओ के साथ तालमेल कायम कर पाने में सफल नही हो पा रहे है..वैसे सच मानिये राजनाथ अभी भी आडवानी को पीं ऍम पदपर नही देखना चाहते है॥ अब यह तो संघ की मजबूरी है की उसने पहले से ही आडवानी को पी ऍम और अटल का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया..अगर राजनाथ का बस चलता तो वह भी अपनी दावेदारी इस पद के लिए पेश कर देते ...मुरली मनोहर आज भले ही भाजपा में उपेक्षित है लेकिन वह भी आडवानी को प्रधानमंत्री देखना पसंद नही करते॥ याद करिए वाजपयी वाला दौर ॥ तब भाजपा में १ ,२,३ पर अटल, आडवानी, मुरली शामिल थे ॥ तब आडवानी मुरली को २ पर देखना पसंद नही करते थे हालाँकि वाजपेयी के सिपेसलारो में वह गिने जाते थे लेकिन आडवानी के कद के आगे मुरली नही ठहर पाये.. भले ही जिन्ना की मजार पर जाकर आडवानी ने उनको धर्म निरपेक्ष कहा हो लेकिन इन सबके बाद भी संघ ने उन पर सहमती १ साल पहले ही दे दी थी कही न कही यह आडवानी की पार्टी में अपनी पकड़ को मजबूत करता है..लेकिन दूसरी पात के नेता आडवानी का नाम घोषित होते ही हताश हो चले है॥ जसवंत सिंह जैसे नेता आज खुले तौर पर उनसे दो दो हात करने को तैयार रहते है..आडवानी जानते है यह उनका अन्तिम चुनाव है शायद इसके बाद ५ साल बाद वह प्रधानमंत्री पद नही पा सकेंगे क्युकी तब उनका स्वास्थ्य भी सही नही रहे लिहाजा वह चुनाव प्रचार में हाई टेक तरीको को अपनाने से पीछे नही है ॥ इस बार भाजपा ने ४० लोगो की मदद से चुनावी वार रूम बनाया है जिसमे आईटी, बैंकिंग,जैसे फील्डों से लोग उनके इन्टरनेट प्रचार में जुटे हुए है..सुधीन्द्र कुलकर्णी दिल्ली में २६ तुगलक क्रिसेंट पर इसकी कामन को अपने हाथो में लिए हुए है ॥ वह चुनाव पर पैनी नजर रखे हुए है॥ आंकडो के जरिये जी वी एल नरसिम्हन भाजपा की संभावनाओं पर नजर रख रहे है॥ अब यह तो वक्त ही बताएगा की क्या आडवानी पी ऍम बन पायेंगे ?वैसे बीजेपी की हालत इस समय ख़राब हो चले है॥ पार्टी के अन्दर इतने जयादा झगडे है की वह अब सार्वजानिक होने लगे है ॥ हालाँकि वाजपेयी के रहते सब ठीक ठाक रहता था॥ और पार्टी के अन्दर क्या खिचडी पकरही है या दाल चावल यह पता नही चल पट था॥ लेकिन जा से अडवाणी आए है तब से पार्टी अपनी राह से भटक गई है॥ नेताओ में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई है॥ सबसे बड़ी बात यह है आज आडवानी को बड़े सहयोगी भी नही मिल पारहे है ॥ साथ ही अटल जी की कमी खल रही है.. फर्नांडीज का न होना भी भाजपा की राह को मुस्किल बना रहा है..आज साउथ में पार्टी को कोई सहयोगी ही नही मिल पा रहे है ..ममता आज कांग्रेस के साथ है॥ वही जयललिता तीसरे मोर्चे के साथ चली गई है ॥ चंद्रबाबू भी तीसरे मोर्चे के साथ है ..ऐसे में ५ ,६ दलों के साथ आडवानी कैसे प्रधान मंत्री बन पायेंगे यह असंभव लगता है॥ आडवानी जी विन्ध्य में भगवा लहराने से काम नही चलेगा......आज का दौर गठबंधन राजनीती का है बिना सहयोगियों के कोई बहुमत के आस पास नही फटक सकता ॥ फिर यह चुनाव वैसे ही मुद्दा विहीन हो गया है॥शरद यादव फर्नांडेज की तरह चुस्ती नही दिखा पा रहे है॥ जिस कारन भाजपा को इस चुनाव में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.. वैसे ही लालू प्रसाद आपकी प्रधानमत्री की कुंडली पर अपनी पी एच दी पूरी कर चुके है ॥ अगर यह सही साबित हो जाती है तो आप का रेलवे से टिकेट कन्फर्म नही होपायेगा॥ आर ऐ सी मिल जाता हो बात होती॥ लेकिन अगर चुनावो में बीजेपी बुरी तरह पिटती है तो आप पी ऍम इन वेटिंग ही बने .....रहोगे

Friday, May 1, 2009

१ मई....मजदूर दिवस पर...


गर्द चेहरे पर, पसीने में जबीं डूबी हुई
पसीने मे कोहनियों तक आस्तीं डूबी हुई

पीठ पर नाक़ाबिले बरदाश्त इक बारे गिराँ
ज़ोफ़ से लरज़ी हुई सारे बदन की झुर्रियाँ

हड्डियों में तेज़ चलने से चटख़ने की सदा
दर्द में डूबी हुई मजरूह टख़ने की सदा

पाँव मिट्टी की तहों में मैल से चिकटे हुए
एक बदबूदार मैला चीथड़ा बाँधे हुए

जा रहा है जानवर की तरह घबराता हुआ
हांफता, गिरता,लरज़ता ,ठोकरें खाता हुआ

मुज़महिल बामाँदगी से और फ़ाक़ों से निढाल
चार पैसे की तवक़्क़ोह सारे कुनबे का ख़याल

अपनी ख़िलक़त को गुनाहों की सज़ा समझे हुए
आदमी होने को लानत और बला समझे हुए

इसके दिल तक ज़िन्दगी की रोशनी जाती नहीं
भूल कर भी इसके होंठों तक हसीं आती नहीं।

सीमाब अकबराबादी

गूगल बाबा का वरदान - हिन्दी टंकण औजार

ब्लॉग एक खोज ....