साथियों,
1 जुलाई 2006 जब भोपाल पत्रकारिता की डिग्री लेने माखनलाल विवि पहुंचा तो चयन होने पर मेरे दोस्तों ने मुझे बहुत बधाई दी..कारण माखनलाल विवि की छवि... मेरे साथ जितने लोगों का चयन हुआ था आज सभी बेहतर चैनल और अखबारों में काम कर रहे हैं..और वजह यह है कि विवि ने लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के माध्यम से अच्छे से अच्छे उन छात्रों का चयन किया जिनमें लेखन क्षमता के साथ साथ पत्रकारिता के गुण भी मौजूद थे.....प्रवेश का ये पैमाना 1992 से बदस्तूर जारी था..हमारे सभी सीनियर भी देश विदेश में पत्रकारिता के क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं...मेरा दावा है कि देश के सभी प्रतिष्ठित चैनल और अखबारों में माखनलाल विवि के छात्र विवि का नाम रोशन कर रहे हैं...लेकिन अब ये सिलसिला बंद होने वाला है..अब माखनलाल विवि से पत्रकार नहीं निकलेंगे बल्कि सिर्फ डिग्री हासिल की जाएगी वो भी उसको जिसने पिछली परीक्षा में बेहतर अंक पाए हों...विवि इस वर्ष से प्रवेश परीक्षा बंद कर रहा है..मेरिट को जो चयन का आधार बनाया गया है. जिस दिन मुझे पता चला कि प्रवेश परीक्षा नहीं होगी उसी दिन से बैचेनी और गुस्सा है..समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं. जिस संस्थान ने हमें इस लायक बनाया है..हमें एक पहचान दी है..उस संस्थान के इस बेतुके फैसले से बहुत आहत हुआ..विवि के एक शिक्षक से बात हुई तो उन्होंने भी दुख जताया पर कहा कि ये निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि सीटें आसानी से भर जाएं. यदि यही मकसद रह गया है तो विवि अपनी कब्र खुद खोद रहा है...क्योंकि सीटें तो आसानी से भर जाएंगी लेकिन कोई पत्रकार नहीं निकलेगा...ये उन छात्रों के साथ भी धोखा होगा जो बेहतर करियर के लिए अच्छे अंकों के आधार पर प्रवेश पा जाएंगे....क्योंकि कहीं भी नौकरी उनको मेरिट के आधार पर नहीं मिलेगी वहां पर उनकी योग्यता ही देखी जाएगी....आखिर ये क्या पैमाना है...जिसके 80 फीसदी अंक उसे एडमिशन और जिसके 45 फीसदी उसे नहीं...चाहे 45 फीसदी अंक वाला छात्र अच्छा लिखना जानता हो...अच्छा बोलना जानता हो...उसका अच्छा सामान्य ज्ञान हो.
(आप सब से भी अनुरोध है कि इस मामले में आगे आएं....हमारे साथ खड़े हों इस तानासाही और सनक बरे रवैये के खिलाफ़....हमें लिख भेजें cavssanchar@gmail.com पर....)
इस मुहिम में साथ आने और नई प्रवेश प्रक्रिया का विरोध करने के लिए ऑनलाइन पेटीशन पर हस्ताक्षर करें....
बहुत अच्छा प्रयास अपने माखनलाल के छात्रों का....कृपया संस्थान से सम्बंधित एक और आलेख ज़रूर पढ़ें.....माखनलाल विश्वविद्यालय : लाल ना रंगाऊं मैं हरी ना रंगाऊं.... http://www.pravakta.com/?p=10308
ReplyDeleteइस लिंक पर...अपने सभी अनुजों को शुभ्काम्न्याएं.
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा को लेकर गत कुछ दिनों से
ReplyDeleteएक चर्चा और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुछ मित्रों एवं वरिष्ठ सहयोगियों ने विश्वविद्यालय के
निर्णय के विरुद्घ अभियान भी छेड़ रखा है। दरअसल विश्वविद्यालय ने इस सत्र में पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु कुछ नियमों में परिवर्तन किया है। जहां तक मुझे ज्ञात है विश्वविद्यालयीन प्रवेश परीक्षा के स्थान पर इस वर्ष छात्रों का चयन स्नातक के प्रावीण्य सूची के अंकों के आधार पर होगा। मैं विश्वविद्यालय के इस निर्णय के विषय में तो अनभिज्ञ हूं और इस विषय पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया तत्काल नहीं दे सकता। लेकिन विश्वविद्यालय के इस निर्णय के विरुद्ध अभियान छेड़ने वाले अपने वरिष्ठ सहयोगियों एवं
मित्रों से कुछ आवश्यक प्रशन करना चाहता हूं। पहला प्रश्न क्या विश्वविद्यालय के निर्णय के विरोध में चलाए जा रहे अभियान के नेतृत्व कर्ताओं ने इस निर्णय के विषय में विश्वविद्यालय के किसी अधिकृत व्यक्ति से बात की? यदि नहीं की तो किस आधार पर यह अभियान छेड़ गया? क्या मेरे मित्रों ने इस अभियान को शुरु करने से पूर्व इस विषय का आपसी चर्चा के माध्यम से हल निकालने का तनिक भी प्रयत्न किया? प्रश्न दो - प्रवेश परीक्षा ही पत्रकार बनने की गारंटी है क्या? प्रश्न तीन- क्या आप प्रावीण्य सूची प्रक्रिया के आधार पर चयनित होने वाले छात्रों का विरोध कर प्रतिभावान छात्रों के एक बड़ी संख्या का अपमान नहीं कर रहे हैं? प्रश्न- चार- आपने विरोध के लिए चलाए जा रहे अभियान में तुगलकी फरमान शब्द का उपयोग किस आधार पर किया., क्या आप तुगलकी फरमान की परिभाषा बता सकते हैं? प्रश्न पांच- कुछ मित्रों ने विश्वविद्यालय को दिए गए दो वर्षों के अपने योगदान की चर्चा की है क्या मैं उन महानुभाव के योगदान और भूमिका की जानकारी प्राप्त कर सकता हूं? और अंतिम प्रश्न क्या आपके इस अभियान से विश्वविद्यालय की छवि को नुकसान नहीं पहुंचेगा? आपके अभियान में मैं भी अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकूं इससे पूर्व मैं अभियान के संचालकों से इन प्रश्नों के उत्तर का आकांक्षी हूं।
Posted by khandarbar at 04:54
आदरणीय ख़बरदार जी,
ReplyDeleteख़बरदार करने के लिए आभार, पर देखकर हैरानी हुई कि इतने सचेत व्यक्ति बेनामी टिप्पणी करने में विश्वास करते हैं। चाहूंगा कि आप सच कह ही रहे हैं तो सामने आकर कहें, खैर असहमति का महत्व लोकतंत्र में सबसे ज़्यादा है।
हम नहीं कहते कि प्रवेश परीक्षा काबिलियत की गारंटी है क्योंकि इसके बाद भी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में तमाम ऐसे लोग प्रवेश पा जाते थे जो पत्रकारिता से ज़्यादा और विषयों में रुचि रखते थे, लेकिन सोचें कि जब प्रवेश परीक्षा के बाद भी कुछ लोग ऐसे आ रहे थे तो जब प्रवेश परीक्षा ही नहीं होगी....पता ही नहीं होगा कि प्रवेशार्ती की भाषा, शैली, सामान्य ज्ञान और सरोकारी समझ कैसी है तो क्या हाल होगा....ज़ाहिर है कुछ तो फिल्टर हो....
आपने कहा कि मेरिट में आने वाले प्रतिभाशाली छात्रों का अपमान तो आप खुद बताएं कि आपके साथ स्नातक या स्कूल में कई छात्र रहे होंगे जो आपसे अधिक अंक लाते रहे होंगे...तो क्या वो लिखते भी आपसे अच्छा थे....दरअसल हर क्षेत्र और पेशे के कुछ मानक होते हैं...पत्रकारिता और लेखन में अच्छे अंक लाना नहीं बल्कि अच्छा लिखना...अच्छी समझ होना मानक है...ज़ाहिर है कि अंक कम से कम पत्रकारिता के प्रशिक्षुओ के मानक नहीं हो सकते....गणित और भौतिकी में अच्छे अंक लाने वाले के अच्छे प्रोफेसर....अच्छे वैज्ञानिक या अच्छे अभियंता बनने के आसार ज़्यादा प्रबल हैं...न कि अच्चा पत्रकार...वो बन भी सकता है पर इसके लिए अगर एक 100 शब्दों का आलेख वो लिख कर अपने को साबित कर दे...तो क्या ये प्रतिभा का अपमान है....
आपके उत्तर की प्रतीक्षा में...पर आपके असल परिचय के साथ....
विरोध केवल विरोध के लिए नहीं सार्थक हो...ये ही मेरा उद्देश्य है...और कुछ नहीं....
प्रति
ReplyDeleteCAVS संचार
विगत दिनों माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के नियमों में परिवर्तन के विरोध में चलाए जा रहे अभियान को लेकर खानदरबार ने अपनी असहमति जताई। इस असहमति को हमारे कैव्स के ब्लॉगवीरों की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। साथ ही हमारे एक वरिष्ठ सहयोगी ने खानदरबार का परिचय जानने की इच्छा व्यक्त की है। खानदरबार 'क्षमा' प्रार्थी है कि आपके अभियान को लेकर प्रश्न उठाने से पूर्व वह अपना परिचय नहीं दे सका। हमारा मानना है कि असहमति की अभिव्यक्ति कहीं अधिक आवश्यक है बजाय कि परिचय एवं प्रचार के...अब जब बात परिचय की हुई ही है तो खानदरबार के विषय में छोटा सा परिचय प्रस्तुत है। खानदरबार एक संगठन है पत्रकारिता के संघर्षों की पूर्व तैयारियों का...खानदरबार एक संस्था है युवा पत्रकारों की जो देश के कोने कोने से आकर भोपाल के एक छोट से घर में रहते हैं...खानदरबार एक आंदोलन है झूठी और सस्ती लोकप्रियता अर्जित करने के लिए पत्रकारिता का प्रयोग करने वाले लोगों का सच दुनिया के सामने लाने का...खानदरबार व्यवस्था है समस्याओं के स्वंय निराकरण के प्रयासों की...खानदरबार सहमति है वैचारिक स्वीकार्यता की...और यह एक विचार है राष्ट्रगौरव के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों में युवाओं की एकजुट सहभागिता सुनिश्चत करने की...
खानदरबार
bhai mera to ye mat hai ki is baare mein kulpati ki rai jaan leni chaahiye....
ReplyDeletekhandarbaar ka parichay rochak lagaa...
waise entrance hi jyada behtar lagta hai...
mayank ji kya aap makhanlal ke centres ke khilaaf bhi muhim chedrahe hain ?? ye bhi patrakaarita ko barbaad kar rahe hain..