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Monday, May 17, 2010

और यूं चला गया ‘राजस्थान का सिंह’ भैरोंसिंह शेखावत

27 मई 1964 को दोपहर दो बजकर बीस मिनट पर आल इंडिया रेडियो की विविध भारती पर पर चल रहा गाना अचानक रुका और एक एनाउन्समेंट हुआ कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु नहीं रहे .तब लाखों कि भीड़ उमड़ी थी उनकी शव यात्रा में.


तब लोगों का कहना था कि जब उनकी मृत्यु हुई तब रेडियो पर गाना चल रहा था " मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे " ...

दरअसल उन दिनों नेताओं के लिए लोगों के दिलों में इज्ज़त होती थी...तब के नेता भी स्वतंत्रता की आग से तप कर निकले थे.. आज मुलायम सिंह और अमर सिंह के झगडे को देख कर लोग अपना न्यूज़ चैनल बदल देते हैं ..

कल भैरोंसिंह शेखावत की शव यात्रा सुबह 10.35 बजे फूलों से सुसज्जित ट्रक में सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास से रवाना हुई। रास्ते में सभी वर्गो के लोग पुष्प अर्पित करते जा रहे थे। अंतिम यात्रा में लोगों और वाहनों का एक किमी. लंबा काफिला था और लोग राजस्थान का एक ही सिंह, भैरोंसिंह, भैरोंसिंह जैसे नारे लगाते हुए चल रहे थे। सिविल लाइंस से शवयात्रा करीब 14 किमी की दूरी तय कर विद्याधर नगर पहुंची।

कल भैरोंसिंह शेखावत की शव यात्रा में शामिल लोगो की भीड़ देखने के बाद एक चीज समझ में आयी कि भैरोंसिंह शेखावत हमारे बीच कितने बड़े नेता थे. लाखों समर्थकों द्वारा ‘राजस्थान का एक ही सिंह’ कहलाने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत आखिरकार फेफड़े और सीने में संक्रमण से हारकर दुनिया को अलविदा कह गए।

भैरोंसिंह शेखावत बड़ी कद काठी में बड़े नेता भी थे...

सालों साल बाद किसी नेता कि अंतिम यात्रा में इतनी भीड़ नज़र आयी. हाल के वर्षो में कई बड़े नेताओं का इंतकाल हुआ . पी वी नरसिंह राव , देश के पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर , वी पी सिंह और प्रमोद महाजन . लेकिन ज्योति बासु के अलावाँ इतनी ज्यादा भीड़ अंतिम दर्शन के लिए या अंतिम यात्रा में नज़र नहीं आयी.................





अभिषेक कुमार ......

3 comments:

  1. राजनीति के आकाश से एक तारा और टुटा ।
    जो राजनीति के एक प्रेरणा श्रोत थे।

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  2. श्रद्धांजलि....

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  3. भैरों सिंह शेखावत विराट व्यक्तित्व के धनी थे। वे जन-जन के नेता थे। एक साधारण परिवार में जन्म लेकर राजनीति ...के शिखर तक पहुंचने वाले "शेर-ए-राजस्थान" के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया |
    श्री भैरों सिंह जी के निधन के बाद भारतीय राजनीती में उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी |

    विनम्र अश्रुपूरित श्रधांजलि |

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