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Sunday, May 30, 2010
हम कौन थे...क्या हैं...क्या होंगे....(हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष)
Thursday, May 27, 2010
बुद्ध....बुद्ध मुस्कुराए हैं
आज बुद्ध जयंती है....हम में से ज़्यादातर इसे शायद केवल इसलिए याद करते हैं क्योंकि कई जगह इस दिन सरकारी कार्यालयों में अवकाश होता है.....चलिए आज एक बार बस एक बार बुद्ध को आंख बंद कर के याद करें और स्मरण करें वो रास्ता...अहिंसा और शांति का जो उन्होंने दिखाया था.....प्रस्तुत है बामियान में बुद्ध की मूर्तियों के ध्वंस पर सरोज परमार की एक कविता जो मुझे काफी पसंद आई.....
अमन का कबूतरकंगूरे पर बैठ
घिघियाता रहा
गिड़गिड़ाता रहा
फिर जार-जार सोया था
उस दिन
बेबस हो गई थी भाषा
बेकस हो गये थे अर्थ
तुम्हारे खौफ़नाक इरादों के सामने।
ओर
बहभियान कला का नायाब तोहफा
तुम्हारे जनून के हत्थे चढ़ गया
कनिष्ठ ने 'क' से पढ़ाई थी
कन्धार कला
तुमने क से पढ़ा दिया कठमुल्लापन।
कठमुल्ले कला को कत्ल करते रहे
आसमान थर्राता रहा दरिन्दगी के नाच पर
शायद
तोड़ना तुम्हारा वजूद
तुम्हारे विश्वास
तुम्हारे मिथक
खुद को छलना है।
सत्य को तोड़ना
खुद को तोड़ना है
बारूद, तोपखाने रॉकेट लाँचर
नहीं मिटा सकते तुम बुद्ध को
बुद्ध तो चतेना है।
चेतना शाश्वत है
नसों में जब-जब भी दौड़ता है युद्ध
धड़कने लगता है दिल में बुद्ध
बुद्ध तो
युद्ध से शान्ति तक की यात्रा हैं।
लाल इमली कहते ही इमली नहीं कौंधी दिमाग़ में
जीभ में पानी नहीं आया
‘यंग इण्डिया’ कहने पर हिन्दुस्तान का बिम्ब नहीं बना
जैसे महासागर कहने पर सागर उभरता है आँखों में
बुद्ध मुस्कराये हैं
Sunday, May 23, 2010
Friday, May 21, 2010
हो सके तो...एक दिवंगत साथी की जीवंत कविताएं....
आज एक ऐसे साथी की दो कविताएं पढ़वाना चाहते हैं जो कल हम सबको अलविदा कह गया....कविताएं छोटी हैं पर बेहद संवेदनशील हैं, पहले कविता पढ़ें फिर कवि का परिचय भी.....
हो सके तो...
मेरी रंगीन कब्र पर
दीप मत जलाना
हो सके तो
जीते जी
मेरे अंधेरे घर में
उजाला कर दो...
मेरे चारों तरफ है
आईने
कहां छिपने जाऊं
हो सके तो
अपने सीने में
छिपा लो मेरे आंसू ....
सपने
किसी भी उम्र में
देखे जा सकते हैं
सपने
अंतिम सांस भी
कम नहीं होती
जिस जीवन में
सपने नहीं हैं...
वह सहेज कर
रखा गया
पार्थिव शरीर है
और कुछ नहीं....
प्रदीप श्रीवास्तव
(राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर में कार्यरत डिप्टी न्यूज एडिटर प्रदीप श्रीवास्तव की आज सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है. प्रदीप कार चला रहे थे और एक ट्रक की कार से टक्कर हो गई. प्रदीप के साथ कार में बैठे उनके बहनोई की भी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि टक्कर इतनी भीषण थी कि शव कार को काटने के बाद बाहर निकाला जा सका. प्रदीप की उम्र 47 वर्ष थी और वे करीब 18 वर्ष से राष्ट्रीय सहारा के साथ थे. वे राष्ट्रीय सहारा, गोरखपुर के जनरल डेस्क इंचार्ज थे।)
Monday, May 17, 2010
और यूं चला गया ‘राजस्थान का सिंह’ भैरोंसिंह शेखावत
तब लोगों का कहना था कि जब उनकी मृत्यु हुई तब रेडियो पर गाना चल रहा था " मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे " ...
दरअसल उन दिनों नेताओं के लिए लोगों के दिलों में इज्ज़त होती थी...तब के नेता भी स्वतंत्रता की आग से तप कर निकले थे.. आज मुलायम सिंह और अमर सिंह के झगडे को देख कर लोग अपना न्यूज़ चैनल बदल देते हैं ..
कल भैरोंसिंह शेखावत की शव यात्रा सुबह 10.35 बजे फूलों से सुसज्जित ट्रक में सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास से रवाना हुई। रास्ते में सभी वर्गो के लोग पुष्प अर्पित करते जा रहे थे। अंतिम यात्रा में लोगों और वाहनों का एक किमी. लंबा काफिला था और लोग राजस्थान का एक ही सिंह, भैरोंसिंह, भैरोंसिंह जैसे नारे लगाते हुए चल रहे थे। सिविल लाइंस से शवयात्रा करीब 14 किमी की दूरी तय कर विद्याधर नगर पहुंची।
कल भैरोंसिंह शेखावत की शव यात्रा में शामिल लोगो की भीड़ देखने के बाद एक चीज समझ में आयी कि भैरोंसिंह शेखावत हमारे बीच कितने बड़े नेता थे. लाखों समर्थकों द्वारा ‘राजस्थान का एक ही सिंह’ कहलाने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत आखिरकार फेफड़े और सीने में संक्रमण से हारकर दुनिया को अलविदा कह गए।
भैरोंसिंह शेखावत बड़ी कद काठी में बड़े नेता भी थे...
सालों साल बाद किसी नेता कि अंतिम यात्रा में इतनी भीड़ नज़र आयी. हाल के वर्षो में कई बड़े नेताओं का इंतकाल हुआ . पी वी नरसिंह राव , देश के पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर , वी पी सिंह और प्रमोद महाजन . लेकिन ज्योति बासु के अलावाँ इतनी ज्यादा भीड़ अंतिम दर्शन के लिए या अंतिम यात्रा में नज़र नहीं आयी.................
अभिषेक कुमार ......
राजा-दयानिधि मौसेरे भाई...
रतन टाटा नीरा राडिया का इस्तेमाल कर के द्रमुक कोटे में किसी भी कीमत पर दयानिधि मारन को संचार मंत्री बनने से क्यों रोकना चाहते थे? धीरे धीरे गुप्तचर एजेंसियों के पास इसके सबूत आते जा रहे हैं। दयानिधि मारन करुणानिधि के चचेरे पोते हैं लेकिन उनका यही परिचय नहीं है। मारन परिवार एशिया के सबसे रईस परिवारों में से एक हैं और सन टीवी के अलावा उसके कई दक्षिण भारतीय भाषाओं में सात चैनल, कई एफएम स्टेशन और दिनाकरन नाम का एक अखबार भी है जो दस लाख कॉपी रोज बेचता है। जब इस मीडिया साम्राज्य के शेयर बेचे गए तो साढ़े आठ सौ रुपए में दस रुपए का एक शेयर बिका और जितनी उम्मीद थी उससे पैतालीस गुना ज्यादा बिका। पंद्रह दिन में मारन परिवार के पास 9 हजार 9 सौ 20 करोड़ रुपए आ गए।
दयानिधि मारन पहले खुद नीरा राडिया के काफी करीब थे। जब वे चेन्नई में हैल फ्रीजेज ओवर यानी एचएफओ के नाम से डिस्को और बार चलाया करते थे तो नीरा राडिया कई बार वहां देखी गई। अप्रैल 2006 में नीरा राडिया रतन टाटा को भी यहां ले के आई थी। सन मीडिया साम्राज्य दयानिधि के भाई और अमरीका में पढ़े लिखे कलानिधि चलाते हैं और जब दक्षिण भारत में उनके मीडिया साम्राज्य की तूती बोलने लगी तो उन्हाेंने इरादे और बड़े कर लिए। कलानिधि मारन ने रतन टाटा को संदेश भिजवाया कि उनके डिश कारोबार यानी टाटा स्काई डीटीएच सर्विस में एक तिहाई हिस्सा दस रुपए प्रति शेयर के हिसाब से सन समूह के नाम किया जाए। तब तक टाटा स्काई के अस्सी प्रतिशत मालिक टाटा थे और बीस प्रतिशत पैसा स्टार टीवी ने लगाया हुआ था। नीरा राडिया ने टाटा को समझाया मगर रतन टाटा ने साफ इंकार कर दिया। नीरा के जरिए ही रतन टाटा तक संदेश पहुंचाया गया कि दयानिधि मारन देश के संचार मंत्री है और मंत्रालय कभी भी टाटा स्काई बंद करवाने के लिए आदेश दे सकता हैं। लाइसेंस रद्द करना संचार और सूचना प्रसारण मंत्रालय का काम है और लाइसेंस की शर्तों में ऐसी एक दर्जन शर्ते हैं जिनके न मानने पर सरकार एकतरफा लाइसेंस रद्द कर सकती है।
उस समय लाल कृष्ण आडवाणी ने भी कहा था कि दयानिधि मारन अपने भाई और अपनी सन टीवी कंपनी को डीटीएच और एफएम के लिए सारे नियम तोड़ कर स्पेक्ट्रम अलॉट कर रहे हैं। रतन टाटा को खतरों का अंदाजा था इसलिए उन्हाेंने इस सरकार में दयानिधि मारन को संचार मंत्रालय किसी भी कीमत पर नहीं मिलने देने के लिए दलाली से ले कर दादागीरी तक और रोकड़े के इस्तेमाल तक सब कुछ किया।
नीरा राडिया और रतन टाटा के बीच 2009 और की बातचीत के जो और टेप निकल कर आए हैं उनमें से एक हिस्सा यह है।
रतन टाटा- यह दयानिधि बहुत गड़बड़ कर रहा है। ए राजा को तो मैनेज किया जा सकता हैं।
नीरा - पता है और दयानिधि का फोन मेरे पास भी आया था। वो गुलाम नबी और अहमद पटेल से लगातार मिल रहा है। करुणानिधि से भी मनमोहन सिंह को फोन करवाया है।
रतन टाटा- इसका क्या करना है? मुझे तो यह आदमी खतरनाक लगता है और ये हमे दूसरों के बराबर खड़ा नहीं होने देगा। राजा ने बीएसएनएल वाले मामले में हैल्प की थी और एक ज्वाइंट सेक्रेटरी को तो मेरे साथ कंाटेक्ट रखने के लिए कहा था।
नीरा- पैसा हर जगह चलता है। मगर दयानिधि और कलानिधि को पैसा कमाना आता है। बहुत चालाक है ये लोग। दयानिधि ने तो अपने टीवी चैनल और सारे मीडिया के काम का कॉरपोरेट ऑफिस डीएमके के ऑफिस में ही बनाया है। पार्टी को पैसा भी लगातार पहुंचता है। करुणानिधि को हैंडल करना पड़ेगा। मैं कनिमोझी- करुणानिधि की बेटी से संपर्क में हूं। लालची तो राजा भी है लेकिन उसे सिर्फ काम के पैसे चाहिए।
सुन लिया आपने? दयानिधि मारन के बहाने रतन टाटा की भी पोल कैसे खुल रही है? ए राजा पर सीधे सीधे स्पैक्ट्रम घोटाले में हजारों करोड़ के घपले का इल्जाम लगा। नीरा राडिया के साथ उनकी बातचीत के टेप उजागर हो गए मगर उनका मिस्टर क्लीन मनमोहन सिंह भी कुछ नहीं बिगाड़ पाए। कनिमोझी तो साफ साफ कहती है कि मारन बंधुओं का टीवी और अखबारों का साम्राज्य मदद करता है मगर अगर पार्टी नहीं होती तो यह साम्राज्य भी नहीं होता।
दयानिधि मारन का पूरा ध्यान सरकार में रखा जाता हैं। नीरा राडिया ने उन्हें संचार मंत्री भले ही न बनने दिया हो मगर सन टीवी ने जब दो आधुनिकतम जहाज आयात करने के लिए अर्जी दी और देश और विदेश में विमान सेवा शुरू करने का लाइसेंस मांगा तो उन्हें 237 करोड़ रुपए में ये जहाज आयात करने की मंजूरी मिल गई और 12 दिसंबर 2006 को दी गई अर्जी पर सिर्फ 23 दिन में यानी 5 जनवरी 2007 को विदेश व्यापार के महानिदेशक ने लाइसेंस के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया।
इसी बातचीत में एक जगह यह भी आया है कि दयानिधि मंत्री बनने के ठीक पहले तक सुमंगली केबल नेटवर्क चलाते थे और पूरे तमिलनाडु में केबिल कारोबार पर उनका ही सिक्का चलता था। मंत्री बनने के बाद उन्होंने सुमंगली केबल नेटवर्क भाई कालानिधि को पावर ऑफ अटार्नी पर दे दिया। इतना ही नहीं, दयानिधि मारन ने संसद में झूठ बोला कि सन चैनल से उनका लेना देना नहीं हैं मगर स्टॉक एक्सचेंज ने जो दस्तावेज दिए गए हैं उनके अनुसार दयानिधि मारन को इस पूरे कारोबार का प्रमोटर बताया गया हैं। करुणानिधि और दयानिधि के नामों का अर्थ एक ही होता है और शायद इसीलिए करुणानिधि अझागिरी और स्टालिन की नाराजी के बावजूद दयानिधि को बचाते रहते है।
आलोक तोमर
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, फिल्म-टीवी के पटकथा लेखक हैं।)
Friday, May 14, 2010
डर....(पूर्णेंदु शुक्ल की छोटी कविता)
केव्स के वरिष्ठ साथी पूर्णेंदु शुक्ल जी ने एक बेहद छोटी सी पर उतनी ही गहरी कविता लिखी है...नई कविता आप भी पढ़ें......
Tuesday, May 11, 2010
राडिया के बहाने रिश्ता-रिसर्च...
Thursday, May 6, 2010
Quasab: again wounds to state
Wednesday, May 5, 2010
Judiciary: Restructure or amend it
Sunday, May 2, 2010
अगर ये हत्या है...तो दोहरा हत्याकांड है....नीरू हमें माफ़ करना...
फर्ज़ी सुसाइड नोट?
- उसकी श्वसन नली में कंजेशन था....
- उसके दोनो फेफड़ों में भी कंजेशन था...
- ह्रदय के दोनो कोष्ठों में रक्त था...
- उसके लिवर में कंजेशन था....
- उसकी किडनी में कंजेशन था...
- स्प्लीन में कंजेशन था...
Saturday, May 1, 2010
कब तक रोकोगे.... (कविता) (मई दिवस विशेष)
अलां फलां चीज़ों के लिए
अमुक चमुक को श्रेय देने दो
पर...
एक बात बतलाता हूँ
ये और बात है कि
न
ना इस पर झंडा फहराया है
मेरे नाम पर कोई मार्ग नहीं
पर
दो जून की रोटी की खातिर
उम्र भर हड्डियाँ गलाई हैं
मैं गैस रिसने से मरता हूँ
कभी खदान में मरता हूँ
कभी खलिहान में मरता हूँ
मैं दो हाथ हूँ , फौलाद हूँ
पहाड़ समतल ज़मीं पाताल करता हूँ
समझ में ये नहीं आता
के जीता हूँ या फिर रोज़ मरता हूँ
मैंने ही
तमाम बिखरी चीज़ों को
कोई बतलाये मुझको
मेरी मेहनत की कीमत....
मेरी पैदा की चीज़ों को
मेरे ही सामने बेच आता है
मुझे ना रोको कोई अब
नई दुनिया बसाने दो
मुनाफे का महल तोड़ो
ज़रूरत को , ज़रूरत से मिलाने दो !!!!!