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Tuesday, June 1, 2010

जीने की कला भूले रविशंकर...



श्री श्रीरविशंकर के आश्रम में गोली चली। पिस्तौल की यह गोली करीब सात सौ फीट दूर से चली थी और एक आश्रमवासी का पेंट फाड़ते हुए जमीन पर गिर पड़ी थी। यह गोली अगर लग भी जाती तो कंकर से ज्यादा घाव नहीं करती। मगर अब रविशंकर को जैड प्लस सुरक्षा चाहिए। उनका तर्क है कि उनके आश्रम मंे तमाम विदेशी मेहमान भी आते हैं और उनकी सुरक्षा के लिए सरकार को फैसला करना चाहिए।

उधर पुलिस का कहना है कि रविशंकर यानी श्री श्रीरविशंकर झूठ बोल रहे हैं। पुलिस के अनुसार यह गोली तब चली थी जब विश्व विख्यात और करोड़ो शिष्य वाले आध्यात्मिक गुरु रविशंकर पांच मिनट पहले वहां से जा चुके थे। रविश्ंाकर का उल्टे आरोप है कि झूठ पुलिस बोल रही हैं। गोली तब चली जब वे कार में बैठ रहे थे और गोली की आवाज उन्होंने खुद सुनी है। सारी दुनिया को जीने की कला यानी आर्ट ऑफ लिविंग सिखाने वाले रविशंकर अब अपनी जिंदगी को ले कर इतने क्यों डर गए हैं?

रविशंकर एक कार के पुर्जे बेचने वाले परिवार में पैदा हुए थे। उनकी वेबसाइट बताती है कि उन्हें चार साल की उम्र में गीता पूरी याद हो गई थी। यही सच साध्वी उमा भारती के बारे मंे कहा जाता हैं। बंगलुरु से निकले तो रविशंकर सीधे दिल्ली आए और सफदरजंग एक्सटेंशन में महर्षि महेश योगी के शिष्यों के साथ रहने लगे। इनमंे से एक शिष्य वीरेंद्र मिश्र दिल्ली में जाने माने पत्रकार भी है।

रविशंकर ने योग सीखा, महर्षि महेश योगी से मिले और महेश योगी ने उन्हें पंडित कहना शुरू कर दिया। उस समय रविशंकर छोटे छोटे शिविर लगाया करते थे जिनमें किसी में दस और किसी में बीस लोग होते थे। अपने शिविरों की खबर देने अखबारों के ऑफिस खुद जाया करते थे। एक दिन अचानक उन्होंने अपना नाम गुरु रविशंकर रख लिया। देखने में सुंदर हैं ही और योग की साधना को उन्होंने सुदर्शन क्रिया का नाम दे कर बाद में एक सफल व्यापारी की तरह पेटेंट करवा लिया। वे अपने गुरु महेश योगी के रास्ते पर चल रहे थे जिन्होंने अपनी साधना को भावातीत के नाम से पेटंेट करवाया था और उन्हांेने तो अपनी मुद्रा भी चला दी थी।

देश के गृह मंत्री और कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह एक ही बात कह रहे हैं और वह यह कि आश्रम वासियों का आपसी झगड़ा रहा होगा और गोली का निशाना रविशंकर नहीं थे। हमलावर को अभी तक किसी ने नहीं देखा। अजय कुमार सिंह का तो कहना है कि गोली हवा में चलाई गई थी इसलिए किसी को मारने के इरादे से इसको चलाए जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। कोई करोड़ो लोगों के गुरु और दुनिया के 150 देशों में अपने आश्रम बनाने वाले रविशंकर को मारने आएगा और देशी पिस्तौल ले कर आएगा यह किसी को हजम नहीं हो रहा।

रविशंकर की जिंदगी में पहले भी कई विवाद रहे हैं। प्रतिबंधित मुस्लिम आतंकवादी
संगठन सिमी के नेताओं से उन्होंने अपने आश्रम में बुला कर बात की थी और खाना खिलाया था। हिंदू आतंकवाद के चक्कर में गिरफ्तार और बर्खास्त कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने पुलिस को बयान दिया है कि हिंदू धर्म को बचाने के लिए आत्मरक्षा और आक्रमण की अपनी योजना उन्होंने खुद श्री श्रीरविशंकर को बताई है। कर्नल पुरोहित ने तो मध्य प्रदेश के पचमणि में जहां वे तैनात थे, रविशंकर का साधना शिविर भी आयोजित करवाया था। जो पुलिस प्रज्ञा सिंह और पुरोहित को मालेगांव बम विस्फोट का मुख्य अभियुक्त बना कर पकड़ सकती है उसने रविशंकर से पूछताछ करना जरूरी नहीं समझा।

रविशंकर के नाम में ये जो दो श्री जुड़े हुए है इनकी भी एक कहानी है। रविशंकर ने अपने साधना शिविरों में भीड़ जुटाने के लिए भजन गायकों का इंतजाम किया और उनका निमंत्रण कुछ इस तरह जाता था कि रविशंकर की आध्यात्मिक संगीत संध्या मंे आप आमंत्रित है। विश्व विख्यात सितार गुरु रविशंकर के भुलावे मंे लोग आ भी जाते थे और वहां रविशंकर बच्चों की तरह इठला इठला कर प्रवचन देते थे। सितार गुरु रविशंकर को जब पता चला तो उन्होंने धर्म गुरु बनने जा रहे रविशंकर को आगाह किया कि वे उनके लोकप्रिय नाम का संगीत संध्या के नाम पर इस्तेमाल नहीं करे। रविशंकर ने अपने नाम के आगे एक नहीं, दो दो श्री जोड़ लिए। आज श्री श्रीरविशंकर का आध्यात्मिक कारोबार अरबों डॉलर का हैं, उनके शिष्य आपस में दुआ सलाम भी जय गुरुदेव कह कर करते हैं। उनकी किताबें कई भाषाओं में लाखांे की संख्या में बिकती है। उनकी पत्रिका बहुत लोकप्रिय हैं। इस मामले में उन्होंने महेश योगी और रजनीश को मिला दिया हैं।

मगर सुरक्षा बढ़ाने का रविशंकर का दावा समझ मंे नहीं आता। वे एक आश्रम में रहते हैं। उनके निजी अंगरक्षक भी हैं और अगर उन्हांेने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा तो उन्हें जैड श्रेणी की सुरक्षा क्यों चाहिए? क्या यह अपना रुतबा बढ़ाने की एक बाल सुलभ कोशिश नहीं हैं? अगर है तो इस पर गंभीर आपत्ति की जानी चाहिए। रविशंकर के भक्त दीवानों की तरह उन पर आस्था रखते हैं और जहां वे जाते हैं वहां भक्तों की भीड़ में ही रहते हैं।

ऐसे में कमांडो और भक्तों को उनसे लगातार दूर करने वाले सुरक्षाकर्मी मांगना
कहां तक उचित है? रविशंकर ने योग और आध्यात्मिक को मिलाया हेै मगर वे आर्ट ऑफ लिविंग को वे पता नहीं क्यों जान बचाने की कला में बदल देना चाहते हैं? लोकप्रियता के तमाम टोटके उन्होंने कर डाले। मार्च 2010 में यमुना को बचाने के लिए उन्होंने अभियान छेड़ा था और कहा था कि सात महीने में यमुना को शुद्व कर देंगे। तीन महीने बीत चुके हैं और अभी इस अभियान का पहला कदम भी नहीं रखा गया है।

आलोक तोमर
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, टीवी-फिल्मों के प्रसिद्ध पटकथा लेखक हैं। सम्प्रति डेटलाइन इंडिया समाचार एजेंसी के सम्पादक हैं।)

7 comments:

  1. अच्छी जानकारी भरा आलेख है।आभार।

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  2. काफी जानकारी मिली श्री श्री के बारे में...

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  3. श्री श्री रविशंकर जी आरम्भ में छोटे थे और अब बड़े हैं और उन्होंने कुछ चीज़ों को पेटेंट करवा लिया है । इस तरह की बातों से तो वे नाक़ाबिले एतबार नहीं ठहरते। आज तक मुझे उनके बारे में जितना मालूम है, उसमें उनकी सादगी सबसे ऊपर है। Shanti के बारे में भी उनकी कोशिशों को सब जानते हैं। सिमी के लोग हों या सनातन संस्था के, उनसे बात करने वाला और उन्हें समझाने बुझाने वाला कोई तो होना ही चाहिए। वे खुद तो उनकी किसी गतिविधि में लिप्त नहीं हैं न ? हमें मामूली सी बातों पर अपने साफ़ छवि के लोगों पर इस तरह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।

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  4. sach pata nahi kyon itna gyan bantne wale guruon ki ek- ek ker aisi aisi baaten samne aa rahin hai ,kitna ajeeb lagta hai. ek pal mein saari mahanta dhri rah jati hai. pandit sri sri ravishanker ke is sach ko ujagar karne ke lie dhanyawad.
    meenakshi srivastava
    meenugj81@gmail.com
    man ki uran blogspot.com

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  5. Q: हकीम सऊद अनवर साहब से

    मुआफ़ करें,
    क्या मेरे आलिम-फ़ाज़िल दोस्त हकीम सऊद अनवर साहब रविशँकर की स्वस्थ साफ छवि पर कुछ रोशनी डालेंगे ?
    शायद हम जैसे कुछ गुमराहों की आँखों से पर्दा हट जाये, और हम भी उन पर अपना यकीदा कायम कर सबाब लूट सकें !

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  6. मुझे जानकर बहुत आश्चर्य लग रहा है

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  7. मुझे जानकर बहुत आश्चर्य लग रहा है

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