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Saturday, November 29, 2008

शहीदों को नमन ( गुरुदेव टैगोर का अनूदित पद्यांश )


मृत्यु सागर के उस पार
अनंत यात्रा के हे पथिक!
हम तुम्हारा स्मरण करते हैं ....

तुमने जो मानवता की कमी
हमारे लिए छोड़ी है
उसकी जयध्वनि के बीच
हम तुम्हे नमन करते हैं!

(शहीद वे सभी हैं जो आतंकवादी हमलों में मारे गए!)

-गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर

2 comments:

  1. इस दुखद और घुटन भरी घड़ी में क्या कहा जाये या किया जाये - मात्र एक घुटन भरे समुदाय का एक इजाफा बने पात्र की भूमिका निभाने के.

    कैसे हैं हम??

    बस एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खुद के सामने ही लगा लेता हूँ मैं!!!

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  2. कभी-कभी कुछ लोग बिना सिर पैर की बात करते हैं जैसे अब आप ही को लें जितने मरे सब शहीद आखिर शहीद शब्द की कोई औक़ात है कि रास्ते में हादसा हो गया और शहीद.......मित्र इस तरह मत करो.......ये मौत थी सिर्फ मौत उसे महिमामंडित त करो.ज़्यादा संवेदनायें हों तो बेग़ुनाह कह दो मग़र इस पवित्र शब्द की महिमा मत कम करो।।।।।।।अन्यथा मत लेना सोचना फिर बोलना।।।।।

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