(लोकसभा चुनाव पर हमारे विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के साथी अधिनाथ ने कुछ विचार भेजे हैं पढ़ें)
वर्तमान समय में जो राजनीतिक स्थिति है उसमे कोई भी दल चुनाव बाद सरकार बनाने की स्थिति में नजर नही आ रहा है ,जाहिर सी बात है सरकार गठबंधन की ही होगी परन्तु हमे यह भी नही भूलना चाहिए कि अगर कोई गठबंधन भी सरकार बनाने में असमर्थ रहा तब क्या होगा ?
कुछ नही होगा वो ही होगा जो मंजूरे खुदा होगा, पब्लिक मूर्ख बन जायेगी, अप्रैल फूल हो जाएगा। यह अप्रैल फूल बड़ा खर्चीला होगा, अरबों रुपए बह चुके होंगे फिर बहाने की बात की जायेगी एक दूसरे पे ठीकरा फोड़ा जावेगा। गरीबी और बढ़ जायेगी, जनता वही जो सबकुछ जानकर भी कुछ न जानता हो की स्थिति में बैठी रहेगी। भाई होने तो यही जा रहा है, अब एक बार नजर दौडाइए -
एन.डी.ऐ जो है जिसके कर्ता धर्ता भाजपा वाले हैं वो अभी की स्थिति से मजबूत होगी यह तय है, लेकिन सरकार बनाने के लायक सीटें नही ला पायेगी यह भी तय है, ठीक उसी तरह यू पी ऐ जिसके कर्ता धर्ता कांग्रेस वाले हैं का कई दलों के साथ सांठ गांठ करके वर्त्तमान सत्र तो पूरा हुआ पर आगे भी ऐसा वे कर पाए यह लगता नही है , देखिये संकटमोचन अमर की पार्टी से लेकर लालू रामविलास तक फूट चुके हैं वैसे रहते भी तो कुछ खास कर नही पाते क्योंकि इस बार वो वाला रूतबा इन सब का है नही । अब बचा थर्ड फ्रंट भाई इसका तो पहले से ही तय लग रहा है कि जीतने के बाद विपक्ष में अलग अलग न बैठना पडे इसलिए पहले से ही योजना बना के विपक्ष में बैठा जाए यह सोंच के यह गठबंधन बना है ऐसा लगता है। फिर ऐसे में कैसे न कहा जाए की यह अप्रैल फूल बनाने की यजना है।
(अधिनाथ माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में विज्ञापन एवं जनसंपर्क में परास्नातक के छात्र हैं और सामयिक विषयों पर लिखने में गहरी रूचि रखते हैं)
जनता के लिए तो साल भर अप्रैल का ही महीना चलता है...
ReplyDeleteराजा चाहे कोई हो,
ReplyDeleteप्रजा को तो रोना है
.....as simple as that