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Thursday, December 25, 2008

क्रिसमस और ईसा की बात .....

आज क्रिसमस है...और कल से ही इसे मनाने की शुरुआत हो चुकी है, क्रिसमस के दिन / रात कहा जाता है कि ईसा का जन्म बेथलेहेम में हुआ था....ईसा जिन्होंने ईसाइयत से ज्यादा मानवता की सीख दुनिया में फैलाई। पता नहीं पर हम में से ज़्यादातर लोग उन्हें ईसाई धर्म के प्रवर्तक के रूप में ज्यादा जानते हैं ( ईसाई भाई भी ) और ऐसा शायद दुनिया के ज़्यादातर प्रचारकों के साथ हुआ। फिर चाहें वो मोहम्मद रहे हों या बुद्ध ......

दरअसल समस्या यह रही कि हम लोगों को उनके द्वारा कही गई बातों और उनके द्वारा किए गए कामों से ज़्यादा उनके अनुयायियों की कट्टरता से जोड़ कर देखते हैं। हम अपने भी धर्म प्रचारकों के धर्म प्रचार को तो याद रखते हैं पर उनकी मूल शिक्षाओं को भूल चलते हैं, यही इस्लाम के साथ हुआ और कमोबेश यही हुआ ईसाइयत के साथ। बाद के धर्मावलम्बियों ने ईसा या मोहम्मद की शिक्षाओं की जगह केवल और केवल धर्म के प्रचार को लक्ष्य बना लिया और वह भी किसी भी तरीके से।

कुछ ऐसे लोग जिन्होंने अपनी ताकत से अपनी धार्मिकता के प्रसार का तरीका अपनाया उन्होंने हिंसा का सहारा लिया, प्रलोभन का सहारा लिया, अन्य समाजों में व्याप्त अशिक्षा का सहारा लिया और दुर्भाग्य वश उनकी वजह से एक आम मुसलमान या आम ईसाई को भी कट्टर या हिंसक होने के ठप्पे नवाज दिया गया।

गलती उनकी भी थी जिन्होंने धर्म की भावना के बजाय धर्म का प्रसार करना चाहा और उनकी भी जिन्होंने हर उस धर्म के अवलंबी को ग़लत मान लिया ...... गलती उनकी भी रही जिन्होंने अपने धर्म की पंथ की मूल बातों की जगह केवल कर्मकांडों के पालन को ही धर्मावलंबन बना लिया। फिर चाहे वो अन्धविश्वासी हिन्दू रहे हों, हर मुहर्रम पर पुरानी धारणाओं को लेकर लड़ पड़ने वाले मुसलमान या चर्च के प्रति अंधभक्ति में मासूम स्त्रियों को डायन कह जला देने वाले ईसाई !

आज जयंती है ईसा की .....इसे मनाएं उस ईसा की याद में जिसने येरुशलम के तानाशाहों के खिलाफ अहिंसक लड़ाई की ....वो जिसने बताया कि बाँट कर खाने पर एक रोटी भी पूरे कुनबे का पेट भरती है। ईसा वो महापुरुष थे जिन्होंने कहा कि दूसरे पर ऊँगली उठाने से पहले ख़ुद के गुनाह गिनो !

मनाये उस ईसा का जन्मदिन जिसने सलीब पर लटकते वक़्त अपने कातिलों के लिए कहा था,

" हे प्रभु इन्हे माफ़ कर देना, क्यूंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं !"

क्यूँ न सीखें हम सब एक दूसरे को माफ़ करना हर परिस्थिति में ?

कहते हैं कि क्रिसमस पर सच्चे दिल से सांता क्लाज़ से जो मांगो वो मिलता है....तो क्यूँ न मांग लें एक खूबसूरत दुनिया ...... जहाँ हम सबकी अच्छी बातों को अपना लें .....बुराइयों को बताएं उन पर चर्चा करें और अपने मन से उखाड़ फेंकें.......ईर्ष्या, द्वेष और शत्रुता .......क्यों न सीखें दोस्ती करना दुश्मन से भी..अपनी नफरत का ज़हर अपने बच्चों तक ना जाने दें!....और आखिरकार बना पाएं इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह !

बशीर बद्र का कहा याद रखें,

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे

कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे

हँसो आज इतना कि इस शोर में

सदा सिसकियों की सुनाई न दे

ग़ुलामी को बरकत समझने लगें

असीरों को ऐसी रिहाई न दे

ख़ुदा ऐसे इरफ़ान का नाम है

रहे सामने और दिखाई न दे

अंत में क्रिसमस का विश्वप्रसिद्ध गीत प्रस्तुत है एक अलग अंदाज़ में !

2 comments:

  1. sunder abhivyakti.
    basheer badr jee ke sunder shabd .
    aur sunder christmas kee manmohak dhun ke prastutikaran ke liye badhaai

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  2. christumas aur isa ki baat me aapne isa darshan ke sath sath unki achhaiyon ko jo samne lane ki koshish ki hai achha laga.

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