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Monday, May 12, 2008

कलम आज ..............

हम लोग दरअसल या तो भ्रमित हैं या फिर अंधे हैं ........ अगर हम यह दावा करते हैं कि हम एक मीडिया या पत्रकार के तौर पर इमानदार और सजग हैं ! क्यूंकि जब कमिश्नर के कुत्ते का खोना बड़ी ख़बर बनने लगे तो फिर याद करने की ज़रूरत हैं रामधारी सिंह दिनकर की इस कविता को ! पढे और गुने...........

जला अस्थियाँ बारी बारी,
चिट्कायी जिनने चिंगारी,
जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर,
लिए बिना गर्दन का मोल,
कलम आज उनकी जय बोल

जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही लू लपट दिशाएं
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल

अँधा चकाचौंध का मारा,
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के,
सूर्य चंद्र भूगोल खगोल,
कलम आज उनकी जय बोल

- रामधारी सिंह ' दिनकर '

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