आईपीएल सीजन 3 के मैदान की जंग खत्म तो हो गई लेकिन असली जंग अभी भी समाप्त नही हुई है और हरेक मंच और हरेक स्तर पर ऐसे चेहरे की तलाश की जा रही है जिसमे पारदर्शिता हो और जिसमे आईपीएल पर लगे धब्बे को नये सिरे से धोने की क्षमता भी हो.सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था और सभी लोग मैदान पर दिखने वाले रोमांच का आनंद ले रहे थे. किसी ने यह सोचा भी नही था आईपीएल से हो रहे बेसुमार पैसे का स्रोत क्या है और किस माध्यम से आईपीएल में इतने पैसे का निवेश हो रहा था.शायद मीडिया को भी नही ...लेकिन 11 अप्रेल को आईपीएल के कमिश्नर ललित मोदी के उस बयान से हड़कंप मंच गया जिसमे उन्होने यह कहा कि आईपीएल की नई कोच्ची टीम की फ्रेंचाइजी में विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर की महिला मित्र सुनंदा पुष्कर की भी हिस्सेदारी है..... हालांकि शशि थरूर का विवादों से रिस्ता काफी पुराना है.... और उन्हे हटाकर प्रधानमंत्री ने दूरदर्शिता का ही परिचय दिया है...इसके बाद मचे बवंडर के बीच 18 अप्रेल को भारी मन से थरुर को इस्तीफा देना पड़ा....21 अप्रेल को आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने आईपीएल से जुड़े संगठनो पर छापामार कार्यवाई की..... 25 अप्रेल को आईपीएल के फाइनल मैच के तुरंत बाद ललित मोदी के आईपीएल के कमिश्नर पद से हटा दिया गया लेकिन आम जनता के मन मे कई सवाल अभी भी है,क्योकि केंद्र सरकार के दो मंत्री शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल सीधे सीधे आईपीएल के लपेटे मे आ रहे है, हालाकि शरद पवार के रूतबे को देखते हुए ऐसा नही लगता है कि कांग्रेस इनके विरुद्ध कोई कदम उठा पाएंगी,वैसे भी मंत्री का पहला काम है कि जिस विभाग की जिम्मेदारी उन्हे दी गई है पहले वे संभाले लेकिन देश जानता है कि पवार इसमे असफल रहे है..आइये जाने उस शख्स के बारे मे जिसने आईपीएल को एक लोकप्रिय ब्रांड बनाने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जिसके आक्रामक और डिप्लोमेटिक कैंपेन से आईसीएल अपनी बोरिया बिस्तर समेटने पर मजबूर हो गया जी हां हम बात कर रहे है आईपीएल से बर्खास्त ललित मोदी के बारे मे.....
अगर जगमोहन डालमिया ने क्रिकेट को एक आसानी से बिकने वाला ब्रांड बनाया तो ये ललित मोदी है थे जिन्होने क्रिकेट की लोकप्रियता को पैसे मे बदलकर आईपीएल के खजाने मे मात्र तीन सालो मे 2 बिलियन डालर जमा करा दिये ....
मोदी के दादाजी राजा बहादुर गुजरमल की गिनती देश के प्रसिद्ध उधोगपतियों मे होती है जिन्होने मोदी ग्रुप आफ इंडस्ट्री की स्थापना की थी. मोदी ग्रुप आंफ इंडस्ट्रीज के अंतर्गत मोदी सुगर,मोदी वनस्पति,मोदी पेंटस,मोदी आयल,मोदी स्टील,मोदी सिपिंग एण्ड विभिंग,मोदी साप एण्ड मोदी कारपेट कंपनी आती है .राजा बहादुर की तीन संताने थी कृष्ण कुमार मोदी,भूपेंद्र कुमार मोदी,और विनय कुमार मोदी.कृष्ण कुमार मोदी की तीन संताने थी चारू मोदी भाटिया,ललित मोदी, और समीर कुमार मोदी. अमेरिका के नार्थ करोलिना में ड्रग्स और अपहरण मे सजा काटने के बाद भारत आये मोदी ने अपने पिता के के मोदी के व्यवसाय को संभाला लेकिन मोदी का इसमे मन नही लगा, 90 दशक के शुरूआत मे जब केबल और सेटेलाइट प्रसारण का व्यवसाय तेजी से पांव पसार रहा था मोदी ने इस व्यवसाय के नब्ज को पहचान कर मोदी एंटरटेनमेन्ट नेटवर्क (मेन) की स्थापना की1.1993 मे मेन ने भारत मे व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अमेरिकी की प्रसिद्ध कंपनी वाल्ट डीजनी से10 साल का समझौता किया. समझौते के अनुसार जहां इस व्यवसाय मे वाल्ट डीजनी के 51 प्रतिशत शेयर थे वही बाके बचे शेयर मेन के हिस्से मे आये.. इन दोनो कंपनी ने 10 साल के समझौते के शुरूआत दौर मे 30 से 40 करोड़ रूपये मार्केट से कमा लिये..1995 मे वाल्ट डिजनी ने अपनी सिस्टर कंपनी ईएसपीएन के भारत मे वितरण के लिए मेन से समझौते किये ताकि इएसपीएन को केबल पर पेड स्पोर्टस चैनल बनाकर क्रिकेट के दर्शकों से भरूपर पैसे कमाया जा सके और ऐसा ही हुआ .इएसपीएन भारत मे चुनिंदा पेड चैनल मे से एक था.कुछ ही समय मे इएसपीएन भारत मे ज्यादा देखे जाने वाले स्पोर्टस चैनल के रूप मे मशहूर हो गया.. 2001-02 आते आते मेन खेल प्रसारण वितरण के जरिये 70 करोड़ रूपये कमाने मे कामयाब रहा..लेकिन मोदी इस धंधे को आगे ले जाने मे असफल रहे और ऐसा कहा जाना लगा कि मेन के किसी दूसरे कंपनी के समझौते का अंत कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही खत्म होता है यानि किसी भी दूसरी कंपनी के साथ व्यवसायिक समझौता ज्यादा सौहार्दपूर्ण वातावरण मे समाप्त नही हुआ.मेन ने डीडी स्पोर्टस के साथ भी खेल को लेकर व्यवसायिक समझौते किये लेकिन कहा जाता है कि यह मामला अभी तक कोर्ट मे ही पड़ा है...2004 तक आते आते मोदी की मेन कंपनी की हालत पतली हो गयी है और इसके कर्मचारियों को सैलरी के भी लाले पड़ गये. मुंबई छोड़कर बाकी जगह पर स्थित मेन कंपनी के कार्यालय बंद हो गये.2007 मे मोदी ने आखिरी दाव लगाया . मोदी ने ट्रेवल व लिविंग चैनल की तर्ज पर पहले चैनल वोएजेस को लांच करने का प्लान बनाया .हालांकि यह योजना धरी रह गई.जाहिर है कि मोदी तभी सफल होते है जब उन्हे खुले हाथ काम करने को मिले.साझेदारी या परिवार की कंपनियों मे वो सफल नही रहे.लेकिन जब राजस्थान क्रिकेट एसोसिएसन और बाद मे आईपीएल अपने दम पर चलाने का मौका मिला तो ललित मोदी ने अपनी कार्यकुशलता से आईपीएल के खजाने को पैसे और शोहरत से भर दिया..लेकिन व्यवसाय का नियम है कि आपको पारदर्शिता के साथ परिवारवाद के नीतियों से दूर रहना होगा और मोदी यहां असफल रहे . किसी भी सही चीजो का शौकीन होना कोई बुरी बात नही है लेकिन जनता की भावना किसी चीज मे जुड़ी है और उसकी भावनाओं का जब आप अपने लिए इस्तेमाल करते है तो उसका अंजाम भी गलत होता है.....मोदी ने अपने आईपीएल कमिश्नर पद के दौरान अपने साढ़ू सुरेश चेलाराम को राजस्थान रायल्स मे 44 प्रतिशत शेयर दिलवाये.दामाद गौरव वर्मन की कंपनी को मोबाइल,बेवसाइट आदि को ठेका भी मनमाने दाम मे बेचा..
मोदी के बारे मे कहा जा सकता है ---He is a men with great ideas but execution has always been his weakness…..
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