उम्मीद है कि आज का फौजी भाइयों का गीतों भरा फरमाइशी कार्यक्रम आपको पसंद आएगा। आज के गीतों की फरमाइश की है दिल्ली से शीला दीक्षित ने, भोपाल से शिवराज ने, जयपुर से अशोक गहलोत ने, रायपुर से रमन ने और आइजोल से ललथनहाव्ला ने .......
विजय कुमार मल्होत्रा(दिल्ली )
तडपाए तरसाए रे ....
सारी उम्र रुलाये रे ....
प्यार मेरा .......
दिल्ली की कुर्सी ....!!
दिग्विजय सिंह ( मध्य प्रदेश )
ये दुनिया ....ये महफ़िल मेरे काम की नहीं .....!
किसको सुनाऊ हाल दिले बेकरार का, बुझता हुआ चराग हूँ अपनी मज़ार का
ऐ काश भूल जाऊं मगर भूलता नहीं किस धूम से उठा था जनाजा प्रचार का .....
वसुंधरा राजे (राजस्थान)
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए....
हम तो बस कैटवाल्क करते रह गए .......
शायद उनकी आखिरी हो मांग ये
बागियों की मांग सहते रह गए
दिल के अरमां आंसुओं में....
अजित जोगी (छत्तीसगढ़)
ये दौलत ये तख्तों ये ताजों की दुनिया
ये सत्ता के दुश्मन चुनावों की दुनिया.....
ये ३ रुपये के चावल के वादों की दुनिया
चावल के चुनावी पुलावों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है.....
ये दुनिया अगर.....
जोरामथांगा (मिजोरम)
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
परिणाम निकले तो फिर औकात पे रोना आया
हम तो जीते थे और थे भूल गए जनता को
आज जनता से पड़ी लात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे ......
साथियों तो ये था आज का फरमाइशी प्रोग्राम ....अगले किसी ऐसे ही मौके पर फिर मिलेंगे तब तक के लिए शब्बा खैर !
***********##***********
बेहतरीन रहा फरमाईशी नगमों की यह जयमाला..एकदम सटीक फिट नगमें.. :)
ReplyDeletebhut badia mere dost
ReplyDeletebahut hi khoob ,,jitni tareef ki jaye utna hi kam hai ......
ReplyDeleterealy creative!!!!!!!
ReplyDeleterealy creative!!!!!!!
ReplyDelete