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Tuesday, February 10, 2009

यह "विधान ?" सभा है ......

उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य लगता है अपनी पुरानी बदनामी के धब्बों को धोने के लिए बिल्कुल संजीदा नहीं हैं .....आज बजट सत्र का पहला दिन था और जिस तरह का हंगामा यहाँ देखने को मिला वह जनता को यह बताने के लिए काफ़ी था की उनके चुने हुए प्रतिनिधि कितने सभ्य और शालीन हैं। विधान सभा में इतना ज्यादा हंगामा हुआ की राज्यपाल को अपना भाषण पूरा किए बिना ही वापिस जाना पड़ा।
सख्त सुरक्षा बंदोबस्तों के बावजूद समाजवादी पार्टी के विधायक बड़े बड़े बैनर विधानसभा के अन्दर ले जाने में सफल रहे और राज्यपाल के सदन में आते ही अपनी सीटों पर खड़े होकर विरोध जताने लगे। उधर नेता विपक्ष मुलायम सिंह यादव ने राज्यपाल पर माया सरकार का साथ देने के आरोप लगाने शुरू कर दिए जिससे उनके विधायकों का मनोबल आसमान छूने लगा और उन्होंने एजेंडे आदि के कागजातों को उठा कर उनके गोले बना कर राज्यपाल पर फेंकना शुरू कर दिया। इस हंगामे और दुर्व्यवहार से परेशान राज्यपाल टीवी राजेश्वर तुंरत ही सदन छोड़कर बाहर निकल गए। इस दौरान लगातार विपक्ष के सपा विधायक सीटों पर खड़े रहे और ज़ोर ज़ोर से मुख्यमंत्री पर चन्दा वसूली, भ्रष्टाचार और विरोधियों के उत्पीडन के आरोप लगाते रहे।
दरअसल मामला कुल मिलाकर यह है की प्रदेश सरकार इस सत्र में वित्त बजट लेकर आ रही है जिसे लोकसभा चुनाव को देखते हुए काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसी अटकलें हैं कि इस बजट में सरकार कई लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है जो लोकसभा चुनाव में वोट बैंक को बढ़ाने में मददगार हों और इसी संभावना के चलते विपक्ष में बैठी समाजवादी पार्टी ने पहले ही तय कर लिया था कि सदन में क्या करना है।
दुर्भाग्य यह है कि सत्ता और विपक्ष दोनों ही असहज कर देने वाले तरीके अपना रहे हैं। एक ओर मुख्यमंत्री अपने विरोधियों को परेशान करने के लिए नैतिक - अनैतिक सभी तरीके अपना रही हैं और केवल सत्ता के लोभ में तमाम दागियों को अपने साथ लेती चली जा रही हैं तो दूसरी ओर विपक्ष में बैठी सपा भी रोज़ नए नाटक खेलती दिखती है। उनके पास वैसे भी चाणक्य की एक आधुनिक प्रति मौजूद है जो कहीं भी और कुछ भी बोल देने के लिए मशहूर है और आज ये नया नाटक। यही मुलायम सिंह जो आज कई दागियों के बसपा में आने पर इसे गुंडों की पार्टी बता रहे हैं, ख़ुद अपनी सरकार उन्ही कॉमन फैक्टरों के दम पर चला रहे थे।
हालांकि उत्तर प्रदेश राजनीति के सबसे गंदे खेलों का मैदान रहा है पर आज जो कुछ विधानसभा में हुआ वह वाकई शर्मिंदा करने वाला है। यह समझना वाकई मुश्किल है कि अगर सपा की नाराज़गी मुख्यमंत्री से थी तो राज्यपाल को इस तरह अपमानित क्यों किया गया? क्या इनमे इतनी हिम्मत थी कि मुख्यमंत्री आवास के सामने जा कर प्रदर्शन कर पाते। दरअसल सत्ता और विपक्ष दोनों ही ग़लत हैं और एक दूसरे को ग़लत ठहराने में सारी हदें पार करते जा रहे हैं।
इसके लिए सपा के धरतीपुत्र मुलायम ने पत्रकारों को सफाई दे डाली पर क्या यह काफ़ी है। क्या पूर्व रक्षामंत्री को संसदीय गरिमा के बारे में कुछ नहीं पता है ? क्या वे नहीं जानते की राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है और इस तरह का अमर्यादित आचरण क़ानून के विरुद्ध है .....? क्या वे नहीं जानते कि विधानसभा लोकतंत्र का मन्दिर है और संविधान ऐसे किसी भी कृत्य को गैर कानूनी ठहराता है ? और अगर वे नहीं जानते तो ये सवाल जनता पर छोड़ता हूँ कि क्या ऐसे किसी भी शख्स को सदन का सदस्य रहने का अधिकार है .....?

3 comments:

  1. aji hamari kaun sunta hai sare adhikaar hi inke paas hain inhen jitne bhee joote maaro nahin sudhrenge

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  2. अलक़ायदा को क़ायदा क्या और गीडड़ भपकी का जवाब मिलेगा अगर वह बीवी के आँचल से बाहर निकल सामने से वार करें। छुपके तो कोई भी वार करता है निकम्मे, डरपोंक... **** them.


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    गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम

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  3. patrakar duora ghati ghatna par likhi gaye nishpaksh rai swagtyog hai..

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