केव्स में स्टूडियो का सवाल बड़ा है । ७ नंबर से शिफ्ट हो कर जब स्टूडियो नवीन परिसर में आया तो केव्स में नई उम्मीदें अंगडाई लेने लगीं । लेकिन नई जगह पर भी लाल - फीता शाही बिल्कुल नई नही थी । ठेके से लेकर अंदरूनी राजनीती जैसे कुछ पाटों के बीच स्टूडियो पहले सेमेस्टर से तीसरे तक पिस्ता रहा । लेकिन एक दिन.......पीर परबत सी हो गई और केव्स के भागीरथ निकल पड़े कोई गंगा लाने। त्रिलंगा की ओर। कुलपति ने जो जवाब दिया वो एक सुधी से ज़्यादा एक नेता का लगा । " काम हो रहा है " और फिर " समस्या है तो यूनिवर्सिटी छोड़ दो " देवदास याद आ गई । लेकिन एक आग जो सीनों में थी वोह कहाँ ठंडी होने वाली थी । अगले दिन रातों रात पूरी यूनिवर्सिटी "काश स्टूडियो बने " के गाँधी वादी पोस्टरों से पट गई । हमारे पित्र-पुरूष श्रीकांत सर भी साथ खड़े हो गए। कहा अब जो भी हो .....
अब सूत्रों के हवाले से ख़बर आई है की यूनिवर्सिटी प्रशासन में बेचैनी है । कल तीन बजे कुलपति ने आपात बैठक भी बुलाई थी । श्रीकांत सर अभी छुट्टी पर गए हैं पर जाते जाते कह गए की आगे के "एक्शन" के लिए तैय्यारी रखना ।
हम तैयार हैं ..............!
badhaai ho ..... ham saare senior aapke saath hain !
ReplyDeletebahut badhiya lage raho ham sab aaplogon ke saath hain!
ReplyDeletejarruri tha ....ham saath hai
ReplyDelete