केव्स के वरिष्ठ साथी पूर्णेंदु शुक्ल जी ने एक बेहद छोटी सी पर उतनी ही गहरी कविता लिखी है...नई कविता आप भी पढ़ें......
डर...
वह बच्चा था
और तब
उसे हमेशा
मरने से डर लगता था....
अब...
वो
बड़ा हो चुका है
और...
ज़िंदगी से डरता है...
पूर्णेंदु शुक्ल
(लेखक पत्रकार हैं और सम्प्रति टीम सी-वोटर में चुनाव विश्लेषक हैं।)
waah kya baat kahi...
ReplyDeleteवाह! जबरदस्त!
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुती /
ReplyDeletebahut bahut bahut shandar..
ReplyDeletekya kahu..... in bato me jo sacchayi hai usko jo jiwn ka falsafa byan karti hai....aur kya kahu.....????
ReplyDeletekavita yatarth ko darshati hai . pryaas utkrisht hai .
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