आज भवानी प्रसाद मिश्रा, जिन्हें हम स्नेहवश भवानी भाई के नाम से ज्यादा जानते हैं.......उनकी एक कविता जो मुझे व्यक्तिगत तौर पर बेहद पसंद है। ये कविता बात करती है उन अवसरों की जब हम अपनी अंतरात्मा से अधिक इस बात की फ़िक्र करते हैं कि यह विश्व क्या कहेगा .......
अपमान
अपमान का
इतना असर
मत होने दो अपने ऊपर
सदा ही
और सबके आगे
कौन सम्मानित रहा है भू पर
मन से ज्यादा
तुम्हें कोई और नहीं जानता
उसी से पूछकर जानते रहो
उचित-अनुचित
क्या-कुछ
हो जाता है तुमसे
हाथ का काम छोड़कर
बैठ मत जाओ
ऐसे गुम-सुम से
भवानी प्रसाद मिश्रा
इस अच्छी पेशकश के लिए शुक्रिया.
ReplyDeletelajavab
ReplyDeleteशानदार कविता।
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