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Tuesday, June 15, 2010

हाई री भाजपा,वाह री भाजपा

12 -13 जून को पटना मे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई और शायद सभी जानते है कि इसमे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ साथ भाजपा के 6 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए .हालाकि लेकिन गुजरात और नरेंद्र मोदी का मसला हमेशा से एक अलग विषय रहा है. 12 जून को अखबार मे एक विज्ञापन आया जिसमे मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार को एक साथ दिखाया गया जिससे व्यथित और गुस्से मे आकर नीतीश ने कानूनी कार्यवाई करने की धमकी दी और साथ साथ उन्होने यह भी कहा की बिहार मे मोदी का क्या काम .जिस तरह से नीतीश ने भाजपा को बिहार मे उसकी औकात बतायी है वो किसी भी सूरते हाल मे आश्चर्य की बात नही है . पहले उत्तरप्रदेश,फिर झारखंड मे शिबू सोरेन का भाजपा को ठेंगा दिखाया जाना ये साबित करता है भाजपा नेतृत्व मे किस तरह की उलझन है. मै यहां सिर्फ बिहार की बात करता हूं.नीतीश कुमार को नाराजगी इस बात को लेकर है कि उन्हे बिना बताये ही नरेंद्र मोदी के साथ उनकी तस्वीर क्यो छपवाई गई . नीतीश कुमार की ये बात एक हद तक सही है ...लेकिन मोदी के साथ हाथ मिलाना मुझे नही लगता है कि ये राष्ट्र या बिहार के लिए शर्म की बात है.मोदी गुजरात राज्य के निर्वाचित सीएम है जिन्हे वहां की जनता ने दो बार भारी बहुमत से सत्ता मे पहुंचाया है. अगर नीतीश को मोदी से हाथ मिलाने मे परहेज है तो फिर भाजपा से पिछले 15 साल से गठबंधन क्यो गांठे रखा है. गुजरात दंगे के बाद एनडीए से रामविलास पासवान,एम करूणानिधी,ममता बनर्जी,फारूख अबदुल्ला,मायावती एक एक कर सारे नेताओं ने भाजपा का साथ छोड़ दिया लेकिन नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ क्यो नही छोड़ा है और छोड़ेगे भी नही क्योकि उन्हे भली भांति ये पता है कि वे बीजेपी के बिना सत्ता मे वापस आ नही सकते ,लालू प्रसाद उन्हे भाव देंगे नही और कांग्रेस मे इतना दम नही है कि वे भाजपा की भरपाई को वो पूरा कर सके...गुजरात दंगे के बाद जिस तरीके से मोदी को अलग थलग करने की कोशिश हुई वो सारी की सारी बेकार हुई है और मै ये विश्वास करता हूं कि गुजरात का दंगा गोधरा में 57 निर्दोष लोगो को तालीबानी तर्ज पर मारे जाने के कारण लोगो की तात्कालिक प्रतिक्रिया थी और मै ये भी मानता हूं कि मोदी के अलावा कोई और होता तो वो भी उसी ढंग से निपटता जैसे मोदी ने निपटा है क्योकि 1984 का दंगा और मार्च 2007 का नंदीग्राम वारदात या फिर 2008 मे असम मे आदिवासियों की सामूहिक रूप से हत्या इसका जीती जागती मिसाल है.हालांकि हिंसा किसी भी चीज का समाधान नही हैं
नीतीश कुमार ने भाजपा को एक तरह से उसकी औकात बिहार मे बतायी ठीक उसी तरह जिस तरह उड़ीसा मे नवीन पटनायक ने भाजपा को उसकी औकात बतायी थी. मै ये नही समझ पा रहा हूं कि एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी जिसकी 6 राज्यो मे अपने दम पर सरकार है वो अपने सहयोगी दलों के सामने इस तरह मजबूर क्यों है. जब कर्नाटक जैसे दक्षिण राज्य मे भाजपा अपनी सरकार बना सकती है तो फिर बिहार जैसे राज्य मे क्यो नही वहां तो पहले से भाजपा का अपना एक अच्छा खासा जनाधार है. भाजपा को यह पता करना पड़ेगा कि क्यो जनाधार वाले नेता को बिहार या झारखंड मे पार्टी लाइन से अलग कर दिया गया. क्यों साफ सुथरी छवि वाले बाबू लाल मरांडी के दामन को छोड़कर भाजपा को शिबू सोरने के हाथ को थामना पड़ा. मोदी भाजपा के साथ साथ गुजरात के सीएम है और भाजपा को चाहिए कि वो इस मसले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे. वो बताए कि उसके लिए भाजपा ज्यादा मायने रखती है या नीतीश कुमार. राहुल गांधी का उदाहरण उसके सामने है जिन्होनें मुलायम सिंह और लालू यादव को धकिया कर यूपी और बिहार मे अकेले कांग्रेस को चुनाव लड़वाया और नतीजे सबके सामने है. भाजपा को यह पता करना पड़ेगा कि 5 साल के बिहार के शासन काल के दौरान मे उसने जमीनी स्तर पर क्यो ऐसा नेतृत्व नही खड़ा किया जिसके बदौलत भाजपा खुद चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो पाती. बैसाखी के सहारे इंसान कभी दौड़ नही सकता है उड़ीसा मे नवीन पटनायक के सहारे 10 साल तक सत्ता का सुख भाजपा लेती रही और नवीन पटनायक ने एक ही झटके मे उड़ीसा मे भाजपा को उसकी औकात बता दी.स्वस्थ प्रजातंत्र की आवश्यक शर्त है कि विपक्ष मजबूत हो लेकिन भाजपा पिछले 6 साल मे ऐसा करने मे असफल रही हैं. मोदी गुजरात के लिए ही नही पूरे भारत के लिए मिसाल है जिन्होने अपने कुशल नेतृत्व से गुजरात को शिखर पर पहुंचाया है. कुछ लोग ये कहते हैं कि गुजरात मे पहले से ही अकूत संपदा है मोदी ने कुछ नही किया . फिर बिहार के पास भी तो 2000 तक कोयला, अभ्रक, लोहा, यूरेनियम की खदानों का भंडार था क्यो बिहार विकास की दौड़ मे सबसे पिछड़ा रह गया. मै बिहार के भागलपुर से हूं और मै इस बात का गवाह हूं कि किस तरह जिला मुख्यालयों मे भी 18 घंटे तक लाइय नही आती है. स्कूल मे टीचर नही है तो अस्पतालों मे कोई डाक्टर नही. विश्वविधालयों के सेशन 5 -5 साल तक लेट होता है और छात्र लालटेन की रोशनी मे अपनी परीक्षा की तैयारी करते हैं.गुजरात को खुशहाल बनाने के लिए वहां की सरकार ने सुजलां सुफलां और गोकुल ग्राम परियोजना को धरातल पर उतार कर वहां के लोगो को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का पूरा अवसर दिया ,बिहार के नेता बताए कि पिछले 60 सालों मे क्या उनके पास ऐसी कोई योजना है ..हालांकि पिछले कुछ सालों मे सड़क और कानून –व्यवस्था मे काफी सुधार आया है. नीतीश कुमार के साथ साथ बिहार के तथाकथित तारणहारों को यह जवाह देना होगा कि आजादी के 56 साल बाद भी बिहार के हिस्से मे कोई सेंट्रल यूनिवर्सिटी क्यो नही ,क्यो नही एम्स या आईआईएम की ब्रांच स्थापित नही हो पायी . क्यो नही बिहार मे निफ्ट की कोई शाखा खुल पायी. क्योंकि दिल्ली ,अहमदाबाद,सुरत,मुंबई, या जालंधर से बिहार आने वाली ट्रेनों मे बिहारी जानवर की तरह यात्रा करने पर विवश रहते है जबकि वे पूरे पैसे भारतीय रेलवे को चूकता करते है.क्यों बिहारी गुजरात ,दिल्ली या मुंबई रोजगार करने के लिए जाए बिहार को इस तरह से प्रगति क्यों नही हो पायी कि दूसरे राज्यों के लोग बिहार शिक्षा और रोजगार के लिए आते .वजह साफ है बेरोजगारी और भूखमरी केवल तथाकथित धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाले नेताओं ने बिहार की जनता की पीड़ा को नही समझा. आप बिहार जाकर खुद देख सकते है मई जून के महीने मे जब निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार के अभिभावक अपने बच्चों को बिहार से बाहर एडमीशन करवाने के लिए एड़ी चोटी एक कर देते है और इसलिए बिहार से प्रतिभा और पैसे दोनों का पलायन भारी पैमाने पर हुआ. वहां पर कोई ऐसा मैनेजमेन्ट,पत्रकारिता, टेक्नालांजी या फिर लां का ऐसा विश्वसनीय संस्थान खुल नही पाया जिस पर वहां के छात्र भरोसा कर सके..आपकी किसी भी व्यक्ति से मतांतरण हो सकता है और राजनीति मे ऐसा होता भी है लेकिन सिर्फ सियासी मकसद पूरा करने के लिए किसी लोक्रपिय और सटीक काम करने वाले चेहरे को इस तरह रूसबा करना किसी भी दृष्टिकोण से जायज नही हैं....

3 comments:

  1. Bhai sahab B J P ki hi den hai ki Nitish Kumar Bihar ke Mukhya Mantri bane. Aaj bhi BJP ke paas hi sangathan hai. Nitish Kumar jis tarah se Chanakya ban rahe hai usame lazami hai ki BJP ne bhi apna rookh dikha diya..........

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  2. इनकी यही बात सबसे ज्यादा दुखी करती है भाजपा वैसे तो एक राष्ट्रीय दल है परंतु इन्होंने हमेशा क्षेत्रिय दलों से घुटनाटेक समझौते किये हैं चाहे उत्तरप्रदेश में मायावती के साथ हो कर्नाटक में कुमारस्वामी और अब भी अक्ल नहीं आयी और झारखण्ड में सोरेन से किया। नीतिश बार-बार आंखें दिखा रहे हैं परंतु ये उनको सख्त संदेश देने में नाकामयाब रहे इन सब बातों से इनके कायकर्ताओं में हमेशा गलत संदेश गया है और ये सत्तालोलुप साबित हुए हैं

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