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Saturday, April 4, 2009

१८५७ क्रान्ति सच या मिथक

१८५७ स्वंत्रता संग्राम में भारतीय समाज के दो प्रमुख समुदाय हिन्दुओ और मुस्लिमो के मध्य अभूतपूर्व एकता स्थापित हुई थी और प्रमुख रूप से किसानो ने स्वंत्रता संग्राम में अपनी चेतना को उभारा था जो पूरी तरीके साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ ही थी लेकिन किसानो की इस संगठित आवाज को कुछ सियासी लम्बरदारो ने झुटलाकर अपनी सियाशी रोटिया सेकीऔर इन लम्बरदारो का मकसद काफ़ी समय तक अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए केवल भारतीय जनमानस के मन में विभेदकारी भावनाए जीवित करके अपने आने वाली पीढी के बीच वैमनस्यता के बीज बोंना ही दिखायी पड़ता है देश की प्रमुख पार्टिया जिनका जन्म निषेधकारी नीति पर हुआ है ,स्वंत्रता संग्राम को जनमानस में आदर्श के रूप में तो करते है लेकिन इसके पीछे शायद इनका लक्ष्य समाज में अधिक से अधिक वैम्न्यस्ता के बीज बोना ही होता है जिसके भयावह चेहरे हम बार बार दंगो के रूप में झेलते रहे है१८५७ विद्रोह की शुरुआत तो सैनिको से हुई लेकिन यह बात न जाने क्यो छिप जाता है की वे सैनिक वास्तव में कौन थे ?वास्तविकता में वे कोई और नही "किसान-पुत्र "ही थे जो साम्राज्यवादी शोषण के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए आगे आए थे इन किसान पुत्रो ने ही आज़ादी की ऐसी बिगुल बजाई थी जिससे साम्राज्यवादी शासन की नींव हिल गई थी वास्तव में स्वंत्रता संग्राम में जितना उस समय के नवाबो ने अपने प्राण की आहुति देकर नारा बुलंद किया था जिसे हम बहादुरशाह शाह ज़फर के नाम से जानते हैं /उनके वंशज आज रिक्शा चलने को मजबूर हैं /वही दूसरी तरफ़ उस समय के गद्दारों के वंशज आज राजपाट चला रहे हैं /ये गद्दार आज चुनाव तंत्र में शहीदों के नाम पर वोट मांगते हैं /जिसे भारतीय जनमानस को समझना होगा /एक वोट कीमती हैं गद्दारों को उनकी जगह दिखाने को और सही मायने में शहीदों को स्थापित कर पाने के लिए / इसीलिए जनमानस कर्म करे इन्कलाब आएगा /कहते हैं एक पत्थर काफ़ी हैं आसमा में सुराग करने को.........जारी रहेगा /

4 comments:

  1. बढिया लिखा आपने ... इंतजार ही तो सब कर रहे है इंकलाब का ... पर सिर्फ इंतजार से यह कैसे आएगा।

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  2. विवेक बढ़िया है....कम लिखो पर ऐसा ही लिखो !

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  3. इंतजार किस बात का? इंकलाब जनता करती है, कहीं से आता नहीं है।

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  4. विवेक जी
    क्षमा करें
    भले ही आप इतिहास में डॉक्टर हों
    लेकिन 1857 के विद्रोह के समय मुस्लमों ने जेहाद छेड़ा था... ये न केवल अंग्रेज़ों के खिलाफ था बल्कि हिन्दुओं के खिलाफ भी था। यदि रिसर्च के बाद मुझे ग़लत पाएं तो कृपया मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी छोड़ें

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