कुछ लम्हे और,
वो कॉलेज की मस्ती,
वो कैंटीन की चाय सस्ती,
वो चाय पीते-पीते विश्व की राजनीती को समेट कर रख देना,
और अपनी बात सिद्ध करने के लिए कुछ भी कर देना,
वो घूमना-फिरना भोपाल की सडको में दोस्तों के साथ,
वो लड़कियों का पीछा करना मस्ती के साथ,
वो "प्रपोस" करने को लेकर रात भर जागना
और दुसरे दिन सोते ही रह जाना,
वो लडाई-झगडे और बकैती,
लंच को लेकर रोज छिनैती,
वो मीठे सपने और कसमे वादे खाना,
वो कॉलेज लेट जाना और,
सर से रोज डांट खाना,
और रूम पर आकर बिंदास सो जाना,
वो क्लास बंक करना और कैंटीन में बैठना,
चार चाय पीना और दो के पैसे देकर बिंदास निकल लेना,
वो दोस्तों को "पप्पू" बनाना और खाली टाइम में लाइब्रेरी जाना,
वो किताबो का ख्याल जिनसे न हुआ हमे कभी प्यार,
वो करियर की टेंशन,
वो डैड की पेंशन,
वो सिग्रेटस मोर
वो डैड की पेंशन,
वो सिग्रेटस मोर
जिनसे न हुए हम कभी बोर..
वो लैब में जाना और बिंदास ओर्कुटिंग करना,
वो सीढियों पर बैठना और फ्री की सलाह फ्री में देना...
ये है कॉलेज लाइफ के वो दिन
वो लैब में जाना और बिंदास ओर्कुटिंग करना,
वो सीढियों पर बैठना और फ्री की सलाह फ्री में देना...
ये है कॉलेज लाइफ के वो दिन
जिन्हें याद करेगा हर कोई हर दिन,
लेकिन ये फ़िर कभी नही आयेंगे..कभी नही..
लेकिन ये फ़िर कभी नही आयेंगे..कभी नही..
dost bakaiti bakaiti me toomne dil ko choo liya tumhaari ye kavita hamaara yaa binaas logo kaan yathaartha hai.jaari rakho vivek mishra 1st semester
ReplyDeletesale kahan se mar ke laya hai
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