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Wednesday, August 6, 2008

दुनिया एक दिन ......... बदलेगी

आज ६ अगस्त है ....... हम में से नहीं मालूम कितने लोगों को याद है पर आज ही के दिन १९४५ में जापान के शहर हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया गया था। इसके दो दिन बाद जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर भी ऐसा ही हमला हुआ था ............ हिरोशिमा में उसी समय 118,661 लोग मारे गए थे और नागासाकी में 74 हज़ार लोग मारे गए, यही नहीं इसके बाद फैले रेडियोधर्मी विकिरण में न जाने कितने अपंग हुए, कितने बीमार और कितने मरे ! आज तक वहाँ बच्चे बीमार और अपंग पैदा होते हैं ! इस पर शायद उन लोगों को भी अफ़सोस रहा जिन्होंने ये किया - करवाया और आज भी दुनिया इस दिन को याद कर के आंसू बहाती है.......... पर शायद इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि आज भी दुनिया भर में लड़ाई है, युद्ध है, हमले हैं - जवाबी हमले हैं और शायद उस वक़्त से कहीं ज्यादा .............



आज उस दुर्भाग्यशाली दिन की बरसी है ........ ६३वी बरसी ........ तब केवल एक देश के पास परमाणु बम था आज तकरीबन १६ मुल्कों के पास ...... तब विश्व युद्ध हुआ था...... आज पूरे विश्व में युद्ध हो रहा है ! वाकई हम काफ़ी तरक्की कर चुके हैं .................... आज CAVS संचार में हम प्रस्तुत कर रहे हैं इस विभीषिका से जुड़ी कुछ जानकारियाँ, तसवीरें और दस्तावेज़......


सबसे पहले कुछ तसवीरें जो बयान करेंगी उस दर्दनाक मंज़र को





वह बम जिसने विध्वंस किया .....

बम धमाके का दृश्य
हमले के बाद का हिरोशिमा

एक सहायता शिविर का दृश्य









मेरा क्या कुसूर था ?
ये तब से थमी हुई है और लाखों लोगों की दुनिया भी !
अब प्रस्तुत है कि उस के अगले दिन अमेरिका के समाचार पत्रों में क्या छपा था...
अमरीका के एक हवाई जहाज़ ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया है.
अमरीकी राष्ट्रपति हैरी. एस. ट्रूमैन ने अटलांतिक महासागर में "आगस्ता" जहाज़ी बेड़े से यह घोषणा करते हुए कहा है कि यह बम 20 हज़ार टन टीनटी क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हज़ार गुना अधिक शक्तिशाली था.
हिरोशिमा शहर पर छाए धूल के घने बादल की वजह से अभी तक नुक़सान का ठीक-ठीक अंदाज़ा लगाना संभव नहीं है.
हिरोशिमा जापानी सेना को रसद की आपूर्ति करने वाले कई केंद्रों में से एक है।
यह बम स्थानीय समयानुसार 8.15 बजे "इनोला गे" कहे जाने वाले एक अमरीकी विमान बी-29 सुपरफोर्ट्रेस से गिराया गया.
विमान के चालकदल का कहना है कि उन्होंने धुएँ के बादल और तेज़ी से फैलती हुई आग देखी है.
राष्ट्रपति का कहना है कि परमाणु बम ने दुनिया की मूलभूत शक्तियों को इकट्ठा करने का काम किया है, और इस बम के द्वारा परमाणु उर्जा के इस्तेमाल से सबसे पहले हथियार बनाने की दौड़ में भी हमने जर्मनी को पछाड़ दिया है.
राष्ट्रपति ट्रूमैन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सहयोगी देश जापान की युद्ध करने की क्षमता को पूरी तरह से नष्ट कर देंगे.
राष्ट्रपति ने कहा कि 10 दिन पहले पॉट्सडैम घोषणा जारी की गई थी जिसमें जापान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने को कहा गया था, यह उसके लिए भारी विनाश से बचने का आख़िरी मौक़ा था.
राष्ट्रपति ने कहा था,"अगर अब वो हमारी शर्तों को नहीं मानते है तो उन्हें आसमान से विनाश की ऐसी बारिश का सामना करना पड़ेगा जैसी कि पहले कभी नहीं हुई. इसके बाद समुद्र और ज़मीन के रास्ते ऐसे हमले होंगे जैसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखे, लेकिन यह हमले उसी युद्ध क्षमता का परिचायक होंगे जिससे वो अच्छी तरह से परिचित हैं."
विंस्टन चर्चिल की जगह ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बने क्लीमेंट ऐटली ने हाउस ऑफ कॉमंस में संसद सदस्यों को चर्चिल का बयान पढ़ कर सुनाया है.
इस बयान में कहा गया है कि परमाणु परियोजना इतनी अधिक प्रभावशाली है कि सरकार का मानना है कि इस संबध में शोध किया जाना चाहिए और अमरीका के परमाणु वैज्ञानिकों के साथ मिल कर जानकारी का आदान-प्रदान किया जाना चाहिए.
चूँकि ब्रिटेन जर्मनी के बमवर्षक विमानों की पहुँच में था, परमाणु बम बनाने के कारखाने अमरीका में लगाने का निर्णय लिया गया था.
इस वक्तव्य में आगे कहा गया है,"प्रभु की कृपा से ब्रिटेन और अमरीकी प्रयासों ने जर्मनी के सभी प्रयासों को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि जर्मनी के प्रयास भारी पैमाने पर किए गए थे, लेकिन फिर भी वो पीछे रह गए. यदि यह शक्ति जर्मनी के पास होती तो वो कभी भी युद्ध के नतीजों को बदल सकता था."
चर्चिल के बयान में यह भी कहा गया कि जर्मनी की प्रगति को रोकने के लिए क़ाफी प्रयास किए गए, जिनमें उन कारखानों पर हमले करना भी शामिल था, जहाँ परमाणु बम के दूसरे हिस्से बनाने का काम होता था.
उन्होंने अपने व्यक्तव्य के अंत में कहा है,"हमें प्रार्थना करनी चाहिए कि ये प्रभावशाली हथियार देशों के बीच शांति पैदा करने में सहायक होंगे और पूरे विश्व पर कहर बरपाने के बजाय वैश्विक संपन्नता का स्रोत बनेंगें."
( आज भी वही अमेरिका दुनिया में शान्ति लाने के लिए युद्ध कर रहा है.....)
अब कुछ तथ्य ....


  • हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को पूर्व राष्ट्रपति रुज़वेल्ट के सन्दर्भ में "लिटिल ब्वाय" के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस बम के कारण 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही फैल गई थी।
  • शहर की 60 प्रतिशत से भी अधिक इमारतें नष्ट हो गईं थीं।
  • उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या 118,661 बताई थी।
  • बाद के अनुमानों के अनुसार हिरोशिमा की कुल 3 लाख 50 हज़ार की आबादी में से 1 लाख 40 हज़ार लोग इसमें मारे गए थे।
  • इनमें सैनिक और वह लोग भी शामिल थे जो बाद में परमाणु विकिरण की वजह से मारे गए। बहुत से लोग लंबी बीमारी और अपंगता के भी शिकार हुए.
  • तीन दिनों बाद अमरीका ने नागासाकी शहर पर पहले से भी बड़ा हमला किया.
    इस बार गिराए गए बम का नाम विस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में "फ़ैट मैन" रखा गया था और इसका वज़न लगभग 4050 किलो था।
  • नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6।7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई.
  • लगभग 74 हज़ार लोग इस हमले में मारे गए थे और इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे।
  • दो परमाणु हमलों और 8 अगस्त 1945 को सोवियत संघ द्वारा जापान के विरुद्ध मोर्चा खोल देने पर, जापान के पास कोई और रास्ता नहीं बचा था।
  • जापान ने 14 अगस्त 1945 को मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

अब अटल विहारी बाजपेयी की हिरोशिमा पर एक कविता जो मुझे बहुत संवेदनशील कर देती है .......

हिरोशिमा की पीड़ा

किसी रात को
मेरी नींद अचानक उचट जाती है,
आँख खुल जाती है,
मैं सोचने लगता हूँ कि
जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का
आविष्कार किया था:
वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण नरसंहार के समाचार सुनकर,
रात को सोये कैसे होंगे?.... क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही,
यह अनुभूति हुई कि उनके हाथों जो कुछ हुआ,
अच्छा नही हुआ ?
यदि हुई, तो वक्त उन्हें कटघरे में खडा नही करेगा।
किंतु यदि नही हुई तो इतिहास उन्हें कभी
माफ़ नही करेगा।

अटल बिहारी बाजपेयी ( १९९५ )

एक कविता अज्ञेय की भी दिमाग में गूंजती है जो हिरोशिमा पर ही है पर अभी याद नहीं पड़ती ....... निवेदन है कि यदि किसी सुधि पाठक के पास वो कविता हो तो उपलब्ध कराने की महान कृपा करें !

बाकी यह कि मुझे पूरी आशा है कि ये प्रयास जो केव्स संचार की टीम की ओर से किया गया .... दुनिया को बदलने के लिए खींची गई बड़ी लकीर का एक छोटा बिन्दु बन पाएगी ...... इतना भी हो तो यह सब सार्थक है .... फिलहाल हम आज का दिन और यह हफ्ता समर्पित करतें हैं उस दिन को ......... दुनिया की शान्ति को ...... आमीन !

http://www.pcf.city.hiroshima.jp/top_e.html इस वेब पन्ने को ज़रूर देखें ......

अंत में एक बार फिर कि ये हफ्ता हम समर्पित करते हैं दुनिया की शान्ति को ...... कि फिर ऐसा कभी न हो ..... हम इस सप्ताह अपने ब्लॉग का हेडर का रंग हल्का नीला कर रहे हैं जो शान्ति का प्रतीक है और इस हफ्ते प्रयास होगा कि रोज़ शान्ति और अहिंसा पर कुछ सामग्री दे पाएं ....... आप सबके लेख-कविता आदि भी सादर आमंत्रित हैं !

3 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति एवं उपयोगी सामयिक जानकारी !

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  2. एक जबरदस्त विकारोत्तेजक प्रसतुति. बहुत बहुत आभार इन सब जानकारियों के लिए. हर तरफ अमन कायम हो.

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  3. सही और अच्छी जानकारियों के साथ ये पोस्ट है। पता नहीं क्यों आज ये भूल गया मैं।

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