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Monday, December 21, 2009

अवतार : एक फिल्म से बढकर बहुत कुछ....


इस हफ्ते होलिवुड की फिल्म अवतार रिलीज़ हुई है। एक वैज्ञानिक फंतासी फिल्म है। सबसे बड़ी विशेषता ये है कि 'TAITENIC' के निर्देशक जेम्स कैमरून की फिल्म है। बेहद शानदार, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक। ये मैं तब कह रहा हूँ जबकि फिल्मों के मामले में मेरा टेस्ट विशुद्ध भारतीय है। वो इसलिए की शायद मुझे विदेशी फिल्मों में भारतीय आत्मा नहीं मिलती। बहरहाल यदि 'ब्लास्ट फ्रॉम पास्ट',' डे आफ्टर टुमारो' और अवतार जैसी फ़िल्में हो तो होलीवूड की फिल्मों से भी परहेज़ नहीं।

एक उपग्रह को पृष्ठभूमि में संजोये संवेदनशील फिल्म हैं। जिसमे इन्सान की राक्षसी इच्छाओं का भी पर्दाफास किया गया है। हम पर्यावरण के संरक्षण के लिए असफल कोपेनहगन जैसे सम्मेलन तो कर रहे हैं पर अन्दर समायी अनंत इच्छाए सारा व्रम्हांड लील जाना चाहती है। हमारी भूख को मिटाने में ये धरती समर्थ है पर तमन्नाओं की बाढ़ को शांत करने की हिम्मत इसमें नहीं है। इसलिए ये बहसी इन्सान दुसरे गृहों पर डेरा डालने चला है। उन गृहों पर भी ये अपनी हिंसक प्रवर्ती से साम्राज्य करना चाहता है। युद्ध के अलावा इसे कोई साधन नज़र नहीं आता। कुछ यही सन्देश देती आगे बढती है ये फिल्म। फिल्म में प्रदर्शित चित्रण अयथार्थ है पर इंसानी सोच का प्रतिबिम्ब यथार्थ है।

फिल्म में कई छोटे-छोटे सन्देश समाये हुए हैं, दर्शक अपनी प्रकृति के हिसाब से चीज ग्रहण करता है। कैमरून की taitenic भी एक लव-स्टोरी और एक भीषण हादसे के चित्रण से बढकर बहुत कुछ सिखाती थी। पर ये हम पर निर्भर है की हम उससे क्या लेते हैं।

आज के इस वैज्ञानिक युग में मशीनों की आदत हमें कुछ इस तरह हो गई है कि हम खुद मशीन बन गए है और मशीनों के संवेदना नहीं होती। फिल्म के एक दृश्य में वैज्ञानिक अन्तरिक्ष में जाने वाले नायक से कहता है वहां जाकर कुछ वेवकूफी मत कर देना। यहाँ वेवकूफी का मतलब दिल से काम लेने से है, प्यार करने से है। जी हाँ मशीने दिल नहीं लगाती।

पेन्डोरा नामके उपगृह पे रहने वाले लोगों को लुभाकर उनका राज्य हथियाने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। पर अफ़सोस हमारे पास ऐसी कोई चीज नहीं जो उन्हें लुभा सके। हमारे कागज के नोट उनके लिए कागज के टुकड़े है। और उनके पास प्रकृति का खज़ाना है। जिसे हमने हमारी लालसाओं के सैलाब में नष्ट कर दिया।

खैर, एक उम्दा फिल्म है। चालू महीने में दो बढ़िया हालीवुड फ़िल्में देखने को मिली-२०१२ और अवतार। आपने यदि इसका लुत्फ़ उठाया हो तो जरुर देखिये।

4 comments:

  1. अंकुर अच्छा किया...मैंने भी फिल्म देखी...और इसकी समीक्षा लिखने ही वाला था....शानदार फिल्म...तकनीक और संदेश दोनो लिहाज से...

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  2. सचमुच एक अच्छी फिल्म

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  3. main abhi-2 ye film dekh kar aa raha hoon... haalaanki titanik ke mukaable to unnees hi lagi , lekin fir bhi sandesh bahut saare the is film mein...aur iske visual effects to shandaar the....

    ek aur baat jo ankur mujhe tumhaari baat mein jodni hai

    is film ko "awtaar" naam se hi rileez kiya gaya hai...poore world mein... matlab hindi shabdkosh ki taraf duniya dekh rahi hai aur ham unki taraf !!!

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