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Monday, March 8, 2010

तुम्हारी लड़ाई...

सैकड़ों साल से
जकड़ी गई
बेड़ियां
अब टूटती जा रही हैं
उच्श्रंखल...
उत्साहित...उत्तेजित
आधी आबादी
पूरी आज़ादी के
गीत गा रही है


ओंठ
जिनके बोलने पर
बंदिश थी
वो नई बंदिशें
गुनगुना रहे हैं....
युग के लोग
तुम्हारे जीतने की
युगगाथा
सुना रहे हैं....


तुमको देखना
कई बार
थोड़ा तो
हीन महसूस कराता है
पर इस हीनता बोध का
तुमको बढ़ते देखने के
सुख से
गहरा नाता है


तुम्हारा संवरना
संवरना है
परिवार का...
तुम्हारा जीतना
जीतना है संसार का...


तुम्हारी ताकत
हम सबकी ताकत है
तुम्हारी प्रतिष्ठा
कौम की इज़्ज़त है


पर हां इतनी
हम सबकी लाचारी है
तुम्हारी लड़ाई
केवल तुम्हारी है....


(ये पोस्ट महिला दिवस पर उन सब पुरुषों की तरफ से दुनिया जीत रही आधी आबादी को शुभकामना है....जो उनके बढ़ते देख खुश तो हैं....पर उनकी लड़ाई में भागीदारी करने में अक्षम हैं....या विवश हैं....या फिर भागीदारी के जोखिमों से डरते हैं.....)

1 comment:

  1. पर हां इतनी
    हम सबकी लाचारी है
    तुम्हारी लड़ाई
    केवल तुम्हारी है...

    हम्म!! अच्छी रचना...


    विश्व की सभी महिलायों को अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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