दूसरी आज़ादी का सपना, मार्टिन लूथर और ओबामा ...... उस दिन सुबह जब सो कर उठा तो भाई ने पहली ख़बर दी की ओबामा आगे चल रहे हैं, सुबह की शुरुआत अच्छी हुई और दिन तब अच्छा हुआ जब पता चला की अंततः कई महीनो की कसरत ख़त्म हुई और ओबामा जीत गए...... दरअसल खुशी का कारण ना तो चुनाव का ख़त्म होना था, ना ही अर्थव्यवस्था के प्रति चिंता और ना ही प्रवासी भारतीयों की फ़िक्र ही थी ......
खुशी के कारण कोई पचास साल पुराने थे, जब शायद मैं पैदा भी नही हुआ था। एक नाम याद आया.......... मार्टिन लूथर किंग का नाम , मैं नहीं जानता की मेरी पीढी के कितने लोग लूथर का नाम जानते होंगे पर मैं यकीनन जानता हूँ और बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ .......
याद आया शक्तिशाली संयुक्त राज्य अमेरिका ( जिसने जापान पर अणुबम गिरा कर महाशक्ति होने का प्रमाण दिया ) का वह चेहरा जिसमे गोरे और काले का भेद था ..... दुनिया के सबसे तरक्की याफ्ता मुल्क में बसों में गोरो और कालों के लिए अलग अलग सीटें थी......मार्टिन लूथर ने ३८१ दिनों का सत्याग्रह किया और बिना हिंसा के यह शर्मनाक नियम ख़त्म हुआ ! धार्मिक नेताओं की मदद से इस आन्दोलन को पूरे अमेरका में फैलाया और समान नागरिक क़ानून पाने में सफलता प्राप्त की। १९६३ में टाइम पत्रिका ने उन्हें वर्ष का पुरूष चुना और उनके कार्यों को वास्तविक सम्मान देते हुए १९६४ में उनको विश्व शान्ति के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया।
अब बात किंग की विचार धारा की ...... उनके ओबामा से सम्बन्ध की ..........दरअसल ओबामा और मार्टिन लूथर किंग को एक सपना आपस में जोड़ता है, एक सपना जो देखा गया एक बेहतर दुनिया के लिए, एक बराबरी की ज़िन्दगी के लिए, एक सुनहरे भविष्य के लिए, दुनिया को बदलने के लिए, श्रृंखलाओं को तोड़ने के लिए और एक दूसरी आज़ादी के लिए !
दूसरी आज़ादी जिसकी बात की मार्टिन लूथर ने और जिसके प्रथम वाहक बने ओबामा। मार्टिन लूथर कहते थे उस आज़ादी की बात जो खाल के आधार पर इंसान की पहचान नही करती है .....वे अश्वेतों के लिए कहते थे, 'हम वह नहीं हैं, जो हमें होना चाहिए और हम वह नहीं हैं, जो होने वाले हैं, लेकिन खुदा का शुक्र है कि हम वह भी नहीं हैं, जो हम थे।' ज़ाहिर है आज वे वो नही है जो कल थे ...... वे बदले हैं !
किंग का स्वप्न था की कभी कोई अश्वेत अमेरका का राष्ट्रपति बने और आज़ादी के २१९ साल बाद वो सपना सच हुआ है ........निश्चित तौर पर यह एक नई क्रांति है, और यह दुनिया भर में फैलेगी, वहां ही नहीं यहाँ भी ओबामा जीतेंगे, अपनी राह ख़ुद बना लेंगे .....( मायावती भी प्रधानमन्त्री बन सकती हैं सनद रहे !)
मार्टिन लूथर की १९६८ में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी और उसके ठीक ४० साल बाद किंग फिर जी उठे हैं ...... उनके विचार जी उठे हैं ...... और शायद दुनिया में दूसरी आज़ादी की उम्मीदें भी जी उठी हैं......
आज़ादी जिंदाबाद
आजादी जिन्दाबाद!!
ReplyDeleteउनके विचार जी उठे हैं ...... और शायद दुनिया में दूसरी आज़ादी की उम्मीदें भी जी उठी हैं......
ReplyDeleteआज़ादी जिंदाबाद
असली आज़ादी की उम्मीदें तो विचारों की आज़ादी से हैं