एक वो लम्हा था, एक ये लम्हा है.....
वो भी क्या संसार था,
जहा माँ का प्यार था,
आंखो मे उसके ममता थी,
और हाथो मे दुलार था,
कभी डांटना मुझको गुस्से से,
फ़िर सहलाना मेरे बालो को,
देख पसीना चेहरे पर,
पोछ्ना आकर गालों को,
सोचता हू उस कल के बारे मे,
तो लगता है की ये आज कितना तन्हा है......
एक वो लम्हा था,एक ये लम्हा है......
एक सुंदर सी प्यारी बहना है मेरी,
बस नही चलता मेरा उसकी शरारती यादों पर,
चाही अनचाही कहा सुनी के साथ,
एक धागा रोज महसूस करता हू हाथो पर,
कभी छोड़ना उसको सहेली के घर,
फ़िर फिक्र करना उसकी शामो सहर ,
सोचता हू उस कल के बारे मे,
तो लगता है की ये आज कितना तन्हा है.....
एक वो लम्हा था,एक ये लम्हा है.....
मकरंद काले
cavs
rula diya dost !!
ReplyDeletebahut achcha hai bhai........keep it up..........
ReplyDelete"jao chahe shehar shehar , ghoomo chahe gaanv
maa ke bheene aanchal jaisi kahin na thandi chaanv"