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Tuesday, March 24, 2009

हाय-हाय बोर्ड...बाय-बाय देश


क्रिकेट बेहद लोकप्रिय खेल होने के साथ ही एक बड़ा व्यवसाय भी है...अच्छी बात है कि विश्व की क्रिकेट पर कमांड रखने वाली संस्था आईसीसी में सबसे ज़्यादा दबदवा भी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का है.........यह सुखद बात है, लेकिन कहीं ज़्यादा पेनफुल है कि ये भारतीय संस्था तथाकथित भारतीय है...आईपीएल को चुनाव से ज़्यादा खास और अपरिहार्य बनाने से लेकर इसे बाहर ले जाने तक सारे मामले में इस संस्था के भारतीय होने पर शक होता है...... करोड़ों के व्यवसाय के लिए ये किसी भी हद तक गिर सकती है....यही मैचेज चुनाव जो लोकतंत्र के सबसे खास पल होते हैं, उसके बाद भी हो सकते थे...मगर क्या खिलाड़ियों को मतदान नहीं करना चाहिए आम आदमी को वोटिंग के लिए सचिन से लेकर चवन्नी छाप खिलाड़ी भी कहने लगेगा लेकिन जब खुद की बात आएगी तो आईपीएल के रोमांचक मैच ही दिखेंगे.....यह इस देश की विडंबना ही कहिए कि यहां के परिश्रमी लोगों में इतनी नकारियत आ गई कि वे हर छोटी बड़ी चीज के लिए सरकारों पर ही निर्भर हो गये हैं खुद पर उन्हे बिल्कुल यक़ीन नहीं रहा.......क्या ये सरकार का ही मामला था ?..देश की छवि बचाना हम आप का नहीं......बाहर मैच होने का मतलव भारत पाकस्तन दोनों ही का ना केवल खेल के नज़रिए से बल्कि हर नज़रिए से असुरक्षित होना सिद्ध करता है............क्या ये संदेश दुनिया में सरकार की गलती से जा रहा है ?....क्या आईपीएल के मैच सफलता पूर्वक होना ही सरकार की सिक्युरिटी सक्सेस है?....... ये छवि दुनिया के बीच ना जाए इसके लिए बीसीसीआई को भी सोचना चाहिए था, और खास कर मीडिया को भी कभी-कभी सच बोलने का साहस जुटाना चाहिए ना कि कुत्ते की तरह आईपीएल की हड्डी याने एड के लिए जीव लपलपानी चाहिए......अगर देश की छवि को धक्का लगा तो इसके लिए सबसा बड़ा दोषी ये बोर्ड होगा...दूसरे नंबर पर मीडिया जो इसके लिए उल्टे सरकार को दोषी ठहराने में जुटा है....तीसरे नंबर पर हम जो सच को भी नहीं समझ पा रहें हैं...चौथे नंबर पर दोषी है सरकार वो भी इस लिए नहीं कि मैच भारत से बाहर चले जाने दिए बल्कि इसके लिए कि बोर्ड की धमकी और दुष्साहस के बाद भी सरकार चुप है........अरे बैन लगा दो ऐंसे बोर्ड पर....ताकि समझ सके देश सबसे ऊपर है, ललित मोदी या बोर्ड नहीं....

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