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Friday, May 2, 2008

दीदार

खुली जुल्फों के साये मे है सीखा इश्क करना हमने किसी से,

मुहब्बत भरी उनकी निगाहों को जब भी देखा नम ही देखा है,

हर बार जब दीदार हो मुझे यार का दिलदार का,

कई बार देखू फ़िर भी लगता यूँ कि कम ही देखा है......

makarand kale

cavs

1 comment:

  1. ka bhaia kuch jyada hi shayrana andaj wale ho gaye ho kya................

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