आज तो पन्द्रह अगस्त है
वो बोले तभी तो हम मस्त हैं
हमने कहा आज क्या कार्यक्रम है
वो बोले गरमागरम है
सुबह झंडा फहराना है
फ़िर प्रभात फेरी मैं जाना है
उसके बाद कहीं
वे बोले कुछ ख़ास नही
हाँ आज हमने पूरा दिन
देशप्रेम मैं बिताने की कसम खायी है
शाम को अंग्रेजी की जगह
देसी मंगवाई है
शौक रखते हो तो आइयेगा
मैंने कहा वाह नेता जी
आपने यहाँ भी हमें बना दिया
जब तक अच्छी वाली मंगवाई
तब तक पूछा भी नही
देसी मंगवाई तो दावत पे बुलवा लिया
नेता जी तुम जियो
बरसों बरस जियो
तुमने देश भी अकेले पिया है
देसी भी अकेले पियो
आशु प्रज्ञा मिश्रा
माखन लाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल
माखन लाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल
शानदार रचना । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई। आपने अपने इस रचना के माध्यम से सच्चाई को उकेर कर रख दिया ।
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