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Monday, April 14, 2008

भूल गए न .....





कल थी १३ अप्रैल और हम सब एक बार फिर कुछ भूल गए ..... कल के ही दिन १९१९ में जलियांवाला बाग़ में कातिल डायर के हाथों सैकडो निर्दोषों की जान गई थी कुछ याद पडा ? खैर कोई बड़ी बात नहीं हैं क्यूंकि अब यह आम बात हैं दरअसल फ़िल्म अभिनेताओ के जन्मदिन याद रखते रखते अब हम ये सब छोटी मोटी बातें भूलने लगे हैं ...


पर माफ़ी चाहूँगा कि मैंने जुर्रत की याद दिलाने की पर अब याद आ ही गई हैं तो भगत सिंह की डायरी से कुछ , यह कविता भगत सिंह ने जतीन दा की मृत्यु पर पढी थी, जिसके लेखक यू एन फिग्नर थे,


जो तेजस्वी था वह धराशायी हो गया


वे दफ़न किए गए किसी सूने में


कोई नहीं रोया उनके लिए


अजनबी हाथ उन्हें ले गए कब्र तक


कोई क्रोस नही


कोई शिलालेख नहीं बताता उनका गौरवशाली नाम


उनके ऊपर उग आई है घास ,


जिसकी झुकी पत्ती सहेजे है रहस्य


किनारे से बेतहाशा टकराती लहरों के सिवा


कोई इसका साक्षी नहीं


मगर वे शक्तिशाली लहरें


दूरवर्ती गृह तक विदा संदेश नहीं ले जा सकती ........



कुल मिला हम आगे भी शायद इनका बलिदान याद नहीं रखने वाले हैं जब तक कि याद न दिलाया जाए ! खैर कुछ लोग हमेशा इस याद दिलाने के काम में लगे रहेंगे .....


धन्यवाद महान नेताओं को


जागरूक मीडिया को


सेवक समाज सेवियो को


साम्यवादी कलाकारों को


देशभक्तों को परदे पर उतारते फ़िल्म कलाकारों को


बुद्धिजीविओं को


विद्वानों को


हम सबको


जो आज का दिन भूल गए


ठीक ही है .....


जब सामने मरता आदमी नहीं दिखता


तो वो तो बहुत पहले मर चुके !!


जलियावाला बाग़ में आज के दिन १९१९ में रोलेट एक्ट का विरोध करने एक आम सभा में करीब २० हज़ार लोग इकट्ठा हुए थे ........ दिन था फसलों के त्यौहार बैसाखी का ...... बाग़ से निकलने के इकलौते रास्ते को बंद करवा कर पंजाब के लेफ्टिनेंट माइकल ओ डायार ने १६५० राउंड फायर करवाए ....निर्दोष औरत, बच्चे , बूढे, और पुरूष क़त्ल...............१५०० घायल !!!


भूल गए


हो गई गलती .....


आख़िर कहाँ तक याद रखें ....!


मार्च १९४० में उधम सिंह ने डायर की लंदन में हत्या की ..... मकसद था जलियावाला का बदला लेना फांसी दिए जाने पर उधम सिंह ने कहा,


" मुझे अपनी मौत का कोई अफ़सोस नहीं है। मैंने जो कुछ भी किया उसके पीछे एक मकसद था जो पूरा हुआ ! "


पर हम भूल गए क्या कोई मकसद है हमारे पास ?????


सोचना शुरू करिये ....... आख़िर आप सब भावी पत्रकार हैं !


सुनहरे भविष्य की शुभकामनाएं !!!



मयंक सक्सेना


mailmayanksaxena@gmail।com

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