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Wednesday, December 30, 2009

भूख....मजबूरी....और नया साल....



नया साल 2010 आने वाला है .... अब इसे दो हज़ार दस बोलेंगे...या फिर वाइ2के की तर्ज पर ट्वेंटी टेन...साल तो बदल जाएगालेकिन क्या हालात बदलेंगे......टीवी चैनल में मैं क्राइम कवर करता हू....सनसनीखेज खबरे...लूट डकैती हत्या बलात्कार....और रोज़ ही कुछ ऐसा ही देखता और
लिखता हूं.......आज सुबह ही ऑफिस के बाहर कड़कड़ाती ठंड में दो मासूम हाथ दिखाई दिए जो ठंडे पानी से बर्तन धो रहे थे...वो मासूम बच्चा एक मज़दूर है
जो खाने की ठेली पर काम करता है..बदले में उसे दो वक्त की रोटी और चंद रुपए मिलते हैं...मैं सोच रहा था वो और उसके जैसे ना जाने कितने
मासूम कहां न्यू इयर मनाएंगें...क्या वो काग़ज पर नए साल के पहले दिन की तारीख़ भी ठीक से लिख पाएगा...क्या वो भी पिछले एक हफ्ते से दिल्ली और
एनसीआर में होने वाली न्यूइयर पार्टी का मजा लेने के लिए पासेज़ के जुगाड़ में लगा होगा....क्या वो भी 31 दिसंबर की रात को 12 बजते ही विक्षिप्तों की तरह हैप्पी न्यूइयर हैप्पी
न्यूइयर चिल्लाएगा....जवाब मै जानता हूं...फिर भी पता नहीं क्यों पूछ रहा हूं.... लेकिन उसके मासूम हाथों में जमाने भर का दर्द नज़र आता है ..... उसका बचपन ठंडे पानी के साथ बह गया है....लेकिन उसमें टीआरपी नहीं है...उसमें मसाला नहीं है....
उसके बारे में कौन जानना चाहेगा...खबर तब है जब किसी नामी स्कूल और बड़े बाप के बेटे के बचपन पर कोई आच आए......न्यू इयर की रात मैं भी उसके बारे में भूल जाउंगा.... दिल्ली की सुरक्षा की चिंता
करुगा....हैप्पी न्यू इयर मनाने वाले लोगों के लिए पुलिस और प्रशासन ने क्या इंतेज़ाम किए हैं ... वैसे भी खबर बड़ी है क्योंकि आईबी ने अलर्ट जारी किया है.... वो ज्यादा महत्तवपूर्ण हैं..... लेकिन उसके मासूम हाथ अभी भी मेरी आंखों
के सामने हैं .... लेकिन कब तक शायद मैं भी कुछ वक्त में उनको भूल जाउंगा... आख़िर मैं भी "पत्रकार" हूं... ख़बर की चिंता करूं या फिर उसकी ... अब इस बात पर समझ नहीं आ रहा कि मैं हंसू या रोउं ... क्योंकि उस बच्चे का नाम तक तो मैने नहीं पूछा ... जब वो ही ख़बर नहीं है तो उसके नाम में क्या रखा है...जाने कब वो दिन आएगा .. जब सांप छछूंदर...नेताओं के सेक्स स्कैंडल ... रियलिटी शो की जगह ... इस जैसे बच्चे हैडलाइन बनेंगे...अब इसका भी जवाब शायद मुझे पता है ... लेकिन उम्मीद पर दुनिया क़ायम है
रुम्मान उल्ला खान
(रुम्मान पिछले पांच साल से अपराध पत्रकार के तौर पर सक्रिय हैं और सम्प्रति सीएनईबी समाचार चैनल में कार्यरत हैं।)


3 comments:

  1. बस बेहतरी की उम्मीद ही तो है अगली सांस लेने के लिए.



    मुझसे किसी ने पूछा
    तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
    तुम्हें क्या मिलता है..
    मैंने हंस कर कहा:
    देना लेना तो व्यापार है..
    जो देकर कुछ न मांगे
    वो ही तो प्यार हैं.


    नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  2. आप सही कहते है कि उम्मीद पर दुनिया कायम है.....शायद कभी कुछ बेहतर हो..

    नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. शानदार जानदार पोस्ट
    नुतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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