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Tuesday, March 3, 2009

क्रिकेट का काला दिन…....

एक खेल जो दिलों को जोड़ता है.......एक खेल जो कहलाता है जैंटलमेन लोगों का गेम... एक खेल जो हो चुका है तकरीबन एक सौ बीस साल का....एक सौ बीस साल में इसने देखे कई खुशनुमा लम्हे...तो वहीं कई ऐसे पल जिन पर इस खेल को शर्म आयी हो..... लेकिन कोई पल कोई दिन इतना काला नहीं था जितना कि 03 मार्च सन् 2009....
जी हां...कहने को तो इस दिन भारतीय टीम ने न्युज़ीलैंड को उसकी ही धरती पर शिकस्त दी..पर ये ना सिर्फ भारतीयों के लिए बल्कि पूरे क्रिकेट जगत के लिए नज़रें झुका देने वाला मंज़र है......
जी हां ये शायद उस दिन से भी ज्यादा शर्मनाक है जब पाकिस्तानी कोच की वर्ल्ड कप के दौरान मौत हुई थी...या न्युज़ीलैण्ड क्रिकेट टीम की होटल के बाहर धमाके हुए थे...इस बार आतंकी अजगर ने क्रिकेट खेलने जा रही....टीम को निशाना बनाया...जो जीत की उम्मीद लिए मैदान रवाना हो रही थी...इस टीम का नाम है श्रीलंका...जो पाकिस्तान में खेले जा रहे दूसरे क्रिकेट टेस्ट के दौरान बस में बैठकर मैदान जा रही थी...एकाएक कुछ बंदूकधारी लोगों ने बस पर धड़ाधड़ गोलियों का सिलसिला चालू कर दिया...जिसमें पांच पुलिस कर्मियों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया...और टीम के छह खिलाड़ी जख्मी हो गए...
निहायत ही इस घटना के बाद ये खेल अपने मौलिक मनोरंजन को खो देगा...क्योंकि खिलाड़ियों को अब अपनी खैरियत की चिंता भी सताएगी....इस घटना के बाद तमाम न्युज़ चैनल ये दम भरते नज़र आए...कि गनीमत है कि खिलाड़ियों की जान को कुछ नहीं हुआ...लेकिन उन पुलिसकर्मियों की अहमियत उनके परिवार वालों के लिए किसी खिलाड़ी से कम नहीं थी...
श्रीलंकाई टीम की दाद देनी होगी कि इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वे वहां खेलने गए...जबकि भारत ने अपना प्रस्तावित दौरा रद्ध कर दिया था...नहीं तो बस में श्रीलंकाई टीम की जगह भारतीय टीम भी हो सकती थी....
इस घटना के बाद पाकिस्तान में शायद ही कोई टीम क्रिकेट खेलने जाए...उनके वर्ल्ड कप की मेजबानी को भी तगड़ा झटका लगेगा...क्योंकि क्रिकेट की सभी शर्मनाक घटनाओं में कहीं न कहीं पाक शामिल है.......
चंद आतंकी ताकतों के कारण क्रिकेट के मनोरंजन से दूर एक बड़ा तबका होता है...पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमीयों के लिए ये बेहद निराशा की बात होगी........

5 comments:

  1. " bhut sharmnak or dukhd.."

    Regards

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  2. सेकुलरों की डीटेल प्रतिक्रिया का इन्तज़ार है… :)

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  3. सुरेश जी

    सेकुलर देखते रहे है, देख रहे हैं, देखते रहेंगे और .....

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  4. बेहद दुखद, अफसोसजनक एवं निन्दनीय घटना!!

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  5. तो क्‍या आतंकवाद का
    है गोरा दिन।

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