"तरह तरह के सर्वे हुए हैं किसी में भाजपा को आगे बताया गया है तो किसी में कांग्रेस को परंतु मुझे लगता है अधिकांश सर्वे बहुत कम सच्चाई लिए होते हैं।"
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए प्रथम चरण का मतदान बस्तर इलाके में हिंसक वारदातों के बीच संपन्न हुआ। मतदान शांति पूर्वक संपन्न हो इसके लिए चुनाव आयोग ने बस्तर इलाके में जहां नक्सलियों का आतंक है लगभग 30 हजार सुरक्षाबलों की तैनाती की थी। लेकिन फिर भी नक्सली छुटपुट हिंसाओं को अंजाम देने में सफल रहे लेकिन लोकतंत्र के इस महायज्ञ में मतदाताओं ने बढ़चढ़कर आहूति दी। गनतंत्र पर जनतंत्र हावी रहा।
यहां एक बात यह दुख की रही कि मतदान कर्मियों को पोलिंग बूथ से वापस ला रहे हैलिकॉप्टर पर नक्सलियों ने अत्याधुनिक हथियारों से फायरिंग कर दी जिसमें फ्लाईट इंजीनियर अपना कर्तव्य पालन करते हुए शहीद हो गए वे कानपुर निवासी थे। केव्स के सभी ब्लागवीरों की तरफ से उनको श्रद्धांजली।
39 विधानसभा सीटों पर मतदान के बाद अब सबकी नजर अगले चरण पर टिकीं हुई हैं जो कि 20 तारीख को होगा जिसमें कुल 51 सीटों पर चुनाव होना है। तरह तरह के सर्वे हुए हैं किसी में भाजपा को आगे बताया गया है तो किसी में कांग्रेस को परंतु मुझे लगता है अधिकांश सर्वे बहुत कम सच्चाई लिए होते हैं। देखा जाए तो छत्तीसगढ का भोलाभाला मतदाता वोट से पहले तक कोई रूझान झलकने नहीं देता।
जनता से तमाम लुभावने वादे किए जा रहे हैं जहां कांग्रेस ने 2 रू किलो चावल देने का वादा किया वहीं भाजपा ने 1 रू किलो चावल देने का वादा कर दिया जो अभी 3 रू किलो चावल दे रही है। वादे तो चुनावों में काफी होते हैं पर निभाए बहुत कम जाते हैं वादों के बजाए यदि संकल्प लिया जाए तो शायद बात बने।
वैसे देखा जाए तो प्रथम चरण के बाद ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की आपसी गुटबाजी और लचर प्रचार के चलते ( सोनिया का दौरा तीन बार रद्द हुआ) रमन सिंह की साफ स्वच्छ छवि भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है इसके साथ रमन सरकार ने विकास के कार्य भी काफी किए हैं हालांकि छत्तीसगढ के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना है।
परंतु अभी असली लड़ाई अभी बाकी है दूसरे दौर के मतदान में। क्योंकि इस दौर मे 51 सीटों के लिए चुनाव होना है, इसमें जो भी बाजी मार लेगा बाजीगर वही बन जाएगा..कांग्रेस को सरकार में आने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी और गुटबाजी से निपटना पड़ेगा(क्योंकि यहां पर कांग्रेस के तीन प्रदेशाध्यक्ष है).. वहीं भाजपा के लिए उसके बागी मुसीबत बने हुए हैं साथ ही मायावती भी भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कमर कसे हुए हैं।
नितिन शर्मा
sharma_nitin2006@rediffmail.com
( लेखक जी 24 घंटा छत्तीसगढ़ में पत्रकार हैं और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दृश्य श्रव्य अध्ययन केन्द्र के पूर्व छात्र हैं )
sarve theek nahi per yeh to bataye koun aage hai,bjp ya congress.rajniti me niji chavi se jyada arth vichardhara ka rahata hai.gandhi ji ko marne vale nathu ram godse ka charitra kharab nahi tha.patrkar ko apni rai bhi deni chahiye.
ReplyDeleteमित्र
ReplyDeleteमैडम को कृप्या बताएं की कहिं-कहिं निजि छवि भी विचारधारा को मात दे देती है...
और छत्तीसगढ़ मे स्थिती अभी बहुत ज्यादा साफ नही दिख रही है...
कुछ भी कहा जाना ठीक नही है...
जानकारी अच्छी और संदेश उससे भी अच्छा
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