"जब सचिन बेटिंग कर रहे हों, तब आप अपने सारे गुनाह कबूलकर लीजिये, क्योंकि तब भगवान भी उनकी बेटिंग देखने में मस्त रहते हैं " ये स्लोगन आस्ट्रेलिया से आया है। सचिन के अभिनन्दन में इस तरह की अतिश्योक्ति परक बातें आज से नहीं कही जा रही। इनका सिलसिला बहुत पुराना है, ये बातें दरअसल अपनी भावनाओं के सैलाब कों व्यक्त करने का एक जरिया है। लेकिन फिर भी हम हमारी भावनाएं उस ढंग से ज़ाहिर नहीं कर पाते जिस ढंग से उन्हें महसूस करते हैं। कई बार खुद पे गुमान होता है की हम उस काल में पैदा हुए जब सचिन खेल रहे हैं, आने वाली पीढ़ियों कों हम बड़े चटकारे लेकर सचिन की दास्ताँ सुनायेंगे।
रिकार्डों के बादशाह सचिन ने जब अफ्रीकन टीम के खिलाफ वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाया तो उनके चाहने वालों ने एक बार फिर क्रिकेट के इस भगवान को सर झुका के प्रणाम किया। आस्ट्रेलिया के खिलाफ जो कसररह गयी थी उसे ३ महीने के अन्दर ही सचिन ने पूरा किया। इस मेच का नज़ारा कुछ ऐसा था कि सड़के वीरान हो गयी थी, बाज़ार सुनसान हो गए थे, सारी निगाहे दुनिया के सारे नज़ारे छोड़कर सिर्फ इस क्रिकेट के बादशाह को इतिहास रचते देख रही थी।
ऐसा नहीं कि इस रिकोर्ड को कोई छू नहीं पायेगा, ऐसा नहीं क्रिकेट की कोई पारी इससे बेहतर नहीं, सचिन की महानता को महज़ इस पारी से नहीं तौला जायेगा। ये पारी तो उनके ताज का महज़ एक नगीना है, उनके ताज का निर्माण तो उनके २० साल लम्बे करियर, क्रिकेट के प्रति समर्पण, प्रदर्शन में निरंतरता से हुआ है। ४४२ एकदिवसीय और लगभग १५० टेस्ट खेलने वाले इस खिलाड़ी के करियर में इतनी महान परियां हैं कि उनमें से सर्व्श्रेस्थ पारी को छाटना बहुत मुश्किल है। लेकिन उनका दोहरा शतक इस मायने में सबसे खास है क्योंकि इसके आने में वनडे क्रिकेट को लगभग ३९ साल और ३००० मैचों का इंतजार करना पड़ा।
सचिन देश के उन सम्मानीय लोगों में से हैं जिनका देश कि हर छोटी-बढ़ी शक्सियत सम्मान करती है। इसका कारण ये नहीं कि वे एक अच्छे खिलाड़ी हैं इसका कारण है कि वे एक अच्छे इन्सान है। इन्सान को महान उसकी प्रतिभा बनाती है मगर उसका चरित्र उसे महान बनाये रखता है। सचिन के पास चरित्र कि पूंजी भी है। वे संयमित हैं, मर्यादित हैं और विनम्र है। यही कारण है कि अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर, आमिर खान से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी, अब्दुल कलाम तक उनका सम्मान करते हैं। युवराज सिंह अपने मोबाइल में सचिन का मोबाइल नम्बर god के नाम से सेव करते हैं।
सचिन आपकी बल्लेबाज़ी देश के हर इन्सान को एक कर देती है,वो अपना हर दर्द भूलकर बस आपके खेल के जश्न में मस्त हो जाता हैं। सचिन कि इस महानता के बावजूद उन पर कई बार ऊँगली उठी है और हर बार उन्होंने इसका जवाब अपने मुंह से देने के बजाय अपने खेल से दिया है।
अंत में शारजाह में हुए एक मेच में पोस्टर पे लिखा स्लोगन याद करना चाहूँगा "जब मैं मरूँगा तब भगवान को देखूंगा तब तक मैं सचिन को खेलते देखूंगा"। सचिन तुस्सी ग्रेट हो।
sach he sachin apne aap me ek mithak he.
ReplyDeleteसच है सचिन दा जवाब नही .....
ReplyDeleteसचिन तेन्दुलकर- जिन्दाबाद!!
ReplyDeleteसचिन देश की धरोहर हैं । उनकी उर्जा और लगन प्रेरणादायी !
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