खैर जो भी हुआ वोही भला है कम से कम हमारे ब्लॉग का सन्नाटा तो टूटा नवीन भइया ने ब्लॉग मैं गर्मी पैदा कर दी जो जाड़े से पहले जरूरी थी। ब्लॉग की भी एक मर्यादा होनी ही चाहिए। हम अपने ब्लॉग मैं तथ्यों को रखें कीचड़ को नहीं दिल के मेल को रखें मैल को नहीं। हमारे पास तथ्य न हो तो इसका मतलब यह तो नहीं की हम कीचड़ उछालने की राजनीती करें। याद रखें किसी के ऊपर कीचड़ उछालने से पहले हमेशा हाथ अपना ही गन्दा होता है और हमेशा पोस्ट पढ़ तो लेते हैं कभी प्रतिउत्तर भी दिया करें
आपके उत्तर की प्रतीक्षा मैं
आशु प्रज्ञ मिश्र
सही बात है ।पढने के बाद प्रतिक्रिया दें
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