पीपल की
डाल काटना बहुत ज़रूरी था
सो उसने एक मुसलमान भाई को बुला लिया
इस तरह उसने
संकट भी टाल दिया
पाप मढ़ दिया दुसरे के मत्थे
और अपना धर्म भी बचा लिया
खलु खल हिन्दू !
ऐसा ही कुछ करते होंगे और धर्म के लोग
कटती होगी डाली कोई मरता होगा दीन....... !
अष्टभुजा शुक्ला की कविता ..
बहुत ही उम्दा सोच है हिन्दुओं के बारे में! बहुत अच्छे.
ReplyDeleteवाह रे वार
ReplyDeleteयार तुम्हारी कविता मेरी समझ नही आयी है जरा खुल कर लिखो ताकि मै भी कुछ कमेन्ट लिख सकूं
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