भाई अजीत जानकर अच्छा लगा की आप मिशनरीयो के आजीवन प्रचारक हो गए है...दिल्ली बैठ कर ऐसी बाते करना,लगता है किसी पार्टी का कोई प्रवक्ता बोल रहा हो.....
रही बात धर्म परिर्वतन की...तो मै आपको ये बता दू की मिशनरीयां भोलेभाले आदीवासीयो पर कोई परोपकार नही कर रहे है बल्की ईसाइयत नामक न्युक्लियर धर्म बम ऊनके हाथो मे थमा रहे है....और यह बम ईसाई देशो से ईम्पोर्ट हो रहा है...और जब यह धर्म बम अपनी शक्ती अनुसार फटेगा तो हर जगह आपको प्रभु,ईश्वर और प्रार्थनांए दिखायी देंगी....और वैसे भी आप भविश्य मे और ज्ञानीयों पर ज्यादा यकीन रखते है तो मै आपको बता दू की नास्त्रेदमस ने कहा है कुछ समय बाद दुनीया मे केवल ईसा और मूसा ही रहेंगे.....अगर आप भी अपना भविश्य सुरक्षित करना चाहते है तो ईसाई धर्म अपना लीजीए....और आपको लगता है की आदीवासीयो का धर्म परिवर्तन प्रगतीवादी कदम है तो आप भी ऐसा कदम ऊठाईये...ऊन्हे तो रोटी मिलती है आपको पद,मुद्रा और सुविधा मिल सकती है....
और रही बात तर्को की तो ये मेरे तर्क है और इस पे मेरा कोपीराईट है....और तर्क नापने का पैमाना खोज निकाला है क्या आपने....
मै दो पंक्तीयां कह रहा हू....ये दो लाईने आदीवासीयो और मिशनरीयो के लिये है....
मुद्रा पे बिके हुए लोग सुवीधा पे टिके हुए लोग बरगद
की बात करते है गमले पे ऊगे हुए लोग.......
जय भारत...जय छत्तीसगढ......नवीन सिंह....
नवीन भइया की बात बिल्कुल सही है, हमें इस समय जरुरत है कुछ करने की न देखते रहने की.
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