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Tuesday, May 27, 2008
कर्णाटक चुनाव ; अवसर वादिता को तमाचा
२००४ के चुनावों में ५८ सीटें जीतने वाली जे दी एस इस बार सिर्फ़ २८ सीटों पर सिमट गयी । वास्तव में जितना बड़ा अपराध लोकतंत्र के साथ जे दी एस द्वारा किया गया था उसके बदले में जनता नें जो उसे सजा दी , यह कम ही कही जायेगी । कायदे में उसे एक भी सीट नही मिलनी थी और सभी प्रत्याशियों कि जमानत जब्त होनी थी । खैर इस बात से सभी मौका परास्त लोगों को ये ज़रुर समझ आ गया होगा कि जंग और मुहब्बत में भले ही सब जायज़ हो लेकिन राजनीति में सब कुछ जायज़ नही होता । पर समझ में तो तभी आएगा न जब समझ होगी।
कर्नाटक चुनाव भाजपा के लिए ऐतिहासिक हैं । पहली बार वह दक्षिण में अकेले सरकार बनाकर ये सिद्ध करने जा रही है कि वह मात्र उत्तर कि पार्टी नही है । ऐसा राजनाथ जी कह रहे हैं। पर शायद उन्हें अपने कथन का मूल्यांकन करते रहना होगा क्यूंकि भाजपा दक्षिण में बधाई कि पात्र हो सकती है लेकिन अपने गढ़ उत्तर में कमज़ोर हो रही है । और उत्तर में अपना प्रभाव बनाये रखने के लिए उसे काफ़ी मेहनत करनी होगी । खासकर उत्तर प्रदेश में , जहाँ के जनमानस में उसकी छवि वैचारिक भटकाव वाली पार्टी कि बन रही है । फिर भी भाजपा के पक्ष का एक व्यक्ति विशेष बधाई का पात्र है वह है , अरुण जेटली । चुनाव प्रबंधन का गुरु।
कांग्रेस इस बात को लेकर खुश है कि उसकी सीटें पिछली बार से १५ बढ़ कर ८० हो गयी । अच्छी बात है । उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ा है लेकिन उसे इस बात पर विचार अवश्य करना चाहिए कि क्यों भाजपा कि ३१ सीट बढ़ी जबकि उसकी मात्र १५।
निर्दलीय इस बार ६ हैं । कम हैं । लेकिन कर्नाटक की राजनीती में या कहे भारत की राजनीति में जो काम वह करते आए हैं , उसे करने के लिए पर्याप्त हैं । कर भी रहे हैं । आप समझ ही गए होंगे... मतलब ...सरकार बनवाना । कम से कम इन्हे आप जे दी एस कि तरह मौकापरस्त मत मान लीजियेगा । ये तो राजनीति की महाभारत के बर्बरीक हैं भाई । ये जिधर जाते हैं वह पक्ष शक्ति-केन्द्र बन जाता है । ......
बातों -बातों में
sisro
Monday, May 26, 2008
डर 'एक यात्रा वृतांत'
Thursday, May 15, 2008
देविका जी की नौकरी
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक उनको कल यानी कि १६ मई को ज्वाइन करना है। तो हम सबकी तरफ़ से उनको बधाई !
केव्स वालो का रंग बस देखते जाओ !!!
देविका की ई मेल आई डी devikachhibber@gmail.com
अफ़सोस ......
बधाई हो ..... आप वीर हैं कि इतनी बड़ी घटना से मुंह चुराने में सफल हुए यह निश्चित ही वीरता की बात है, मैं परसों रेल में था और कल दिल्ली में और आज ब्लॉग खोला तो उम्मीद थी कि ................ पर आप लोगों ने निराश नहीं हतोत्साहित कर दिया। खैर उम्मीद है कि आइन्दा ..........
धमाको में मारे गए लोगो की अकाल मृत्यु पर संवेदना व्यक्त करते हुए मैं इस ब्लॉग एवं केव्स परिवार की ओर से शोक संतप्त परिजनों को सहानुभूति निवेदित करता हूँ ........
बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना
तुम्ही सो गए दास्ताँ कहते कहते
Wednesday, May 14, 2008
एक सूचना जो स्टोरी बन सकती है ...
आसरा नाम का ये वृध्धाश्रम पुराने भोपाल में बाबे अली स्टेडियम के सामने स्थित है । यहाँ कुल ९६ वृद्ध लोगों का परिवार है , जिनमे से एक हैं पी सी शर्मा । १४ फ़रवरी १९०८ इनकी जन्मतिथि है । १०० साल पूरे कर चुके हैं पर हैं एक दम चुस्त दुरुस्त और बात चीत में कहते हैकि एक अपनी १०० साल की एक उम्र तो मैंने जी ली अब आज तो मैं ९० दिन का बच्चा हूँ ....ये जीवट है उस व्यक्ति का , हाँ कुछ साल पहले गाय ने मार दिया था तो पेट में जख्म हो गया था , डॉक्टर ने ज्यादा चलने से मना किया है तो ज्यादातर समय व्हील चेयर पर रहता है , लेकिन फिर भी कैमरा ट्राई पोड उठा कर उसे शिफ्ट कर देता है .....ज़िंदगी पता नही कब साथ छोड़ दे पर अंग्रेज़ी उच्चारण सुधारना चाहता है , इसके लिए मुझसे एक डिक्शनरी मांगता है पर फ्री में नही , जेब में हाथ डाल कर पैसों के लिए टटोलता है....वह और भी कुछ चाहता है....
दरअसल शर्मा जी ने ब्रिटिश वायु सेना जिसे तब रोंयल एयर फोर्स कहा जाता था , के लिए १९३९ से १९५२ तक काम किया है । और वह अपनी इस सेवा के लिए ब्रिटिश सरकार से पेंशन चाहते हैं । कई चिट्ठियां लिखी हैं , पर पहले तो ब्रिटिश सरकार ने ये कह कर टाल दिया की आपकी सेवा का कोई प्रमाण नही है , जब शर्मा जी ने अपने प्रमाण पत्र भेजे जो कहा गया चूंकि भारत १९४७ में आजाद हो गया तो आपको ५२ तक फोर्स के लिए काम करने की जरुरत नही थी आपका सेवा काल सं ४७ तक ही माना जाएगा। और चूंकि पेंशन के लिए कम से कम १० साल की सेवा ज़रूरी है , इसलिए आपको पेंशन नही मिल सकती ।
शर्मा जी कहते हैं कि आज़ादी के वक्त वह पाकिस्तान में तैनात थे उनसे कहा गया कि रोयाल एयर फोर्स उसी तरह उनकी सेवा लेती रहेगी , वह फोर्स के नियमित कर्मचारी रहेंगे लेकिन जब पाकिस्तान में दंगे होने लगे तो शर्मा जी ने अपना नाम फकीर चंद रखा और कई मील पैदल चल के जनवरी कि ठंडक में नंगे बदन सरहद पार करके १९५३ में भारत पहुचे । उनके पास सभी प्रमाण मौजूद हैं कि वह १९५२ तक रोयाल एयर फोर्स के नियमित कर्मचारी रहे हैं ।
शर्मा जी कहते हैं कि लड़ाई पैसों कि नही इन्साफ की है ।
मैं अपने सभी पत्रकार भाइयों से अनुरोध करता हूँ कि अगर आपको लगता है कि शर्मा जी पर एक सार्थक स्टोरी बन सकता है तो कृपया जल्दी करें क्यूंकि शर्मा जी के पास वक्त नही है ...........
और फ़िर आप भी तो खली से ऊब गए होंगे !
धन्यवाद !
Monday, May 12, 2008
कलम आज ..............
जला अस्थियाँ बारी बारी,
चिट्कायी जिनने चिंगारी,
जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर,
लिए बिना गर्दन का मोल,
कलम आज उनकी जय बोल
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही लू लपट दिशाएं
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल
अँधा चकाचौंध का मारा,
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के,
सूर्य चंद्र भूगोल खगोल,
कलम आज उनकी जय बोल
- रामधारी सिंह ' दिनकर '
पेटा का प्यार
Wednesday, May 7, 2008
ताल.....
५ तारीख को आकाशवाणी पर नौशाद साहब की बरसी , के मौके पर प्रोग्राम तैयार कर रहा था । मौका बहुत जज्बाती था। फ़िल्म संगीत की महान हस्ती , नौशाद को हमसे बिछड़े दो साल हो गए। ज्यादातर युववाणी में ऐसे प्रोग्राम्स मैं ही करता हूँ .......शायद अपनी जानकारी उड़ेलने में मुझे ज्यादा मज़ा आता है। उस दिन भी बस इसी की तैय्यारी कर रहा था । अचानक राकेश धौंदियाल साहब ने पूछा ..."किशन महाराज के बारे में क्या जानते हो ?" मैंने कहा "तबला नवाज़ हैं" राकेश साहब ने आश्चर्य भरे स्वर में कहा ..."हैं ?" फिर जैसे मेरे दिल में एक अजीब सी खामोशी गूँज गयी।
"कल रात किशन महाराज नही रहे !" ( जेहन अभी नौशाद साहब से आजाद भी नही हो पाया था।) ; सुन कर लगा की मैं दुनिया से अलग था क्या ? और सुनने के बाद तो जैसे वाकई दुनिया से विरक्त हो गया । वह व्यक्ति जिसका नाम लेने से ही ऐसी रौबीली और विशाल छवि उभरती है, जिसकी आभा और आकार दोनों को समेट पाना मन के बस में नही है, मृत्त्युशैय्या पर कैसा लग रहा होगा ? शायद मृत्यु को भी वह ललकार रहे होंगे की ...."जीते जी तो मुझसे बनारस कोई छुडा नही पाया ,अब तुम्हारा वक्त है कोशिश कर लो "
महाराज को बनारस से अलग कर पाना वाकई सम्भव नही है , उनके तबले की ताल बनारस के घाटों पर सुनाई देने वाली गंगा की कलकल में बसी है । और जब तक गंगा बनारस से होकर , हिंदुस्तान के मुखतलिफ कोनों से गुज़रती रहेगी , महाराज जी भी पूरे हिंदुस्तान को अपनी थपक का अहसास कराते रहेंगे, और आनेवाली पीढ़ी को , (जो की उन्हें तब अधिक जान पाती अगर वह मुम्बई के मायाजाल को अपने साथ बाँध लेते ), यही संदेश देते रहेंगे...
भीगी हुई आंखों का ये मंज़र न मिलेगा
घर छोड़ के न जाओ , कही घर न मिलेगा
आंसू को कभी ओस का कतरा न समझना
ऐसा तुम्हे चाहत का समंदर न मिलेगा ........
Sunday, May 4, 2008
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस ३ मई
हम होंगे कामयाब
एक दिन
होगी क्रांति चारो ओर
एक दिन
कलम चले तो जिगर खुश भी हो और छलनी
भीकलम रुके तो निजाम ऐ ज़िन्दगी भी रुक जाये
कलम उठे तो उठे सर तमाम दुनिया का
कलम झुके तो खुदा की नज़र भी झुक जाए
केव्स प्रणाम
Friday, May 2, 2008
सपनों का भारत
क्या मेरे सपनों का भारत !!
यह प्रश्न चित्त मी होता है ,
जब होता है मन रोता है
जो स्वप्न सजाये थे मैंने,
क्या दफना दूँ मैं वो चाहत!!
यह स्वयं सभ्यता छोड़ रहा,
संस्कृति के बन्धन तोड़ रहा,
सोचा था सारी दुनिया में,
यह होगा संस्कृति का वाहक!!
इसकी उन्नति का अमृत,
कर देगा एक दिन मुझे तृप्त,
पाऊँगी एक दिन स्वाती बूँद ,
इस हेतु बनी थी मैं चातक!!
ये देश तो है नेताओं का,
उनकी सुयोग्य संतानों का ,
मेरे जैसे अदना ने इसको,
अपना माना था नाहक!!
नहीं मिलेगा मुझे कभी,
क्या मेरे सपनों का भारत!!!
दीदार
खुली जुल्फों के साये मे है सीखा इश्क करना हमने किसी से,
मुहब्बत भरी उनकी निगाहों को जब भी देखा नम ही देखा है,
हर बार जब दीदार हो मुझे यार का दिलदार का,
कई बार देखू फ़िर भी लगता यूँ कि कम ही देखा है......
makarand kale
cavs
Thursday, May 1, 2008
श्रम क्षमता शक्ति
अविस्मरनीय और सतत है........
आज भी वे उसी हाल में हैं ......तो क्यों हैं ?
जवाब हम सबके पास है पर सब ढूँढ रहे हैं !
झान्किये ....................अपने अन्दर
श्वानो को मिलता दुग्ध वस्त्र भूखे बालक अकुलाते हैं
माँ की छाती से चिपक ठिठुर जाड़े की रात बिताते हैं
मिल मालिक तेल फुलेलो पर पानी सा द्रव्य बहाते हैं
युवती की लज्जा वसन बेच जब क़र्ज़ चुकाए जाते हैं ................
केव्स चालीसा .... दाग दी तोप.... रख ली होप !!
आख़िर सब्र का बाँध टूट ही गया है ...... दरअसल बात है ही इतने उत्साह की कि दिल है कि मानता नहीं ! असल में विभाग के अब तक ४० लोगों का अलग अलग जगह चयन हो चुका है, ज्ञात हो कि अभी अन्तिम परीक्षा में डेढ़ महीना बाकी है तो यह निहायत ही बड़ी उपलब्धि कहलायेगी। आप माने तो ठीक ना मने तो भला ( मतलब जलने वालो के लिए ! ) भाई केव्स में सीनिअर बैच में करीब ५० लोग और उनमे से ३४ लोगों के नौकरी अभी ही हो गई सो इससे बढ़कर खुशी कि बात क्या ? पर और भी ख़बर आनी थी सो सुन लें कि अपने ३ द्वितीय सेमेस्टर के लड़को ने भी तुक्के में तीर मार दिया है और ई टीवी हैदराबाद में डेस्क पर पहुँच गए और तीन लोग पहुंचे फ़िल्म पत्रकारिता के पी जी डिप्लोमा वाले उसी जगह ! मतलब कुल जमा ४० लोगों का अब तक हो चुका है प्लेसमेंट.....
जलने वाले तो जलते हैंपर यही सच है कि यह सब हो गया है और सब लोग बढ़िया तरीके से मेहनत से और बिना जुगाड़ के लगे हैं सो भइया कोई ऊँगली उठाने से पहले सोच ले.... बवाल हो जाएगा। केव्स को लानत भेजने वाले भी आईने में अपना खूबसूरत चेहरा देख ले क्यूंकि अब उसपर वो रंगत तो रहेगी नहीं जो केव्स कि निंदा करते पर होती होगी !
फिलहाल तो डाक्टर श्रीकांत सिंह समेत सारी फैकल्टी को बधाई, आप सब को बधाई और सबसे बढ़ कर डाक्टर अविनाश बाजपेयी को बहुत बहुत धन्यवाद कि भइया बहुत धैर्य से हम सबको झेलते रहें हैं ! बधाई और शुभकामना अपने सभी चयनित साथियो को जो नए व्यावसायिक जीवन की शुरुआत करने जा रहें हैं ....... तो हिप हिप हुर्रे ...... और बोलो जय हो श्रीकांत सर की ..... बाजपेयी सर की ........ फैकल्टी की ........ हम सबकी ....... सब संतन और हरी भक्तन की और जय हो केव्स की !!!!
अभी तक नौकरी पर फिट हुए लोगों की सूची आप लोगों की पेश ऐ खिदमत है ......
केव्स पताका फहराने वाले महारथी
M.Sc. ( E.M.) IVth Sem.
- अतुल तिवारी ( ई टीवी मध्य प्रदेश ) ( हैदराबाद में यह सभी लोग डेस्क पर होंगे )
- महेश मेवाड़ा ( ई टीवी मध्य प्रदेश )
- नितिन शर्मा ( ई टीवी मध्य प्रदेश )
- सत्येन्द्र यादव ( ई टीवी उत्तर प्रदेश)
- रविकांत राय ( सी एन ई बी टीवी )
- अमृता शालिनी ( समय )
- शीतल शुक्ला ( दैनिक जागरण, भोपाल )
- पल्लवी चौहान ( ई टीवी मध्य प्रदेश )
- दीप्ति दधीचि ( प्रोडक्शन हाउस, गुडगाँव )
- जीतेन्द्र डांगे ( प्रोडक्शन हाउस, मुम्बई )
- विप्लव सिंह ( प्रोडक्शन हाउस, मुम्बई )
- वरुण गोयल ( ई टीवी, राजस्थान )
- ध्रुव सिंह ( टीम सी वोटर )
- चंदन राजपूत ( टीवी १००, दिल्ली )
- सुरेन्द्र शर्मा ( आउटलुक, दिल्ली )
- प्रेमा शर्मा ( न्यूज़ टाइम, भोपाल )
M.A.B.J. IV Sem.
- हरीश बरोनिया ( ई टीवी मध्य प्रदेश - डेस्क )
- तन्जीर अंसार ( ई टीवी मध्य प्रदेश - डेस्क )
- मनीष कुमार ( ई टीवी मध्य प्रदेश - डेस्क )
- बरुन श्रीवास्तव ( ई टीवी मध्य प्रदेश - डेस्क )
- सलीम रौतिया ( ई टीवी मध्य प्रदेश - स्ट्रिंगर )
- नवीन सिंह ( ई टीवी उत्तर प्रदेश- डेस्क )
- निशांत कुमार ( ई टीवी बिहार - डेस्क )
- सीतान्शु शेखर ( ई टीवी बिहार - डेस्क )
- वर्षा ठाकुर ( चैनल न १ , मध्य प्रदेश - छत्तीसगढ़ )
- पूनम गुप्ता ( प्रोडक्शन हाउस, दिल्ली )
- रश्मि कुमारी ( फोकस टीवी, दिल्ली )
- श्रुति तेलंग ( आर जे , माय ऍफ़ एम् , भोपाल )
- निशांत गौरव ( आज़ाद न्यूज़, नॉएडा )
- अश्विनी कुमार ( वेब दुनिया, इंदौर )
- सीमा सोनी ( मेट्रो मिरर डॉट कॉम, भोपाल )
- सुषमा कुल्म्बे ( न्यूज़ एंड व्यूज़, भोपाल )
- कुमार अजीत ( टीम सी वोटर, नॉएडा )
- रंजेश शाही ( टीम सी वोटर, नॉएडा )
P.G. Diploma in Film & Photo Journalism
- मनीष कुमार
- उमेश कुमार
- अशोक शाक्य
M.A.B.J & M.Sc. - E.M. IInd Sem.
- शचीन्द्र
- विजय गुप्ता
- महेश सिंह