ज़रा सोचिए बिना यह जाने कि प्रवेश पाने वाला अच्छी भाषा में चार पंक्तियां भी ठीक से लिख सकता है या नहीं, बिना ये समझे कि प्रवेशार्थी को सामान्य सा सामान्य ज्ञान भी है या नहीं और बिना यह सुनिश्चित किए कि वह पत्रकार बनने की मूलभूत अहर्ता रखता है या नहीं उसे केवल उसके स्नातक या बारहवीं के अंक पत्र के आधार पर प्रवेश दे दिया जाएगा.......क्या ये पत्रकारिता के भविष्य से खिलवाड़ नहीं....और क्या ये अन्याय नहीं कई योग्य
छात्रों के साथ.....
क्या वैसे ही पत्रकारिता में अयोग्य....भाषाहीन....और चरण वंदन की परम्परा में रत लोगों की कमी है...जो और एक पूरी खेप तैयार करने की कोशिश हो रही है...वो भी एक ऐसे विश्वविद्यालय में जो अपने आप में एक मानक है....एशिया का पहला विश्वविद्यालय जो पत्रकारिता के लिए स्थापित हुआ था.....ये क्या हो रहा है....
मैं यह नहीं कह रहा कि अंक क्षमता का प्रमाण पत्र नहीं हैं...ज़रूर हैं...पर पत्रकार बनने की क्षमता का नहीं हैं....एकमात्र प्रमाण तो बिल्कुल नहीं.....केव्स संचार की और अपने तमाम साथियों की ओर से मैं इस तरह के किसी भी प्रयास का पुरज़ोर विरोध करता हूं....आज से इस पूरी अतार्किक प्रक्रिया के खिलाफ़ केव्स संचार अभियान छेड़ रहा है.....हम हर तरह से इसे रोकने की कोशिश करेंगे...उम्मीद है आप साथ आएंगे.....क्या कहना है आपका हमें मेल करें.....cavssanchar@gmail.com
क्या हम व्यक्तिगत मतभेदों से ऊपर उठकर इस के खिलाफ एकसाथ लड़ेंगे.....मुझे उम्मीद है जवाब हां में होगा....तो हल्ला बोल.......
आपके विचार हम रोज़...लगातार श्रृंखलाबद्ध तरीके से प्रकाशित करेंगे....तमाम और वेब और प्रिंट माध्यमों की भी मदद लेंगे.....लड़ाई लड़ेंगे...अगर शांति से बात सुनी गई तो वैसे...और नहीं तो कानूनी मदद भी लेंगे.....
कल हम नितिन शर्मा और मलयांचल के अलावा और भी साथियों के वक्तव्य और विचार प्रकाशित करेंगे....और साथ ही पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति का सम्पर्क भी जिससे आप सब सीधे उनसे बात कर सकें...उनसे विनती कर सकें......पत्रकार हैं....कलम से ही लड़ेंगे.....
इस अभियान में हमारे साथ आने के लिए या इस फैसले का पुरज़ोर विरोध करने के लिए ऑनलाइन पेटीशन पर हस्ताक्षर करने के लिए इस तस्वीर पर क्लिक करें....या फिर दिए गए लिंक का प्रयोग करें....
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ReplyDeleteमाखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा को लेकर गत कुछ दिनों से
ReplyDeleteएक चर्चा और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुछ मित्रों एवं वरिष्ठ सहयोगियों ने विश्वविद्यालय के
निर्णय के विरुद्घ अभियान भी छेड़ रखा है। दरअसल विश्वविद्यालय ने इस सत्र में पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु कुछ नियमों में परिवर्तन किया है। जहां तक मुझे ज्ञात है विश्वविद्यालयीन प्रवेश परीक्षा के स्थान पर इस वर्ष छात्रों का चयन स्नातक के प्रावीण्य सूची के अंकों के आधार पर होगा। मैं विश्वविद्यालय के इस निर्णय के विषय में तो अनभिज्ञ हूं और इस विषय पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया तत्काल नहीं दे सकता। लेकिन विश्वविद्यालय के इस निर्णय के विरुद्ध अभियान छेड़ने वाले अपने वरिष्ठ सहयोगियों एवं
मित्रों से कुछ आवश्यक प्रशन करना चाहता हूं। पहला प्रश्न क्या विश्वविद्यालय के निर्णय के विरोध में चलाए जा रहे अभियान के नेतृत्व कर्ताओं ने इस निर्णय के विषय में विश्वविद्यालय के किसी अधिकृत व्यक्ति से बात की? यदि नहीं की तो किस आधार पर यह अभियान छेड़ गया? क्या मेरे मित्रों ने इस अभियान को शुरु करने से पूर्व इस विषय का आपसी चर्चा के माध्यम से हल निकालने का तनिक भी प्रयत्न किया? प्रश्न दो - प्रवेश परीक्षा ही पत्रकार बनने की गारंटी है क्या? प्रश्न तीन- क्या आप प्रावीण्य सूची प्रक्रिया के आधार पर चयनित होने वाले छात्रों का विरोध कर प्रतिभावान छात्रों के एक बड़ी संख्या का अपमान नहीं कर रहे हैं? प्रश्न- चार- आपने विरोध के लिए चलाए जा रहे अभियान में तुगलकी फरमान शब्द का उपयोग किस आधार पर किया., क्या आप तुगलकी फरमान की परिभाषा बता सकते हैं? प्रश्न पांच- कुछ मित्रों ने विश्वविद्यालय को दिए गए दो वर्षों के अपने योगदान की चर्चा की है क्या मैं उन महानुभाव के योगदान और भूमिका की जानकारी प्राप्त कर सकता हूं? और अंतिम प्रश्न क्या आपके इस अभियान से विश्वविद्यालय की छवि को नुकसान नहीं पहुंचेगा? आपके अभियान में मैं भी अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकूं इससे पूर्व मैं अभियान के संचालकों से इन प्रश्नों के उत्तर का आकांक्षी हूं।
Posted by khandarbar at 04:54