धूमिल की कई कवितायें कई दिनों से ताज़ा हवा पर पढ़वा रहा हूँ, मेरे प्रिया कवि हैं .....केव्स संचार पर हम जल्द ही चुनावी श्रृंखला शुरू करने वाले हैं...सो भूमिका बाँधने और माहौल बनाने के लिए पढ़ें धूमिल की एक कविता,
हर तरफ धुआं है
हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देशभक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है
-तटस्थता।
यहां कायरता के चेहरे पर
सबसे ज्यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए,
सबसे भद्दीगाली है
हर तरफ कुआं है
हर तरफ खाईं है
यहां, सिर्फ, वह आदमी,
देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है
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