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Thursday, June 3, 2010

मलयांचल मिश्रा की अपील

प्रिय साथियो,

आपको ये जानकर बड़ा ही आश्चर्य व दुख होगा जैसा की मुझे भी हुआ, की हमारे विश्वविद्यालय ने हमारे २ साल की अथक मेहनत व प्रयास को मिटटी में मिलाने की पूरी तैयारी कर ली है! मुझे मालुम है की २ साल जिस परिवार के साथ हमने कुछ दुखद व सुखद पल बिताये है उस परिवार के लिए आपके सामने ये अपमानजनक शब्द का प्रयोग मुझे नही क्या करना चाहिए पर क्या करू जब भी बच्चे को कोई चोट पहुचती है तो सबसे पहले वो अपने परिवार को ही बताता है, सो ऐसा ही मैंने भी करने की कोशिश की है!
मै आपको अवगत करना चाहूँगा की, विश्वविद्यालय अब नए सत्र में प्रवेश के लिए देश भर में आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा को बंद करके सिर्फ और सिर्फ मेरिट के आधार पर प्रवेश देना चाहता है, अब आप ही मुझे बताये ये कहा तक तर्क या युक्ति सांगत है! हमारी देश की खस्ताहाल शिक्षा व्यवस्था से तो सभी वाकिफ है, और ऊपर से नक़ल माफियाओं ने तो सब गुड गोबर कर दिया है जिससे आज सभी स्कूल, कॉलेज अपनी वार्षिक परीक्षाये गावो में आयोजित कराकर शत प्रतिशत परिणाम प्राप्त करने की होड़ में शामिल हो गए है! अब ऐसे में अगर हमारा विश्वविद्यालय मेरिट के आधार पर विद्यार्थियों को प्रवेश देगा तो आप ही समझ सकते है की इससे विश्वविद्यालय से भविष्य के पत्रकार निकलेंगे या भविष्य के बेरोजगार !
वैसे भी पत्रकारिता के क्षेत्र में बढती अनियमित्ताओ से पूंजीपतियों की बांचे खिली हुई उस पर से विश्वविद्यालय के इस फैसले से तो हमारा बेडा गर्क ही है ! अब आप सभी पुरातन व नवीन साथियो से ये विनम्र अनुरोध है की इस विषय पर खुल कर चर्चा करे तथा किसी महत्वपूर्ण एवं पक्ष के नतीजे पर पहुचे !
आपका
मलयाचल मिश्र
भूतपूर्व विद्यार्थी (विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग २००७ - २००९ सत्र)
वर्तमान - मेनेजर - पी.आर एंड मार्केटिंग, ए.आर.ए डिजिटल मीडिया ग्रुप, जयपुर

ऑनलाइन अपील पर हस्ताक्षर करें.....

1 comment:

  1. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा को लेकर गत कुछ दिनों से
    एक चर्चा और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुछ मित्रों एवं वरिष्ठ सहयोगियों ने विश्वविद्यालय के
    निर्णय के विरुद्घ अभियान भी छेड़ रखा है। दरअसल विश्वविद्यालय ने इस सत्र में पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु कुछ नियमों में परिवर्तन किया है। जहां तक मुझे ज्ञात है विश्वविद्यालयीन प्रवेश परीक्षा के स्थान पर इस वर्ष छात्रों का चयन स्नातक के प्रावीण्य सूची के अंकों के आधार पर होगा। मैं विश्वविद्यालय के इस निर्णय के विषय में तो अनभिज्ञ हूं और इस विषय पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया तत्काल नहीं दे सकता। लेकिन विश्वविद्यालय के इस निर्णय के विरुद्ध अभियान छेड़ने वाले अपने वरिष्ठ सहयोगियों एवं
    मित्रों से कुछ आवश्यक प्रशन करना चाहता हूं। पहला प्रश्न क्या विश्वविद्यालय के निर्णय के विरोध में चलाए जा रहे अभियान के नेतृत्व कर्ताओं ने इस निर्णय के विषय में विश्वविद्यालय के किसी अधिकृत व्यक्ति से बात की? यदि नहीं की तो किस आधार पर यह अभियान छेड़ गया? क्या मेरे मित्रों ने इस अभियान को शुरु करने से पूर्व इस विषय का आपसी चर्चा के माध्यम से हल निकालने का तनिक भी प्रयत्न किया? प्रश्न दो - प्रवेश परीक्षा ही पत्रकार बनने की गारंटी है क्या? प्रश्न तीन- क्या आप प्रावीण्य सूची प्रक्रिया के आधार पर चयनित होने वाले छात्रों का विरोध कर प्रतिभावान छात्रों के एक बड़ी संख्या का अपमान नहीं कर रहे हैं? प्रश्न- चार- आपने विरोध के लिए चलाए जा रहे अभियान में तुगलकी फरमान शब्द का उपयोग किस आधार पर किया., क्या आप तुगलकी फरमान की परिभाषा बता सकते हैं? प्रश्न पांच- कुछ मित्रों ने विश्वविद्यालय को दिए गए दो वर्षों के अपने योगदान की चर्चा की है क्या मैं उन महानुभाव के योगदान और भूमिका की जानकारी प्राप्त कर सकता हूं? और अंतिम प्रश्न क्या आपके इस अभियान से विश्वविद्यालय की छवि को नुकसान नहीं पहुंचेगा? आपके अभियान में मैं भी अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकूं इससे पूर्व मैं अभियान के संचालकों से इन प्रश्नों के उत्तर का आकांक्षी हूं।
    Posted by khandarbar at 04:54

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